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रविवार, 1 अगस्त 2010

हमारे ज्ञान की परिधि कितनी सीमित है-----(संडे ज्ञान)

हमारे ज्ञान की परिधि कितनी सीमित है--- कि, कईं बार तो हम बिल्कुल सामान्य सी छोटी मोटी बातें भी नहीं जानते। जैसे कि पक्षियों में गरूड नहीं बल्कि बाज की गति सबसे तेज होती है। हिरण की आँखे बडी मानी जाती है लेकिन वास्तव में घोडे की आँखे उससे अधिक बडी होती हैं। तेज धूप में संसार के हरेक प्राणी को पसीना आता है लेकिन कुत्ता ऎसा जानवर है जिसे चाहे सारा दिन धूप में खडा करके रखा जाए लेकिन फिर भी उसे पसीना नहीं आएगा। स्तनपायी प्राणियों के शरीर पर बाल होते हैं लेकिन गेन्डा इसका अपवाद है जो स्तनपायी होने पर भी बिना बालों का जीव है। वृ्क्षों में बरगद के पेड को दीर्धजीवी माना जाता है लेकिन सबसे अधिक दिन जैतून का पेड जीवित रहता है।
मेंडक के पैदा होते समय दुम होती है, पैर नहीं लेकिन मरते समय उसके पैर रहते हैं दुम नहीं। हँस के बारे में किम्बदन्ति है कि वो मिले हुए दूध-पानी में से दूध पी लेता है और पानी छोड देता है, साथ ही यह भी कहा जाता है कि वो मोती खाता है लेकिन यह दोनों ही किम्बदन्तियाँ बिल्कुल मिथ्या हैं। हँस भी अन्य पक्षियों की तरह ही कीडे मकोडे तथा बीज इत्यादि का भक्षण करता है।
स्वाती नक्षत्र में वर्षा होने से सीप में मोती, केले से कपूर और बाँस में वंशलोचन पैदा होता है, यह मान्यता सर्वथा कपोल कल्पित है जिसमें सच्चाई का नाममात्र भी अंश नहीं। दस बीस भाषाओं और दर्जन दो दर्जन मजहबों के अतिरिक्त किसे पता है कि संसार में 3064 भाषाएं बोली जाती हैं और 900 से अधिक मत-मतान्तर हैं।
हमारा सामान्य ज्ञान कितना स्वल्प है!---- इस बात का पता इससे चलता है कि अपनी मान्यता प्राप्त जानकारियों में कितनी उपहासास्पद मान्यताएं भरी पडी हैं  और हम लोग कितनी मिथ्या धारणाएं संजोएं बैठे हैं।
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रफ़्तार