किसी समय की बात है, एक आदमी हुआ करता था. अब यह न पूछिए कि वह कौन था और कहाँ रहता था. कथा-कहानियों में यह आवश्यक नहीं है कि कथा के नायक का नाम, पता, बाप का नाम, निवास स्थान वगैरह का इस प्रकार वर्णन किया जाए, मानो वह किसी झूठे मुकद्दमे में जज के सामने गवाही देने गया है. हाँ तो आप केवल इतना ही समझ लीजिए कि एक व्यक्ति था और एक था उसका पुत्र. एक दिन उसके दिमाग में आया कि जरा अपने बेटे की मनोवृति का तो पता चले कि आखिर उसका झुकाव है किस ओर.
लो जी, उसने अपने पुत्र की मनोवृति का झुकाव जानने के लिए उसकी अनुपस्थिति में एक बोतल शराब, नोटों की एक गड्डी, और एक भगवतगीता उसकी मेज पर धर दिए. उसका विचार था कि यदि लडके नें नोटों की गड्डी उठा ली, तो मैं समझूँगा कि उसका झुकाव कोई बडा सेठ-साहुकार बनने की ओर है अर्थात उसे धन कमाने की चिन्ता होगी. यदि उसने भगवतगीता को उठा लिया तो उसका यह अर्थ होगा कि उसकी रूचि धर्म-कर्म, आध्यात्म की ओर है. अगर कहीं उसने शराब की बोतल उठा ली तो उसका परिणाम यही निकलता है कि वह एक अवारा, ऎबी, दुराचारी व्यक्ति सिद्ध होगा. अब वो व्यक्ति रात को जब घूम फिरकर लौटा तो देखता क्या है कि उसका सपूत बगल में भगवतगीता दबाए,नोटों की गड्ढी जेब के हवाले किए और शराब की बोतल खोलकर पैग पर पैग चढाए जा रहा है. देखते ही बन्दे नें माथा पकड लिया और समझ गया कि यो सपूत आगे चलकर जरूर राजनीतिज्ञ बनेगा..

आजकल राजनीतिज्ञ बनने के लिए इन तीनों साधनों का होना अनिवार्य है. यानि कि धन, शराब और धर्म, इन तीनों का घालमेल आवश्यक है. राजनेताओं नें इसी उपाय से देश भर पर अपना आतंक तथा अधिकार जमा रखा है.
धर्म ईमान, प्रतिज्ञा पालन, वचन की लाज, सहानुभूति, भ्रातृत्व आदि दैवी गुणों तो वर्तमान युग की राजनीति से इस कदर उड गए हैं कि जैसे गधे के सिर से सींग. धोखा, बेईमानी, विश्वाशघात, शोषण, लूट-खसोट आदि को नए नए तथा आकर्षक और मनमोहक नाम देकर राजनीति के क्षेत्र में चालू टकसाली सिक्के बना दिया गया है.
राजनीति महारानी की जय हो!!
आज जरा हल्का-फुल्का ही झेल जीजिए. हो सकता है कि आगामी पोस्ट आपकी उम्मीद से भी बढकर भारी भरकम रहे. बिल्कुल इस नेता जी की तरह :)
18 टिप्पणियां:
कहानी में एकदम सटीक आंकलन है नेता होने के लिए जरुरी गुणों का
बिलकुल सही आंकलन.
नेताओं में अगर ब्लोगिंग वाला एक गुण और जुड जाए तो ......|
खरी बात कही पंडित जी/ आज की राजनीती की हालत तो दिल्ली के जीबी रोड माफिक हो चुकी है और सारे नेता बन चुके हैं दलाल/
प्रणाम/
खरी बात कही पंडित जी/ आज की राजनीती की हालत तो दिल्ली के जीबी रोड माफिक हो चुकी है और सारे नेता बन चुके हैं दलाल/
प्रणाम/
राजनीति महारानी की जय हो!!
नेता के समस्त लक्षण बता दिये हैं.
वाह पंडित जी बहुत सुंदर लिखा आप ने, आप से सहमत हे जी
इन तीनों के बगैर तो नेतागिरी चल ही नहीं सकती...बहुत अच्छा।
बहुत सटीक...झेल गये! :)
पंडित जी,
नेताओं के बारे में लिखा तो आपने सही है। लेकिन नेता फ़िर भी पहचान लिये जाते है जब वोट मांगने आते है। पर उन छ्द्म विचारकों का क्या किजियेगा जो इन तीनों को माध्यम बनाकर, दुर्विचार लोगों के दिमागों में ठेल रहे है।
कितना कुछ करना पढ़ता है इन बिचारे नेताओं को .... पैसा ... गीता ... शराब ... और वो भी सब कुछ जनता के लिए .... सच में जय हो नेताजी की ... ...
रविवारीय सूक्ति -राजनीति स्पेशल रही .
कथा की शुरुआत रोचक ढंग से हुई.
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धन्यवाद शर्मा जी, यूँ ही कुछ हास्य लिख दिया था। अच्छा लगा आप आये।
सच कहा आपने राजनीति में यह सब घालमेल चलता रहता है।
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