कुछ इधर की, कुछ उधर की
कुछ कल्पनाऐं, थोड़ा चिन्तन और शेष बस यूँ ही....
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बेहया
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बेहया
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सोमवार, 8 दिसंबर 2008
हमसा बेहया कोई नहीं !
एक दिन वह था कि हम सारे जहां में फर्द थे
.
एक दिन यह है कि हमसा बेहया कोई नहीं
एक दिन वह था कि अपनी शान पर देते थे जान
एक दिन यह है कि हमसा बेहया कोई नहीं
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