महिला जागरण! महिला सशक्तिकरण----जिसके लिए चिरकाल से छिटपुट प्रयत्न होते रहे हैं। न्यायशीलता सदा से यह प्रतिपादन करती रही है कि "नर और नारी एक समान" का तथ्य ही सनातन है। जीवन एक गाडी है तो उस गाडी के दोनों पहियों को एक समान महत्व मिलना ही चाहिए। स्त्री एवं पुरूष दोनों को समान श्रेय सम्मान, महत्व और अधिकार मिलना नीतिगत ही नहीं बल्कि आवश्यक भी है। लेकिन इस प्रतिपादन के बावजूद बलिष्ठता के अहंकार नें पुरूष द्वारा नारी को पालतू पशु जैसी मान्यता दिलाई और उसके शोषण में किसी प्रकार की कोई कमी न रखी। सुधारकों के प्रयत्न भी जहाँ तहाँ एक सीमा तक ही सफल होते रहे, अनथक प्रयासों के बावजूद भी अभी तक समग्र परिवर्तन का माहौल बन ही नहीं पाया। किन्तु आज यह अनोखा समय आ गया है, जब सहस्त्राब्धियों से प्रचलित कुरीतियों की जंजीरें मानो कच्चे धागे की तरह टूट कर गिरने ही वाली हैं------क्यों कि आज संसंद में महिला आरक्षण बिल पास होते ही उसे शासकीय व्यवस्था में प्रतिनिधित्व मिलने जा रहा है। आने वाले दिनों में सारी दुनिया देखेगी जब प्रत्येक क्षेत्र में इनका अनुपात और गौरव भारतवर्ष के कोने कोने में निरन्तर बढता जाएगा।
आने वाले दिनों में देखिएगा कि जब ये महिला सशक्तिकरण बिल्कुल अनोखे रूप में अपने ही ढंग का होगा। इससे एक ओर तो उनमें आत्म विश्वास जागृ्त होगा, वहीं प्रगति पथ पर चलने का मनोरथ अदम्य रूप से उभरेगा। इस बार पुरूषों का रूख उनके मार्ग में बाधा पहुँचाने का नहीं वरन् उदारतापूर्ण सहयोग देने का ही होगा। क्यों कि...........................???
बस अब हम इस से अधिक नहीं लिख सकते। कारण कि हमारे कम्पयूटर के "मूषकदेव" ने काम करना बन्द कर दिया है। अब नये मूषकदेव के आने तक क्या प्रतीक्षा करें, सो इस "क्यों" का जवाब देने की जिम्मेदारी आप लोगों पर छोडे जा रहे हैं......चाहे तो आप इसे एक पहेली मान लीजिए :-)
हैप्पी महिला दिवस!!!