मुझे लग रहा है कि अब इस ब्लागजगत में मठाधीशी, अनामी-बेनामी ब्लागर, तेरा धर्म-मेरा धर्म जैसी टपोरपंथी, अन्याय, वगैरह से लडने की शक्ति बिल्कुल ही चूक गई है, तभी तो कितने दिन हो गए ऎसी कोई धमाकेदार सी किसी को गरियाती हुई कोई पोस्ट नहीं दिखाई पडी. विश्वास नहीं हो रहा कि ये वही बीते कल वाला ब्लागजगत ही है या कि हम ही गलती से किसी ओर जगह चले आए हैं. हमें भी मामला कुछ समझ में नहीं आ रहा कि आखिर बात क्या है. माहौल में ये अजीब सी खामोशी क्यूं छाई हुई है भाई. इत्ते दिन बीतने के बाद भी कहीं से ऎसी कोई पोस्ट न पढने को मिले तो इसका मतलब ये समझा जाए कि समूचा ब्लागजगत अब समझौतावादी हो गया है. क्या आप लोगों नें भी देश की जनता की तरह बिगडे हालातों से समझौता करना सीख लिया है. उस गरीब जनता की तरह, जिसके लिए कि आशा की कोई भी किरण किसी भी क्षितिज पर शेष न रह पाई है.
अरे भाई! ऎसा कैसे चलेगा.....हमें तो ये खामोशी कुछ चुभने सी लगी है. लग ही नहीं रहा कि ये वही ब्लागजगत है. भाई कम से कम मन को इतना तो अहसास होते ही रहना चाहिए कि हम हिन्दी के ब्लागर हैं.......:-)
ad
ब्लागजगत लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
ब्लागजगत लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
बुधवार, 26 मई 2010
लगता है ब्लागजगत अब समझौतावादी हो गया है.........
मंगलवार, 30 मार्च 2010
चिट्ठाद्योग सेवा संस्थान द्वारा कवि,गजलकार,लेखक,कार्टूनिस्ट के पदों हेतु आवेदनपत्र आमंत्रित
जैसा कि आप सब लोग जानते हैं कि हिन्दी ब्लागर्स को आ रही समस्यायों को देखते हुए पिछले दिनों हमने आप लोगों की सहायतार्थ "चिट्ठाद्योग सेवा संस्थान" नाम से एक कुटीर उद्योग का शुभारंभ किया था। जिसके पीछे हमारा एकमात्र यही उदेश्य रहा है कि इसके जरिये हिन्दी चिट्ठाकारों को पोस्ट लेखन में लगने वाले शारीरिक एवं मानसिक श्रम तथा कीमती समय के अपव्यय से मुक्ति दिलाई जा सके। साथ ही प्रतिभा के धनी निम्न एवं मध्यमवर्गीय चिट्ठाकारों को कुछ अतिरिक्त कमाई का मौका देकर उन्हे आर्थिक संबल प्रदान किया जा सके।
इसी उदेश्य को ध्यान में रखते हुए संस्थान द्वारा कवियों,गजलकारों,लेखकों,कार्टूनिस्टों की ठेके/दिहाडी पर भर्ती हेतु आवेदनपत्र आमन्त्रित किए जा रहे हैं।
पद संख्या:- असीमित
अहर्ताऎं:-
1 जो.कहानी/कविता/गजल/हास्य-व्यंग्य/सामयिक/असामयिक लेखन इत्यादि में से कम से कम किसी एक विद्या का विशेष ज्ञान रखता हो।
2.अच्छी सहनशीलता,आचरण तथा व्यक्तित्व हो तथा अपने से विरिष्ठ ब्लागरों के साथ ब्लागजगत के अन्दर एवं बाहर प्रभावी परस्पर क्रिया करने के योग्य हो।
3. प्रसन्नचित स्वभाव तथा अंतरवैयक्तिक कौशल
4.किसी भी परिवर्तनशील स्थिति के प्रति अनुकूलन के योग्य हो तथा ब्लागजगत के इस अति असहिष्णु वातावरण में नारी-पुरूष, हिन्दू-मुस्लिम के विवाद में भाग न लेकर के अन्य सहकर्मी ब्लागरों के साथ बेहतर ढंग से काम करने के योग्य हो।
5.केवल अपने निजि कम्पयूटर/लैपटोप पर लेखन कार्य करने के योग्य हो
आवश्यक विवरण:-
1.ब्लागिंग के दौरान आपके अन्य ब्लागरों संग हुए मुद्दा आधारित अथवा मुद्दाविहीन विवाद,झगडों,गाली-गलौच,शिकायत इत्यादि का सम्पूर्ण विवरण देना आवश्यक है।
2.कोई लंबित/पिछला मुकद्दमा(ब्लागिंग के दौरान)। यदि हाँ तो कृ्प्या विवरण दें
3.रचनाकार की कम से कम एक या अधिक रचना किसी समाचार पत्र, पत्रिका में अवश्य प्रकाशित हो चुकी हों।
अनुभव:- प्रार्थी कम से कम एक वर्ष का ब्लागिंग का अनुभव रखता हो।
शैक्षणिक योग्यता:- किसी भी प्रकार की कोई शैक्षणिक योग्यता का होना अनिवार्य नहीं है। पाँचवीं फेल से लेकर डाक्टरेट तक की उपाधी प्राप्त कोई भी व्यक्ति आवेदन कर सकता है।
आयु:- न्यूनतम 18 वर्ष से अधिकतम 80 वर्ष की आयु तक।
वेतमान/दिहाडी/पारिश्रमिक:- बाद में तय की जाएगी ।
नियम एवं शर्तें:-
1.चिट्ठाद्योग सेवा संस्थान को कोई भी आवेदनपत्र स्वीकार/अस्वीकार करने और इस समूची प्रक्रिया को रद्द करने अथवा रचनाकार के इस संस्थान से जुडने के पश्चात कभी भी उसे निकाल बाहर करने का अधिकार होगा। जिसके लिए संस्थान का संबंधित रचनाकार के प्रति कोई दायित्व नहीं होगा।
2.संस्थान (हमारे) द्वारा आवेदनपत्रों के तुलनात्मक अध्ययन या भर्ती करने के निर्णय को प्रभावित करने के लिए किसी रचनाकार द्वारा कोई प्रयास करने(रिश्वत देने) पर उसके आवेदनपत्र को विशेष वरीयता प्रदान की जाएगी।
3.किसी भी तरह के विवाद की स्थिति में संस्थान का निर्णय अन्तिम एवं मान्य होगा। इस विषय में कैसी भी कोई दलील स्वीकार नहीं की जाएगी।
आवेदन:- ब्लागिंग में आकर फालतू में टाईमखोटी करने के बजाय कुछ कमाई करने एवं अपनी रचनाधर्मिता का सदुपयोग कर हिन्दी ब्लागजगत को आलोकित करने के चाहवान उम्मीदवार कल शाम 5 बजे तक इस पते(chithaudhyog_sewa@yahoo.com) पर अपना आवेदनपत्र भेज सकते हैं। तत्पश्चात चयनित उम्मीदवारों को परसों दिनांक 1 अप्रैल 2010 को साक्षात्कार हेतु आमंत्रित किया जाएगा।
इसी उदेश्य को ध्यान में रखते हुए संस्थान द्वारा कवियों,गजलकारों,लेखकों,कार्टूनिस्टों की ठेके/दिहाडी पर भर्ती हेतु आवेदनपत्र आमन्त्रित किए जा रहे हैं।
पद संख्या:- असीमित
अहर्ताऎं:-
1 जो.कहानी/कविता/गजल/हास्य-व्यंग्य/सामयिक/असामयिक लेखन इत्यादि में से कम से कम किसी एक विद्या का विशेष ज्ञान रखता हो।
2.अच्छी सहनशीलता,आचरण तथा व्यक्तित्व हो तथा अपने से विरिष्ठ ब्लागरों के साथ ब्लागजगत के अन्दर एवं बाहर प्रभावी परस्पर क्रिया करने के योग्य हो।
3. प्रसन्नचित स्वभाव तथा अंतरवैयक्तिक कौशल
4.किसी भी परिवर्तनशील स्थिति के प्रति अनुकूलन के योग्य हो तथा ब्लागजगत के इस अति असहिष्णु वातावरण में नारी-पुरूष, हिन्दू-मुस्लिम के विवाद में भाग न लेकर के अन्य सहकर्मी ब्लागरों के साथ बेहतर ढंग से काम करने के योग्य हो।
5.केवल अपने निजि कम्पयूटर/लैपटोप पर लेखन कार्य करने के योग्य हो
आवश्यक विवरण:-
1.ब्लागिंग के दौरान आपके अन्य ब्लागरों संग हुए मुद्दा आधारित अथवा मुद्दाविहीन विवाद,झगडों,गाली-गलौच,शिकायत इत्यादि का सम्पूर्ण विवरण देना आवश्यक है।
2.कोई लंबित/पिछला मुकद्दमा(ब्लागिंग के दौरान)। यदि हाँ तो कृ्प्या विवरण दें
3.रचनाकार की कम से कम एक या अधिक रचना किसी समाचार पत्र, पत्रिका में अवश्य प्रकाशित हो चुकी हों।
अनुभव:- प्रार्थी कम से कम एक वर्ष का ब्लागिंग का अनुभव रखता हो।
शैक्षणिक योग्यता:- किसी भी प्रकार की कोई शैक्षणिक योग्यता का होना अनिवार्य नहीं है। पाँचवीं फेल से लेकर डाक्टरेट तक की उपाधी प्राप्त कोई भी व्यक्ति आवेदन कर सकता है।
आयु:- न्यूनतम 18 वर्ष से अधिकतम 80 वर्ष की आयु तक।
वेतमान/दिहाडी/पारिश्रमिक:- बाद में तय की जाएगी ।
नियम एवं शर्तें:-
1.चिट्ठाद्योग सेवा संस्थान को कोई भी आवेदनपत्र स्वीकार/अस्वीकार करने और इस समूची प्रक्रिया को रद्द करने अथवा रचनाकार के इस संस्थान से जुडने के पश्चात कभी भी उसे निकाल बाहर करने का अधिकार होगा। जिसके लिए संस्थान का संबंधित रचनाकार के प्रति कोई दायित्व नहीं होगा।
2.संस्थान (हमारे) द्वारा आवेदनपत्रों के तुलनात्मक अध्ययन या भर्ती करने के निर्णय को प्रभावित करने के लिए किसी रचनाकार द्वारा कोई प्रयास करने(रिश्वत देने) पर उसके आवेदनपत्र को विशेष वरीयता प्रदान की जाएगी।
3.किसी भी तरह के विवाद की स्थिति में संस्थान का निर्णय अन्तिम एवं मान्य होगा। इस विषय में कैसी भी कोई दलील स्वीकार नहीं की जाएगी।
आवेदन:- ब्लागिंग में आकर फालतू में टाईमखोटी करने के बजाय कुछ कमाई करने एवं अपनी रचनाधर्मिता का सदुपयोग कर हिन्दी ब्लागजगत को आलोकित करने के चाहवान उम्मीदवार कल शाम 5 बजे तक इस पते(chithaudhyog_sewa@yahoo.com) पर अपना आवेदनपत्र भेज सकते हैं। तत्पश्चात चयनित उम्मीदवारों को परसों दिनांक 1 अप्रैल 2010 को साक्षात्कार हेतु आमंत्रित किया जाएगा।
गुरुवार, 18 मार्च 2010
बडे बडे फन्ने खाँ ब्लागर यहाँ एक कौडी में तीन के भाव बिक रहे हैं-- (आह्वान)
प्रभो! आओ, आओ.....हम इस समय तुम्हे बडे दीन होकर पुकार रहे हैं। तुम तो दीनों की बहुत सुनते थे। सुनते क्या थे, तुम तो दीनों के लिए थे ही। क्या हमारी न सुनोगे?! देखो जरा इस ब्लागजगत को एक नजर देखो तो सही। पारस्परिक ईर्ष्या द्वेष नें यहाँ का सत्यानाश कर के रख दिया है। बडे बडे फन्ने खाँ ब्लागर एक कौडी में तीन के भाव बिक रहे हैं। सबकी बुद्धि नष्ट-भ्रष्ट हो चुकी है। किसी में सहनशीलता, धर्म, विवेक, आपसी प्रेम, बन्धुत्व जैसा कोई गुण नहीं दिखाई पडता। लम्पटगिरी दिनों दिन बढती चली जा रही है। छोटे बडों को उपदेश देने में निमग्न हैं और बडे दिन रात छोटों पर गुर्र गुर्र करने में लगे हुए हैं। तमाशबीन अनामी/बेनामी का मुखौटा पहने एक दूसरे को आपस में लडाने को ही अपना कर्तव्य मानकर यहाँ जमे हुए हैं। कुछ जलील इन्सान धर्म की ओट लिए अधर्म का नंगा नाच करने में जुटे हैं। बिना अर्थ जाने पुस्तकों में से पढे हुए को टीप टीप कर विद्वान होने का भ्रम फैलाने में बडे जोरों शोरों से लगे हुए हैं। धर्म के वास्तविक मूल्यों की परख कहीं लुप्त हो चुकी है, आस्था और निष्ठाओं पर कुठाराघात किया जा रहा है। एक दूसरे का जम के अनादर किया जा रहा है और कोई ससुरा सुनने को तैयार नहीं।
प्रभो! आप ये समझ लीजिए कि एक दम से हाहाकार सी मची हुई है। ब्लाग देवीयों की दशा सोचनीय सी हो रखी है। बुजुर्ग ब्लागरों की मन की पीडा असह्य है। ब्लागिंग धर्म की कोई मर्यादा नहीं। समाज की तरह ही यहाँ भी जातियाँ, उपजातियाँ उत्पन हो गई हैं। ऊंच-नीच का भाव यहाँ भी शुरू हो चुका है। अच्छे एवं गुणवत्तापूर्ण लेखन का स्थान सक्रियता क्रमाँक की दौड नें ले लिया है। लोग सुबह पोस्ट लिखते हैं और शाम तक छ: बार देख चुके होते हैं कि सक्रियता क्रमाँक बडा कि नहीं?। लोग ब्लागिंग धर्म को भूलकर बस चाटूकार धर्म निभाने में लगे हुए हैं। गुरू जैसा परम पवित्र शब्द भी यहाँ आकर अपनी गरिमा खो चुका है। यहाँ गुरू माने===ऊपर चढने की सीढी। बस ये सीढी तभी तक है जब तक कि ऊपर नहीं चढ जाते। एक बार ऊपर चढे नहीं की उसके बाद तो इस सीढी का एक एक डंडा बिखरा मिलता हैं। तब चेले खुद किसी ओर के गुरू बन चुके होते हैं और गुरू उनके द्वारे हाथ बाँधे अपनी पोस्ट पर टिप्पणी की भीख माँगता दिखाई पडता है। लोगबाग ब्लागिंग धर्म को भूलकर बस जय गुरूदेव्! जय गुरूदेव! करते इस ब्लाग भवसागर को पार करने में जुटे हैं।
बडे बडे दंगेच्छु,बकवादी,जेहादी,माओवादी,आतंकवादी, और भी जितने प्रकार के वादी है, यहाँ अपने अपने डेरे जमाने लगे हैं। प्रेम और सहानुभूति का स्थान घृ्णा नें ले लिया है। हिन्दू और अहिन्दूओं, देशप्रेमियों और पडोसी प्रेमियों के झगडे, अनर्गल प्रलाप, गाली गलौच साधारण और सुबह शाम की घटना हो चुकी हैं। धर्म के नाम पर समझो अधर्म हो रहा है। क्या इस समय और ऎसे समय में भी तुम यहाँ अपने पधारने की जरूरत नहीं समझते ?
दीनानाथ! आओ, आओ । अब विलम्ब न करो। ब्लागजगत की ऎसी दशा है और तुम देखते तक नहीं, सुनते तक नहीं। अब नहीं आओगे तो कब आओगे। कहीं ऎसा तो नहीं कि कलयुग में तुम भी दीनों की बजाय इन माँ के दीनों का पक्ष लेने लगे हो।(माँ का दीना पंजाबी भाषा में एक बहुत ही आम बोलचाल में प्रयुक्त होने वाला शब्द है, किन्तु इसका अर्थ कोई परम विद्वान ही बता सकता है, हमें तो पता नहीं :-)
(बहुत दिनों से हम सोच रहे थे कि पता नहीं लोगों को अपनी पोस्ट पर नापसंद के चटके कैसे मिल जाते हैं,हमें तो आजतक किसी नें नहीं दिया। ईश्वर नें चाहा तो शायद आज हमारी ये इच्छा पूरी हो ही जाये :-)







प्रभो! आप ये समझ लीजिए कि एक दम से हाहाकार सी मची हुई है। ब्लाग देवीयों की दशा सोचनीय सी हो रखी है। बुजुर्ग ब्लागरों की मन की पीडा असह्य है। ब्लागिंग धर्म की कोई मर्यादा नहीं। समाज की तरह ही यहाँ भी जातियाँ, उपजातियाँ उत्पन हो गई हैं। ऊंच-नीच का भाव यहाँ भी शुरू हो चुका है। अच्छे एवं गुणवत्तापूर्ण लेखन का स्थान सक्रियता क्रमाँक की दौड नें ले लिया है। लोग सुबह पोस्ट लिखते हैं और शाम तक छ: बार देख चुके होते हैं कि सक्रियता क्रमाँक बडा कि नहीं?। लोग ब्लागिंग धर्म को भूलकर बस चाटूकार धर्म निभाने में लगे हुए हैं। गुरू जैसा परम पवित्र शब्द भी यहाँ आकर अपनी गरिमा खो चुका है। यहाँ गुरू माने===ऊपर चढने की सीढी। बस ये सीढी तभी तक है जब तक कि ऊपर नहीं चढ जाते। एक बार ऊपर चढे नहीं की उसके बाद तो इस सीढी का एक एक डंडा बिखरा मिलता हैं। तब चेले खुद किसी ओर के गुरू बन चुके होते हैं और गुरू उनके द्वारे हाथ बाँधे अपनी पोस्ट पर टिप्पणी की भीख माँगता दिखाई पडता है। लोगबाग ब्लागिंग धर्म को भूलकर बस जय गुरूदेव्! जय गुरूदेव! करते इस ब्लाग भवसागर को पार करने में जुटे हैं।
बडे बडे दंगेच्छु,बकवादी,जेहादी,माओवादी,आतंकवादी, और भी जितने प्रकार के वादी है, यहाँ अपने अपने डेरे जमाने लगे हैं। प्रेम और सहानुभूति का स्थान घृ्णा नें ले लिया है। हिन्दू और अहिन्दूओं, देशप्रेमियों और पडोसी प्रेमियों के झगडे, अनर्गल प्रलाप, गाली गलौच साधारण और सुबह शाम की घटना हो चुकी हैं। धर्म के नाम पर समझो अधर्म हो रहा है। क्या इस समय और ऎसे समय में भी तुम यहाँ अपने पधारने की जरूरत नहीं समझते ?
दीनानाथ! आओ, आओ । अब विलम्ब न करो। ब्लागजगत की ऎसी दशा है और तुम देखते तक नहीं, सुनते तक नहीं। अब नहीं आओगे तो कब आओगे। कहीं ऎसा तो नहीं कि कलयुग में तुम भी दीनों की बजाय इन माँ के दीनों का पक्ष लेने लगे हो।(माँ का दीना पंजाबी भाषा में एक बहुत ही आम बोलचाल में प्रयुक्त होने वाला शब्द है, किन्तु इसका अर्थ कोई परम विद्वान ही बता सकता है, हमें तो पता नहीं :-)
हे महादेव औघडदानी, भोले बाबा ऎसा वर दो
सोने का सर्प चढाऊंगा, इनकी बुद्धि निर्मल कर दो ।।(स्व-रचित नहीं)
(बहुत दिनों से हम सोच रहे थे कि पता नहीं लोगों को अपनी पोस्ट पर नापसंद के चटके कैसे मिल जाते हैं,हमें तो आजतक किसी नें नहीं दिया। ईश्वर नें चाहा तो शायद आज हमारी ये इच्छा पूरी हो ही जाये :-)
सदस्यता लें
संदेश (Atom)