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सोमवार, 23 नवंबर 2009

गले का पट्टा

तकनीकी विकास के मामले में जापानियों का लोहा तो आज पूरा विश्व मान रहा है । इनके द्वारा किए जा रहे नित नये आविष्कार देखने सुनने को मिल ही जाते हैं । कभी कभी तो इनके आविष्कार इतने अजीबोगरीब होते हैं कि देख सुनकर हँसी भी आती है ओर इनकी कल्पनाशीलता, खोजी दिमाग की दाद भी देनी पडती है ।
 कुछ दिन पहले हमने कहीं पढा था कि जापान में आदमी तो आदमी कुत्तों के भौंकने पर भी प्रतिबंध लग चुका है । इसके लिए उन्होने एक विशेष प्रकार के पट्टे का आविष्कार किया है जो कि कुत्ते को पहना दिया जाए तो जब भी वो भौंकने के लिए मुँह खोले तो पट्टे में लगा यन्त्र बिजली का एक जोरदार झटका मारता है, बेचारा कुता घबराहट में भौंकना भूलकर तुरन्त अपना मुँह वापिस बन्द कर लेता है । क्या कमाल की चीज इजाद की है भई इन जापानियों नें । मेरा तो यह मानना है कि इन पट्टों की जापान से ज्यादा जरूरत तो यहाँ भारत में हैं । ससुरे जितने भी ये सडकछाप नेता हैं, जो कि समय असमय, मतलब बिना मतलब के लाऊडस्पीकर पर बोलते हुए ऊबते नहीं, या फिर मन्दिरों के पंडित, मस्जिदों के मौलवी, गुरूद्वारों में बैठे वो पाठी जो सुबह सुबह ऊपर वाले के कान के पर्दे खोलने के चक्कर में लोगों को बहरा बनाने पर तुले हुए हैं । जिन्हे न तो ये फिर्क कि बच्चों की परीक्षाएं चल रही हैं या कि इनके शोर से किसी बीमार अस्वस्थ आदमी पर क्या बीतती होगी । बस ये लोग तो ऊपर वाले को बहरा मानकर दिन रात बस उसके कान के पर्दे खोलने में लगे हुए हैं । मैं तो कहता हूँ कि भारत सरकार को जापान से ये पट्टे आयात कर ही लेने चाहिएं और जिस प्रकार से घर घर जाकर बच्चों को 2 बून्द पिलाने का पोलियो उन्मूलन अभियान चलाया जा रहा है, ठीक वैसे ही एक पट्टा अभियान चलाए और चुन चुनकर इन सभी भौंकूओं के गले में पट्टा बाँध दिया जाए । इससे एक तो इनका भौंकना बन्द हो जाएगा ओर दूसरे हम लोग भी कुछ चैन की साँस ले पाएंगें।

वैसे जो लोग बेचारे अपनी बीवी की चपर-चपर से कुछ ज्यादा ही दुखी हैं, उनके लिए भी ये बडे काम की चीज हो सकती है :)

11 टिप्‍पणियां:

IRFAN ने कहा…

thackerayji se poochhoge to shayad wo kahenge ki media walon ke gale mein daal do :-)

Arvind Mishra ने कहा…

बिलकुल वत्स जी ,मैं आपके इस सुझाव का भरपूर समर्थन करता हूँ -जों जितना ही जोर से चिल्लाए उसे उतना ही जोर का करेंट लगे!
मगर हर बात में सरकारी मदद की दरकार हताश लोग करते हैं -आईये यह बीड़ा हर हिन्दुस्तानी उठाये ! यह एक जन अभियान बने !

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

वत्स साहब, प्रचार के लिए किसी उत्पादक कम्पनी से कोई कमीशन-वमिशन का अग्रीमेंट हुआ क्या :) ? मैं भी उम्मीद करता हूँ कि आने वाले वक्त में इसकी खपत देश में बढ़ेगी ! सुन्दर प्रस्तुति !

राज भाटिय़ा ने कहा…

वत्स जी, यह पट्टॆ हमारे यहां बहुत पहले से है, ओर इस मै रिमूट कंट्रोल भी लगा होता है जब कुत्ता कहना ना माने तो वटन दबा दे, साला खुद चू चू करता पेरो मै आ जाता है...
धन्यवाद इस अच्छी जान्कारी के लिये

निर्मला कपिला ने कहा…

vats jee jaanakaaree acchee hai kyaa netaaoM ke liye ye sahee naheeM rahegaa? shybhakaamanaayen

समयचक्र ने कहा…

जापानियों के दिमाग को क्या कहें नई नई तरकीब खोजते रहते है . अभी अभी मैंने सुनीता शानू जी के ब्लॉग में पढ़ा की राष्ट्र मंडल खेलो के दौरान घूरना मना है . आपकी पोस्ट में पढ़ा की जापानियों ने आदमी के भौकने और कुत्तो के भौकने पर प्रतिबन्ध लगा दिया है .. इसी तरह भारत में भी राष्ट्रमंडल खेलो के दौरान आदमियों के भौकने पर रोक लगाने के लिए मुंह का बेल्ट बनवा देना चाहिए उसे बांध दो तो आदमी बोल और भौक नहीं पायेगा.... ....अपना देश नक़ल करने में अब्बल रहा है देखना साब अपने यहाँ मार्केट में जल्द ही मुंह के बेल्ट नजर आने लगेंगे.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बिलकुल वत्स जी ........ आपने सही लिखा है ....... इसकी भारत में सबसे ज्यादा जरूरत है ......मैं आपके इस सुझाव का भरपूर समर्थन करता हूँ...... जों नेता जितना ही जोर से चिल्लाए उसे उतना ही जोर का करेंट लगे ...... कर्रेंट को कंट्रोल करने का तरीका भी होना चाहिए .... कसको ज्यादा किसको कम झटका लगे ....... हिन्दुस्तान में इसकी डिमांड बहुत होगी ........

Udan Tashtari ने कहा…

सही लिखा पंडित जी!!

Udan Tashtari ने कहा…

अरे इरफान भाई भी कमेंट करते हैं...पहली बार देखा... :)

daanish ने कहा…

aadarneey jyotishaachaaryaa ji,
aapka s.sneh aasheesh mil gayaa to
maaniye janamdivas saarthak ho gayaa meraa....
abhivaadan svikaareiN .

naresh singh ने कहा…

वो जापान है वहा इस प्र्कार कि चीजें बन सकती है हमारे यहाँ नेताओ के बोलने पर पाबन्दी वाला पट्टा आयात करना सम्भव ही नही है ।

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