प्रभो! आप ये समझ लीजिए कि एक दम से हाहाकार सी मची हुई है। ब्लाग देवीयों की दशा सोचनीय सी हो रखी है। बुजुर्ग ब्लागरों की मन की पीडा असह्य है। ब्लागिंग धर्म की कोई मर्यादा नहीं। समाज की तरह ही यहाँ भी जातियाँ, उपजातियाँ उत्पन हो गई हैं। ऊंच-नीच का भाव यहाँ भी शुरू हो चुका है। अच्छे एवं गुणवत्तापूर्ण लेखन का स्थान सक्रियता क्रमाँक की दौड नें ले लिया है। लोग सुबह पोस्ट लिखते हैं और शाम तक छ: बार देख चुके होते हैं कि सक्रियता क्रमाँक बडा कि नहीं?। लोग ब्लागिंग धर्म को भूलकर बस चाटूकार धर्म निभाने में लगे हुए हैं। गुरू जैसा परम पवित्र शब्द भी यहाँ आकर अपनी गरिमा खो चुका है। यहाँ गुरू माने===ऊपर चढने की सीढी। बस ये सीढी तभी तक है जब तक कि ऊपर नहीं चढ जाते। एक बार ऊपर चढे नहीं की उसके बाद तो इस सीढी का एक एक डंडा बिखरा मिलता हैं। तब चेले खुद किसी ओर के गुरू बन चुके होते हैं और गुरू उनके द्वारे हाथ बाँधे अपनी पोस्ट पर टिप्पणी की भीख माँगता दिखाई पडता है। लोगबाग ब्लागिंग धर्म को भूलकर बस जय गुरूदेव्! जय गुरूदेव! करते इस ब्लाग भवसागर को पार करने में जुटे हैं।
बडे बडे दंगेच्छु,बकवादी,जेहादी,माओवादी,आतंकवादी, और भी जितने प्रकार के वादी है, यहाँ अपने अपने डेरे जमाने लगे हैं। प्रेम और सहानुभूति का स्थान घृ्णा नें ले लिया है। हिन्दू और अहिन्दूओं, देशप्रेमियों और पडोसी प्रेमियों के झगडे, अनर्गल प्रलाप, गाली गलौच साधारण और सुबह शाम की घटना हो चुकी हैं। धर्म के नाम पर समझो अधर्म हो रहा है। क्या इस समय और ऎसे समय में भी तुम यहाँ अपने पधारने की जरूरत नहीं समझते ?
दीनानाथ! आओ, आओ । अब विलम्ब न करो। ब्लागजगत की ऎसी दशा है और तुम देखते तक नहीं, सुनते तक नहीं। अब नहीं आओगे तो कब आओगे। कहीं ऎसा तो नहीं कि कलयुग में तुम भी दीनों की बजाय इन माँ के दीनों का पक्ष लेने लगे हो।(माँ का दीना पंजाबी भाषा में एक बहुत ही आम बोलचाल में प्रयुक्त होने वाला शब्द है, किन्तु इसका अर्थ कोई परम विद्वान ही बता सकता है, हमें तो पता नहीं :-)
हे महादेव औघडदानी, भोले बाबा ऎसा वर दो
सोने का सर्प चढाऊंगा, इनकी बुद्धि निर्मल कर दो ।।(स्व-रचित नहीं)
(बहुत दिनों से हम सोच रहे थे कि पता नहीं लोगों को अपनी पोस्ट पर नापसंद के चटके कैसे मिल जाते हैं,हमें तो आजतक किसी नें नहीं दिया। ईश्वर नें चाहा तो शायद आज हमारी ये इच्छा पूरी हो ही जाये :-)
34 टिप्पणियां:
बिना अर्थ जाने पुस्तकों में से पढे हुए को टीप टीप कर विद्वान होने का भ्रम फैलाने में बडे जोरों शोरों से लगे हुए हैं। धर्म के वास्तविक मूल्यों की परख कहीं लुप्त हो चुकी है, आस्था और निष्ठाओं पर कुठाराघात किया जा रहा है। एक दूसरे का जम के अनादर किया जा रहा है और कोई ससुरा सुनने को तैयार नहीं।
इनसे इससे बेहतर की उम्मीद भी नहीं रखनी चाहिए !
"(बहुत दिनों से हम सोच रहे थे कि पता नहीं लोगों को अपनी पोस्ट पर नापसंद के चटके कैसे मिल जाते हैं,हमें तो आजतक किसी नें नहीं दिया। ईश्वर नें चाहा तो शायद आज हमारी ये इच्छा पूरी हो ही जाये :-)"
Ha-ha-ha-ha...
माँ का दीना ........माँ का दीना ...माँ का दीना ................माँ का .....
दीना ...........माँ का दीना ....माँ का दीना ...........माँ का दीना ........माँ का दीना ..........माँ का दीना
KAYA SOLID MARA HAI.....GAJAB....
ईश्वर आपकी प्रार्थना सुने और इच्छा भी पूरी करे!
हे ईश्वर कोई आपकी इच्छा तो पूरी करे -मेरे हिस्से की तो दे दे भगवान् !
बहुत दिनों से हम सोच रहे थे कि पता नहीं लोगों को अपनी पोस्ट पर नापसंद के चटके कैसे मिल जाते हैं,हमें तो आजतक किसी नें नहीं दिया। ईश्वर नें चाहा तो शायद आज हमारी ये इच्छा पूरी हो ही जाये
लेकिन यह चटका लगाना कहां है, मुझ ना समझ को तो यह भी नही पता, ओर इस चटके का लाभ या नुकसान क्या है, वेसे आप ने पोस्ट तो बहुत अच्छी लिखी, हो सकता है मुझ जेसे ओर पापियो को थोडी अकल आ जाये तो अपने कर्मो को सुधार ले, मैने तो तॊबा कर ली आज से, कभी किसी शरीफ़ ब्लांगर से पंगा नही लुंगा, जो लिया उस के लिये तॊबा
Jai ho kashi aur kabe wale Bhole Baba.
blogging ka dharam to aise hi nibhaya jata hai........choti par pahuche huye ko taang pakad kar giraya jata hai...........aajkal ka sabse bada shagal hai.........hahahaha
अभी शायद लोग ब्लागिंग का अर्थ ही समझ नहीं पाए हैं। धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा।
अभी शायद लोग ब्लागिंग का अर्थ ही समझ नहीं पाए हैं। धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा।
तथास्तु.:)
रामराम.
adbhutaas....
मुझे तो नाईस और सुमन जी दोनों ही अच्छे लगते हैं. nice..
पण्डित जी,
आज क्या खाकर बैठे थे?
ओह आज बडा दुख पहुंचा ...फ़न्ने खां होते ..तो आज हम भी बिक लिए होते ...और कल की ताजा खबर कुछ यूं होती ..देखो ससुरों सिर्फ़ क्रिकेटर ही नहीं ..बिलागर भी बिक लेते हैं भैय्या ..चटका पर गौर नहीं किए अब लौट के देखते हैं कौन कितना पोजिटिव निगेटिव लगाया है जी ??
अजय कुमार झा
नमस्कार वत्स जी!
मान गए भाई आपकी पंडिताई
मन की पीड़ा कहें या भाव
न जा सकी छिपाई
क्या कहें, बस हमें तो लगने लगा है
कहीं ये नौबत न आ जाए
लोग करने लग जाँय यहीं हाथ पाई
बहुत ही सही शब्दों में व्यक्त किया आपने
इस ब्लॉग जगत के झंझावातों को
दीनानाथ भी आ जायें तो टिप्पणी के चक्कर में फंस कर रह जायेंगे...
जय हो:)
बेचारे महादेव उनको क्या पता कि ब्लॉगिंग क्या चीज है अगर पता चल गया तो वो भी ब्लॉग लिखना शुरु कर देंगे और हमेशा टॉप की पोस्ट पर रहेंगे :)
panditji !
aapne lagbhag sabhi ki peeda abhivyakt kar di hai -
man ko samjhaane ke tareeke vibhinn hain
lekin man fir bhi khinn hai
shaayad bhole baba apki sun len.......
jai baba ki
bhai main to pasand par chatka lagaaunga agar lag gaya to
शायद ही कोई ऐसा ब्लॉगर हो,जिसके मन में कभी ना कभी इस तरह के भाव ना आए हों....पर यह आभासी दुनिया भी वास्तविक दुनिया जैसी ही है....यह उम्मीद रखना कि यहाँ सब पढने लिखने वाले लोग हैं इसलिए कुछ अलग तस्वीर होगी...बस अपने मन को बहलाना है
ha ha ha ..too good..सत्य वचन पंडित जी !
सटीक।
shikha ji kah raheen hain to theek hee hai ji-सत्य वचन पंडित जी !
kintu is galiyaare men ye baat nikalee kaise ki प्रभो! आप ये समझ लीजिए कि एक दम से हाहाकार सी मची हुई है। ब्लाग देवीयों की दशा सोचनीय सी हो रखी है। बुजुर्ग ब्लागरों की मन की पीडा असह्य है। ब्लागिंग धर्म की कोई मर्यादा नहीं। .................अच्छे एवं गुणवत्तापूर्ण लेखन का स्थान सक्रियता क्रमाँक की दौड नें ले लिया है।
bhai ji aap to himmat karke likh gaye kintu kitane ghaayl huye shaam tak isakee report koun pesh karega dekhanaa hai
aaj se aap meree nazar men KABEER bhaye blog jagat ke
param aanand daayee post subhan allah ishvar ne jab aadami banayaa to usake dimag men no.01 kaa keedaa bhee dal diyaa jo aapane uzagar kar diya to ab ho jaye ek podcast
ha ha ha maza aayega bat karake
mazedaar. wah wah
अच्छा है.
इसे कहते हैं खरी खरी
माँ का दीना--- बाहर जितना भी गुल खिलाये मगर माँ अपने बच्चे को कभी कसूर नही देती । इस लिये कई बार उसे माँ का दीना कह कर चिढाया जाता है। बढिया पोस्ट शुभकामनायें। आज से कुछ दिन की छुट्टी पर रहूँगी। धन्यवाद
पंडित जी आपकी बातों से अक्षरशः सहमत हूँ | इश्वर आपकी पुकार सुने .. यही मनोकामना मेरी भी है |
बड़ा सटीक लिखा है, काश ये ब्लॉगर जगत भी इससे कुछ सीख ले. यहाँ बैठे हैं रचनात्मक गढ़ने के लिए और कभी कभी क्या गढ़ जाते हैं? कहते हैं कुछ और कुछमढ़ जाते हैं.
मेरी भी यही प्रार्थना है कि वह हमें सद्बुद्धि दे.
पं जी आजकल कथा सप्ता पढने वालो का बोलबाला है | जल्दी करके यह धंधा पकड़ लीजिए | फायदे में रहेंगे |
ईश्वर आपकी प्रार्थना सुने और इच्छा भी पूरी करे!
आमीन ... आशा है प्रभू जल्दी ही आपकी सुनेंगें ... ब्लॉगेर का भी कुछ भला होगा ... आधुनिक युग के गुरु-चेले अपने आप को ही रेवरी बाँट रहे हैं .... अच्छा व्यंग है आज के हालात पर .....
sab kuch ulta pulta hi is internet ke samunder mein jhooth sikhya ja raha khoob thagi karo ko rokne wala nahi hein. aadmi ki apni budhi to khtam hone ja rahi hi kayoki sab manushya software mein daal dega or vo hi jaankari dega.
girish
http://tassels-decoration.blogspot.com
Wonderful article. I'm struggling with a few these troubles.
एक टिप्पणी भेजें