मनोविज्ञान जहाँ इन तीनों प्रकार के मानसिक व्यापारों का स्वरूप प्रकट करता है, वहीं इनमें से प्रत्येक भाग अपनी मीमांसा के लिए विज्ञान की किसी अन्य शाखा के अधीन रहता है. ज्ञान सम्बन्धी मानसिक व्यापारों की विशेष मीमांसा तर्कशास्त्र(Logic) का कार्य है.संवेदन सम्बन्धी मानसिक व्यापारों की विशेष मीमांसा सौन्दर्य शास्त्र का कार्य है तथा क्रिया सम्बन्धी मानसिक व्यापारों की विशेष मीमांसा का कार्य आचार/नीति-शास्त्र (Ethnology) के अधिकार क्षेत्र में आता है. अत: यह विज्ञान की ये तीनों शाखाएं (तर्कशास्त्र, सौन्दर्यशास्त्र, आचार/नीति-शास्त्र) मनोविज्ञान के अन्तर्गत रहती हैं. मनोविज्ञान से इनका भेद कईं प्रकार से दर्शाया जा सकता है.
(1) मनोविज्ञान का कार्यक्षेत्र इन तीनों विज्ञानों से विस्तृ्त है.
(2) मनोविज्ञान वास्तविकता की दृ्ष्टि से मानसिक क्रियाकलापों की समीक्षा करता है अर्थात वह यह दिखलाने का प्रयत्न करता है कि इन क्रियाकलापों का वास्तविक स्वरूप क्या है और वें किस प्रकार एक दूसरे से संबद्ध है. मानसिक जीवन का उदय और विकास कैसे होता है ? सारे विचार में अस्ति की दृ्ष्टि प्रधान रहती है. परन्तु इस के अन्तर्गत उपरोक्त वर्णित तीनों प्रकार के विज्ञान अपने-अपने प्रतिपाद्य क्रियाकलापों की निर्णयात्मक दृ्ष्टि से समीक्षा करते हैं. तर्कशास्त्र (Logic) ज्ञान सम्बन्धी मानसिक क्रियायों की विवेचना सत्यासत्य निर्णय की दृ्ष्टि से करना चाहता है. वह यह बतलाना चाहता है कि हमें कैसे चिन्तन करना चाहिए ?. ताकि हमारा विचार सत्य विचार कहला सके.
नीतिशास्त्र (Ethnology) क्रियामूलक मानसिक क्रियायों की अच्छाई-बुराई की दृ्ष्टि से विवेचना करता है, उस की कार्य समाप्ति इसी में है कि वह हमें अच्छे, बुरे कर्मों का भेद बतला सके तथा आदर्श चरित्र गठन में हमारा सहायक बन सके.
इसी प्रकार सौन्दर्य शास्त्र (Aesthetics) भी सौन्दर्य तथा कुरूपता के भेद का निर्णय करता है. किसी वस्तु की सुन्दरता का अनुभव करते समय जो मानसिक दशा उपस्थित होती है या जिन भावों का उदय होता है, उन का सीधा निरूपण तो मनोविज्ञान के हाथ में है, परन्तु हम एक वस्तु को सुन्दर क्यों कहते हैं ?---इस बात का निर्णय सीधे तौर पर सौन्दर्य शास्त्र का कार्य है.

क्रमश::.......
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