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शनिवार, 13 दिसंबर 2008

कुछ हरियाणवी चुटकले

1. एक बार एक सेठ की दुकान में चोरी हो गई । सेठ ने थाने में रपट लिखवा दी ।

अगले दिन सेठ की दुकान पर तीन सिपाही आ पहुंचे और पूछताछ करने लगे । फिर एक सिपाही ने एक बोरी में से थोड़े भुने हुए चने उठाये और खाने लगा । दूसरे ने थोड़ी मूंगफली की मुट्ठी भर ली और तीसरे ने पतासे खाने शुरु कर दिये ।

थोड़ी देर बात थाणेदार आया और सेठ से बोला - सेठ, कितने का नुकसान हुआ ?

सेठ ने जवाब दिया - जी, नुकसान खतम कित हुया सै, ईबै तै होण ए लाग रहया सै !!
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2. एक बार एक बनिये की छोरी(लडकी) के ब्याह में फेरे करवाण खातिर कोई पंडित ना मिल्या । जब कित्तै तैं पंडित का जुगाड़ ना हुया तै छोरी आळे एक जिम्मेदार जाट नै ले आये । जाट नै फेरे शुरु करवा दिये ।

तीन फेरे होण पाच्छै जाट बोल्या - भाइयो, रस्म तै पूरी हो-गी, छोरी की विदाई करवाओ ।

छोरे आळे बाराती बोले - जी, फेरे तै सात होया करैं,अर इभी तो तीन ही होए हैं ।

जाट बोल्या - भाई, बात इसी सै, जे उसनै रुकणा होगा तै तीन फेरयां में भी कित्तै ना जावै । अर जै इसनै भाजणा ए सै, तै चाहे पच्चीस फेरे करवा ल्यो !!
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3. एक बार एक सेठ के घर में सांप घुस गया । सेठ ने चिल्लाना शुरू किया, लोग इकट्ठे हो गए । एक जाट गया अन्दर लाठी ले कर । उसके घुसते ही सेठ बाहर आया और दरवाजे की कुंडी बंद कर दी ।

लोग बोले - सेठ ये क्या किया ?

सेठ बोल्या - दो दुश्मन भीतर सैं - एक तै मरै ए गा !!
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4. एक बार एक बीमे का एजेन्ट गाहक बणावन खातिर एक गाम में चल्या गया और लाग्या एक ताऊ नै बीमे की पोलिसी समझावण । बोल्या - ताऊ, या पोलिसी इसी सै अक जै तू मर-ग्या तै तेरे घर आळां नै इतने पैसे मिल-ज्यांगे । अर या एक और पोलिसी इसी सै अक जै तू मर ग्या, तै जितने का बीमा सै, उसतैं दुगुने पैसे मिल ज्यांगे ... अर एक या नई पोलिसी सै जिसमैं तीन गुणे पैसे मिल ज्यांगे ।

ताऊ कै आया गुस्सा, अर बोल्या - "भाई, तेरी सारी पोलिसी ठीक सैं - तू आपणी या किताब तै बंद कर दे, अर कोई इसी पोलिसी बता दे अक मर तै बीमे का एजेंट जावै और पैसे हम नै मिल जावैं !!

शनिवार, 22 नवंबर 2008

हरियाणे का जुगाड़ू जाट

भाई जाट जुगाड़ी आदमी हो सै. किते न किते तै सारी बातां का जुगाड़ कर लिया करै .

एक बै एक जाट और एक बामण का छोरा एक एक ऊंट ले के जंगल में घुमण जा रे थे.

रस्ते मैं जाट के छोरे के ऊंट की नकेल टूट गी. ऊंट उसनै तंग करण लाग गया.

वो बामण के छोरे तै बोल्या भाई यो जो तनै गात(शरीर)कै तागा (जनेऊ ) बांद रख्या सै, यो मने दे दे.

यो ऊंट मनै दुखी कर रहा सै .

बामण का बोलूया- न भाई यो जनेऊ तै हमारा धरम सै, में ना दू .

वो दुखी सुखी हो कै, रोन्दे-कल्पदे घरां आगे .

आते ही जाट का छोरा आपने बापू तै बोल्या — बापू आज जंगल मै इस बामण के ने मेरी गल्या इसा काम करया . एक तागा माँग्या था वो भी न दिया . आगे इन तै वयवहार कोन्या राखना.यो तो बड़े मतलबी सैं .

उसका बापू बोल्या — अरे इसका बापू भी इसा ऐ था . तेरी बैहन के ब्याह आले दिन तेरी बैहन् होगी बिमार्

तै मने बामण ताहि न्यू कही, के भाई एक बै तू फेरयां के उपर आपनी छोरी नै बिठा दे एक घंटे खातर.

ड़ौली गेलै घाल तै मैं आपनी छोरी ने दयुन्गा , पर भाई यो बामण मान्या ही कोनी .

छोरा बोल्या — फेर के हुआ बापु .

बापु बोल्या - अरे होना के था फेर एक घंटे खातर तेरी माँ फेरया पै बठयाणी पड़ी
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रफ़्तार