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शनिवार, 2 अक्तूबर 2010

मनोविज्ञान का अन्य विज्ञानों से सम्बन्ध

मनोविज्ञान ( Psychology ) का यदि अन्य विभिन्न विज्ञानों से सम्बन्ध प्रकट किया जाए तो उसका अपना कार्यक्षेत्र पहले से ओर भी स्पष्ट रूप से प्रकाशित होने लगता है.पूर्व के आलेखों( मनोविज्ञान--क्या, क्यों, कैसे ?)तथा (मानसिक क्रियाकलाप तथा उनके भेद (मनोविज्ञान भाग-2) में आपने पढा कि मनोविज्ञान उस शास्त्र का नाम है, जो कि मानसिक व्यापारों(Mental activities) की क्रमबद्ध समीक्षा करता है. इन समस्त मानसिक व्यापारों(क्रियाकलापों) को हम तीन भागों में बाँट सकते हैं. (1) ज्ञान सम्बन्धी (2) संवेदन सम्बन्धी (3) क्रिया सम्बन्धी.

मनोविज्ञान जहाँ इन तीनों प्रकार के मानसिक व्यापारों का स्वरूप प्रकट करता है, वहीं इनमें से प्रत्येक भाग अपनी मीमांसा के लिए विज्ञान की किसी अन्य शाखा के अधीन रहता है. ज्ञान सम्बन्धी मानसिक व्यापारों की विशेष मीमांसा तर्कशास्त्र(Logic) का कार्य है.संवेदन सम्बन्धी मानसिक व्यापारों की विशेष मीमांसा सौन्दर्य शास्त्र का कार्य है तथा क्रिया सम्बन्धी मानसिक व्यापारों की विशेष मीमांसा का कार्य आचार/नीति-शास्त्र (Ethnology) के अधिकार क्षेत्र में आता है. अत: यह विज्ञान की ये तीनों शाखाएं (तर्कशास्त्र, सौन्दर्यशास्त्र, आचार/नीति-शास्त्र) मनोविज्ञान के अन्तर्गत रहती हैं. मनोविज्ञान से इनका भेद कईं प्रकार से दर्शाया जा सकता है.
(1) मनोविज्ञान का कार्यक्षेत्र इन तीनों विज्ञानों से विस्तृ्त है.

(2) मनोविज्ञान वास्तविकता की दृ्ष्टि से मानसिक क्रियाकलापों की समीक्षा करता है अर्थात वह यह दिखलाने का प्रयत्न करता है कि इन क्रियाकलापों का वास्तविक स्वरूप क्या है और वें किस प्रकार एक दूसरे से संबद्ध है. मानसिक जीवन का उदय और विकास कैसे होता है ? सारे विचार में अस्ति की दृ्ष्टि प्रधान रहती है. परन्तु इस के अन्तर्गत उपरोक्त वर्णित तीनों प्रकार के विज्ञान अपने-अपने प्रतिपाद्य क्रियाकलापों की निर्णयात्मक दृ्ष्टि से समीक्षा करते हैं. तर्कशास्त्र (Logic) ज्ञान सम्बन्धी मानसिक क्रियायों की विवेचना सत्यासत्य निर्णय की दृ्ष्टि से करना चाहता है. वह यह बतलाना चाहता है कि हमें कैसे चिन्तन करना चाहिए ?. ताकि हमारा विचार सत्य विचार कहला सके.
नीतिशास्त्र (Ethnology) क्रियामूलक मानसिक क्रियायों की अच्छाई-बुराई की दृ्ष्टि से विवेचना करता है, उस की कार्य समाप्ति इसी में है कि वह हमें अच्छे, बुरे कर्मों का भेद बतला सके तथा आदर्श चरित्र गठन में हमारा सहायक बन सके.
इसी प्रकार सौन्दर्य शास्त्र (Aesthetics) भी सौन्दर्य तथा कुरूपता के भेद का निर्णय करता है. किसी वस्तु की सुन्दरता का अनुभव करते समय जो मानसिक दशा उपस्थित होती है या जिन भावों का उदय होता है, उन का सीधा निरूपण तो मनोविज्ञान के हाथ में है, परन्तु हम एक वस्तु को सुन्दर क्यों कहते हैं ?---इस बात का निर्णय सीधे तौर पर सौन्दर्य शास्त्र का कार्य है.

शरीर का आत्मा के साथ कितना घनिष्ठ सम्बन्ध है, इस पर विस्तारपूर्वक चर्चा हम आगे के लेख में करेंगें. परन्तु यहाँ केवल हमें इतना स्मरण रखना चाहिए कि जितना अधिक हम को शरीर रचना आदि का ध्यान होगा, उतना ही अधिक हम मानसिक क्रियाकलापों को समझ सकेंगें. मनोविज्ञान नें शरीर और आत्मा का घनिष्ठ सम्बन्ध स्वीकार करते हुए "दैहिक मनोविज्ञान" ( Physical Psychology) की स्थापना की है, इसी प्रकार यदि अधिक दीर्घ दृ्ष्टि से देखा जाए तो जीवन विद्या (Biology) भी मनोविज्ञान के साथ अपना सम्बन्ध जोडती चली जाती है. जीवन विद्या चेतन पदार्थों का जड पदार्थों से भेद प्रकट करती है तथा जीवित पदार्थों अथवा प्राणियों के क्रियाकलापों का अध्ययन करती है. यह अध्ययन मानुषिक क्रियाकलापों के अध्ययन में बहुत कुछ सहायक हो सकता है.
क्रमश::.......

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11 टिप्‍पणियां:

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

सुन्दर विवेचन वत्स सहाब, आज आपका ब्लोग जल्दी खुल गया, वरना तो काफ़ी वक्त लग्ता है , जाने क्यो ?

ZEAL ने कहा…

very interesting and informative post. Psychology is my all time favourite subject.

संजय @ मो सम कौन... ने कहा…

वत्स साहब, रोचक तरीके से विषय को समझाया है आपने, और जानकारी मिलने का इंतजार करेंगे।
आभार।

बेनामी ने कहा…

पंडित जी बेहद पठनीय व ज्ञानवर्धक रही पोस्ट/ अब तो हमें भी इस विषय में आनन्द आने लगा है/
प्रणाम/

बेनामी ने कहा…

पंडित जी बेहद पठनीय व ज्ञानवर्धक रही पोस्ट/ अब तो हमें भी इस विषय में आनन्द आने लगा है/
प्रणाम/

बेनामी ने कहा…

रोचक लेख लगा। विषय बहुत गहन है, लेकिन आप इसे सरल शब्दों में प्रस्तुत कर रहे हैं।

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

विषय का अति सहज और धारा प्रवाह विवेहन किया गया है, कृपया इसे अनवरत चालू रखें. शुभकामनाएं.

रामराम.

Amit Sharma ने कहा…

दिमाग में घंटियाँ बजने लगीं है, नज़रों में नयी तस्वीरें बनने लगीं है
मन में उथल-पुथल मची है, परतें खुलकर बात समझ में आने लगीं है

विषय बहुत गहन है, लेकिन आप इसे सरल शब्दों में प्रस्तुत कर रहे हैं। आभार।

राज भाटिय़ा ने कहा…

वत्स जी बहुत सुंदर ओर सरल तरीके से आप से इन बातो को समझाया, धन्यवाद

दिगम्बर नासवा ने कहा…

स्पष्ट विवेचन किया है आपने ... लगता है मनोविज्ञान की समझने के लिए अनेक ज्ञान लेने पढ़ेंगे ....
पर धीरे धीरे समझ आ जाएगा ... आपकी शैली आसान और सुंदर है ..

बेनामी ने कहा…

nice post. thanks.

www.hamarivani.com
रफ़्तार