अपने केबिन में कुर्सी पर अपनी भीमकाय देह का बोझ डाले बैठा सरकारी वकील.
जिसके सबूट चरणों में एक गरीब सी दिखने वाली बुढिया अपने बेटे को बचाने के लिए गिरी पडी है.
वकील नें उस बुढिया से निगाह हटाकर मेरी ओर देखा तो उसकी आँखों में मुझे गौरव का अहसास हुआ. मगर न जाने क्यूँ मैं उससे आँख न मिला सका. मेरी गर्दन झुक गई !
_ _