मुझे लग रहा है कि अब इस ब्लागजगत में मठाधीशी, अनामी-बेनामी ब्लागर,  तेरा धर्म-मेरा धर्म जैसी टपोरपंथी, अन्याय, वगैरह से लडने की शक्ति  बिल्कुल ही चूक गई है, तभी तो कितने दिन हो गए ऎसी कोई धमाकेदार सी किसी को  गरियाती हुई कोई पोस्ट नहीं दिखाई पडी. विश्वास नहीं हो रहा कि ये वही बीते कल  वाला ब्लागजगत ही है या कि हम ही गलती से किसी ओर जगह चले आए हैं. हमें भी  मामला कुछ समझ में नहीं आ रहा कि आखिर बात क्या है. माहौल में ये अजीब सी  खामोशी क्यूं छाई हुई है भाई. इत्ते दिन बीतने के बाद भी कहीं से ऎसी कोई  पोस्ट न पढने को मिले तो इसका मतलब ये समझा जाए कि समूचा ब्लागजगत अब  समझौतावादी हो गया है. क्या आप लोगों नें भी देश की जनता की तरह बिगडे  हालातों से समझौता करना सीख लिया है. उस गरीब जनता की तरह, जिसके लिए कि  आशा की कोई भी किरण किसी भी क्षितिज पर शेष न रह पाई है.
अरे भाई! ऎसा कैसे चलेगा.....हमें तो ये खामोशी कुछ चुभने सी लगी है. लग ही नहीं रहा कि ये वही ब्लागजगत है. भाई कम से कम मन को इतना तो अहसास होते ही रहना चाहिए कि हम हिन्दी के ब्लागर हैं.......:-)
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बुधवार, 26 मई 2010
लगता है ब्लागजगत अब समझौतावादी हो गया है.........
शुक्रवार, 14 नवंबर 2008
विकसित देश की पहचान
गुरु : विकसित देश की कोई पहचान बताओ बेटा !
चेला : विकसित देश विकासशील देशों को दान देते हैं।
गुरु : और फिर?
चेला: फिर कर्ज देते हैं।
गुरु : और फिर?
चेला: फिर ब्याज के साथ कर्ज देते हैं।
गुरु : और फिर?
चेला: और फिर ब्याज ही कर्ज देते हैं।
गुरु : और फिर?
चेला : और फिर विकसित देशों को विकसित मान लेते हैं।
चेला : विकसित देश विकासशील देशों को दान देते हैं।
गुरु : और फिर?
चेला: फिर कर्ज देते हैं।
गुरु : और फिर?
चेला: फिर ब्याज के साथ कर्ज देते हैं।
गुरु : और फिर?
चेला: और फिर ब्याज ही कर्ज देते हैं।
गुरु : और फिर?
चेला : और फिर विकसित देशों को विकसित मान लेते हैं।
गुरु : विकसित देशों की कोई ओर पहचान बताओ बेटा !
चेला: विकसित देशों में मानसिक रोगी अधकि होते हैं।
गुरु : क्यों? शारीरिक रोगी क्यों नहीं होते?
चेला : क्योंकि शरीर पर तो उन्होंने अधिकार कर लिया है मन पर कोई अधिकार नहीं हो पाया है।
चेला: विकसित देशों में मानसिक रोगी अधकि होते हैं।
गुरु : क्यों? शारीरिक रोगी क्यों नहीं होते?
चेला : क्योंकि शरीर पर तो उन्होंने अधिकार कर लिया है मन पर कोई अधिकार नहीं हो पाया है।
गुरु : कोई और पहचान बेटा !
चेला : विकसित देशों में तलाक़ें बहुत होती हैं।
गुरु : क्यों?
चेला : क्योंकि प्रेम बहुत होते हैं।
गुरु : प्रेम विवाह के बाद तलाक़ क्यों हो जाती है?
चेला : दूसरा प्रेम करने के लिए।
चेला : विकसित देशों में तलाक़ें बहुत होती हैं।
गुरु : क्यों?
चेला : क्योंकि प्रेम बहुत होते हैं।
गुरु : प्रेम विवाह के बाद तलाक़ क्यों हो जाती है?
चेला : दूसरा प्रेम करने के लिए।
गुरु : कुछ और ?
चेला : विकसित देशों में बूढ़े अलग रहते हैं।
गुरु : और जवान?
चेला : वे भी अलग रहते हैं।
गुरु : और अधेड़?
चेला : वे भी अलग रहते हैं।
गुरु : तब वहां साथ-साथ कौन रहता है?
चेला : सब अपने-अपने साथ रहते हैं।
चेला : विकसित देशों में बूढ़े अलग रहते हैं।
गुरु : और जवान?
चेला : वे भी अलग रहते हैं।
गुरु : और अधेड़?
चेला : वे भी अलग रहते हैं।
गुरु : तब वहां साथ-साथ कौन रहता है?
चेला : सब अपने-अपने साथ रहते हैं।
चेला : विकसित देशों में इंसान जानवरों से बड़ा प्यार करते हैं।
गुरु : क्योंकि जानवर इंसान से बड़ा प्यार करते हैं। इसी लिए ना ?
चेला : नहीं गुरुदेव ! इस लिए की वहां इंसान को इंसान का और जानवर को जानवर का प्यार नही मिलता 
गुरु :इसका मतलब बहुत जल्द अब हम भी विकासशील से विकसित देशों की कतार में खड़े होने जा रहे हैं 
आइये स्वागत करें नए विकसित भारत का ...........
(श्री हरिशंकर परसाई जी)
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