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रविवार, 30 नवंबर 2008

मिलिए देश के भावी प्रधानमंत्री से


आज की ताजा खबर

मुम्बई में हुए आतंकवादी हमलों के संदर्भ में आज शाम प्रधानमंत्री द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी नहीं जाएंगे।

भाजपा का कहना है कि श्री आडवाणी राजस्थान में चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं इसलिए उनका इस बैठक के लिए आना संभव नहीं।

भाजपा के एक अन्य नेता, पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह भी इस बैठक में शामिल नहीं होंगे।

वाह रे लौह पुरुष, धिक्कार है तुझ पे और तेरी राष्ट्रवादी पार्टी पर, राजनीति चमकाने के लिये तुझे और तेरी पार्टी के हि दूसरे तेरे जैसे नपुंसकों के पास, मुम्बई जाने का टाईम था. ओर सरकार को कोसने का भी तुम लोगों के पास पूरा टाईम होता है,

आज जब अपने राजनीतिक स्वार्थों का त्याग करके देश की समस्त राजनीतिक पार्टियों को सरकार का सहयोग करना चाहिये, ये महाशय चुनाव प्रचार ओर भविष्य् में प्रधानमंत्री बनने के सपने देखने मे व्यस्त है.

13 टिप्‍पणियां:

!!अक्षय-मन!! ने कहा…

BILKUL SAHI BHASHA PRYOG KI HAI.....INKE LIYE, SAB EK HI CHATHE-BHATHE KE HAIN JIS MEI KHATE HAIN US ME HI CHED KARTE HAIN SAB SWARTHI HAIN SABKE SAB......
DHIKKAR HAI HAI MUJHE AISI RAJNITI PAR..

Khatri The King ने कहा…

MANMOHAN SINGH JI ADWANI KO APNE SAH MUMBAI NAHI LE GAYE THEY, SHAYAD ISLIYE ADWANI JI NE INKAAR KIYA.
LEKIN PANDIT JI AAPKO IS TARAH KI ASHOBHNIYA BHASHA KA ISTEMAAL KARNE SE BACHNA CHAHIYE ~!

PD ने कहा…

मुझे तो भाषा बहुत संतुलित लग रही है.. हां अगर यहां भाजपा या कांग्रेस वाले आये और उन्हें भाषा पर आपत्ती हो तो बात और है.. मेरी नजर में दोनों ही हिजड़ों कि जमात है..

prasun ने कहा…

sab aise hi hain ,aise hi rahenge.hamiein hi eik hokar uun sabhi netaon ko sudharana padega.hamare hi susti aur udasinata ke karan voh neta log is tarah ka bartav karate hain.to aao saathiyon ham sabhi kamar kaskar aatankwaad ka mukabala karein aaur rajnetaon ko jawabdehi ke saath kaam karane ke liye prerit karein. kewal dosharopo\an karne se kuchh nahin hoga.

ज्ञान ने कहा…

अपना प्रोफाईल न जाहिर करने वाले राजा, आपको शायद मालूम नहीं कि अड़वानी जी, मनमोहन सिंह के साथ आने की बजाये पहले ही मुम्बई के लिए दौड़ पड़े थे, यह कहते हुए कि प्रधान मंत्री जी के साथ आने से मैं माहौल का सही जायजा नहीं ले पाऊँगा। इसलिए उनके साथ नहीं आया। आप तमाम टीवी चैनलों पर उन्हें यह कहते देख सकते थे।

ऐसे लोगों को आप जैसे लोग ही सिर और सिंहासन पर चढ़ाते हैं। और पंडित जी ने कुछ भी अशोभनीय नहीं लिखा। बाकी जगह तो उन्हें (अड़वानी) मा****, ब**** लौ**** और गाँ**** तक लिखा जा रहा है।

mere keyboard mein shayad kuchh gadabad ho gayii hai likanaa chaahiye thaa माननीय, बढ़िया, लौहपुरूष और गाँडीवधारी

राहुल सि‍द्धार्थ ने कहा…

लौह पुरुष पता नही किसका भला कर रहे ऐसी मीटिंग में न जाकर लेकिन देश तो उनके इस कर्तव्य के लिये जरूर याद रखेगा.

"अर्श" ने कहा…

akshay aur PD ji dono se hi sahamat hun ye dono hi ek hi thali ke chatte batte hai... pahale aatank ki rajniti hui ab rajnitik aatankwad hoga ...

बेनामी ने कहा…

ये राजनीती है भाई वो भी भारत की !क्या कहें !

अनुनाद सिंह ने कहा…

कम्युनिस्टी लीपापोती शुरू हो गयी?

पहले अपने ब्लाग का सही नाम तो लिखना सीख लो! 'ईधर' नहीं, 'इधर' शुद्ध है।

बेनामी ने कहा…

सब साले चौर है, बहरहाल आपने अच्छा लिखा है

बेनामी ने कहा…

आलोक तोमर की निम्न न्यूज पढ़ लीजिये.
http://aloktomar.com/?p=403

डेटलाइन इंडिया
नई दिल्ली, 1 दिसंबर- प्रधानमंत्री द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी का नहीं आना कांग्रेस के लिए भले ही मुद्दा बन गया हो मगर कांग्रेस और केंद्र सरकार को अपने गरेबान में भी झांक कर देखना पड़ेगा।

पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने घोषणा की थी कि इस विदेशी हमले का जवाब देने के लिए और भारत की एकजुटता दिखाने के लिए वे प्रतिपक्ष के नेता लाल कृष्ण आडवाणी के साथ मुंबई जाएंगे। श्री आडवाणी जो इसके पहले ही बयान दे चुके थे कि राष्ट्रीय संकट की इस घड़ी में वे भारत सरकार का साथ देंगे, को प्रधानमंत्री कार्यालय से निमंत्रण भी चला गया था और उन्हें उड़ान के समय की पक्की जानकारी जल्दी ही दी जानी थी।

यह जानकारी कभी नहीं आई मगर श्री आडवाणी को बताया गया कि प्रधानमंत्री कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ मुंबई रवाना होने वाले हैं और मुंबई में श्री आडवाणी की इन नेताओं से जहां मुलाकात होनी हैं उस जगह की सूचना उन्हें जल्दी ही दे दी जाएगी। श्री आडवाणी खुद मुंबई के रास्ते में थे और उन्होंने जवाब दिया कि वे इस सूचना का इंतजार करेंगे।

मनमोहन सिंह और श्रीमती गांधी मुंबई जा कर लौट भी आए मगर श्री आडवाणी को इस बारे में कभी कोई सूचना नहीं दी गई। इसके बाद सर्वदलीय बैठक के बारे में जहां बाकी सभी दलों के नेताओं को निजी संदेश दे कर बुलाया गया था वहीं भाजपा के कार्यालय अशोक रोड में औपचारिक पत्र भेज कर काम चला लिया गया। श्री आडवाणी और पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह राजस्थान में और महासचिव अरुण जेटली जम्मू में चुनाव अभियान में लगे थे इसलिए उनका आना भी संभव नहीं था। अब यह कांग्रेस के नेता और खास तौर पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ही बता सकते हैं कि उनका इरादा श्री आडवाणी को अपने साथ शामिल करने का था भी या नहीं।

बेनामी ने कहा…

ये सच है की सरे नेता एक सामान है, पर हमे उनमे से सर्वोतम विकल्प का चुनाव करना है तो मनमोहन सिंह की मेमियाती आवाज की जगह आडवानी की गरजती दहाड़ ही सही है. जहा तक सर्वदलीय बैठक की बात है तो वो तो कांग्रेस की लीपापोती कार्यक्रम था और उसका तो बहिष्कार ही होना चाहिए. ये भी सही है कि आडवानी की तुलना कायर और मतलबपरस्त वामपंथियों से तो कर नही सकते. अतः विकल्प तो एक ही है हमारे पास... और जनता चाहती है दंड ना की फरियाद...

BrijmohanShrivastava ने कहा…

पंडितजी /आने में विलंब हुआ क्षमा प्रार्थी हूँ /आपने बिल्कुल सही लिखा है यही हो रिया है अपनी अपनी ढपली अपना अपना राग

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रफ़्तार