सूक्तियाँ----जिनके स्वाध्याय से मानव मन की सुप्त शक्तियाँ उदबुद्ध होकर उत्साह, प्रकाश और पुरूषार्थ की प्रेरणा बनती हैं. इसमें किसी के लिए भी शंका की कोई गुंजाईश ही नहीं है कि सूक्तियाँ गुणकारी औषधियों के समान ही ह्रदय और मस्तिष्क पर विद्युत भरा प्रभाव डालती हैं. इनका स्वाध्याय मनुष्य की सर्वोतम कल्पनाओं को प्रेरित करने में समर्थ होता है.शताब्दियों का मानव अनुभव तथा गम्भीर चिन्तन के सूत्र जैसी इन सूक्तियों को धरा पर उपलब्ध अमृ्त यूँ ही नहीं कहा गया है.ये कालजयी सूक्तियाँ वास्तव में 'अ-मृ्त' ही तो होती हैं.......तो फिर, क्यों न "संडे ज्ञान" में पुन: आज फिर इसी अमृ्त का पान किया जाए....... स
1. मुझसे यदि कोई पूछे कि जीवन क्या है? तो मैं उसकी व्याख्या करूँगा---संस्कार संचय़...(विनोबा भावे)
2. जनता जितनी बुद्धि शून्य होती है, उसके नेता उतने ही ह्रदय हीन होते चले जाते हैं---(मैक्सिम गोर्की)
3. शब्दों का अर्थ नहीं, अनुभव देखना चाहिए---(शीलनाथ)
4. मानसिक अनुशासन की दृ्ष्टि से अखबार पढना हानिकर है. मन के लिए दस मिनट में चालीस बातें सोचने से बदतर भला क्या हो सकता है ?----(मंजर)
5. इन्सान के लिए ये बडे शर्म की बात है कि वह केवल अपने सभ्य,शरीफ पूर्वजों के कारण ही इज्जत चाहे, और खुद अपने सदगुणों से उसका हकदार बनने की कोशिश न करे---(अज्ञात)
6. जो लोग इतिहास के मजमून बनते हैं, उन्हे उसके लिखने की फुर्सत नहीं होती---(मैटरनिच)
7. दुनिया की हर बेहूदगी का इलाज या तो है या नहीं है;अगर इलाज है तो उसका पता लगाने की कोशिश करो, अगर नहीं है तो उसको धत्ता पिलाने की कोशिश करो---(अज्ञात)
8. हम उपदेश सुनते हैं मणभर,देते हैं टनभर लेकिन ग्रहण करते हैं कणभर---(अल्जर)
9. ऎ उपदेशक! अगर तेरे पास दैविक प्रेरणा का बिल्ला नहीं है तो चाहे तू बोल बोलकर अपनी जान तक दे दे, मगर सब फिजूल जायेगा---(रामकृ्ष्ण)
10. सम्प्रदायों में जो सबसे ओच्छा है वही उपदेशक का काम करेगा---(हजरत मोहम्मद)
11. अर्थ के आतुरों को न कोई गुरू होता है न बन्धु,कामातुरों को न भय होता है न लज्जा, विद्यातुरों को न सुख होता है न नींद,क्षुधातुरों को न स्वाद होता है न समय---(संस्कृ्त सूक्ति)
12. एक क्षण के बाद भी इस शरीर के रहने का क्या भरोसा! फिर भी जीवन की चिन्ता ऎसी है मानो,कल्पान्त तक जीना हो---(संस्कृ्त सूक्ति)
13. काहिल आदमी साँस तो लेता है,मगर जीता नहीं है---(सिसरो)
14. जीवन में जो कुछ भी है,सब पहेली है और एक पहेली का हल दूसरी पहेली है---(एमर्सन)
15. लोग अक्सर अपनी समझदारी की कमी की पूर्ती गुस्से से करते हैं---(डब्लू.आर. अल्जर)
16. अपने ह्रदय के विकारों को धोए बिना,दूसरों का भला करने के लिए दौडने वाला,जमाने भर को उपदेश देने वाला, कीचड से सने हाथों से दूसरे का मुँह पोंछने जाने वाले के मानिन्द है---(गुरू वशिष्ठ)
17.हमें इसकी क्या चिन्ता कि मोहम्मद अच्छे थे या बुद्ध ? क्या इससे मेरी अच्छाई या बुराई में परिवर्तन हो सकता है? आओ, हम लोग अपने लिए और अपनी जिम्मेदारी पर अच्छे बने---(स्वामी विवेकानन्द)
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रविवार, 26 सितंबर 2010
रविवार, 12 सितंबर 2010
सुभाषितं.........(संडे ज्ञान)
ह्रदय के आह्वान पर प्रेम, आत्मा के आह्वान पर धर्म और पेट के आह्वान पर क्रान्ति प्रकट होती है---(संस्कृ्त सुभाषित)
महान कार्य सम्पन्न होते हैं पर्वतों पर आसन जमाने से, सडकों पर धक्का-मुक्की करने या लाऊड-स्पीकरों पर चिल्लाने से नहीं-----(विलियम ब्लैक)
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