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मंगलवार, 30 दिसंबर 2008

उपहार

वन विभाग के दफ्तर में बडे साहब अपनी सीट पर बैठे अखबार के पन्ने पलट रहे थे, कि तभी उनका मातहत हथकडी में जकडे दो लोगों को लेकर अन्दर दाखिल हुआ.

‘‘साहब, हम लोगों ने जंगल में इन दो शिकारियों को बन्दूकों सहित गिरफ्तार किया है। इनके पास से मारा गया एक हिरन भी बरामद हुआ है। अब आपका हमारे लिए क्या हुक्म है?’’ वन विभाग के उस रक्षक ने अपने अधिकारी से पूछा।

‘‘वैरी गुड! बडे साहब ने कहा’’ फिलहाल इन दोनों को वन चौकी के लाक–अप में डाल दो। फिर वन्य जीव रक्षा अधिनियम के अन्तर्गत इन पर गम्भीर धाराएँ लगाकर मुकदमा चलेगा तथा कड़ी सजा दिलाई जाएगी।

‘‘और..साहब, उस मारे गए हिरन का क्या किया जाए ?’’ वन विभाग के रक्षक ने मुस्कुराते हुए पूछा।
‘‘अब ये भी मुझे ही बताना पडेगा ” बडे साहब ने आँखें निकालीं
ठीक से काँट–छाँट कर कुछ गोश्त तो यहाँ पहुँचा देना तथा बाकी तुम सब आपस में बाँट लेना।

ओर हाँ, ध्यान रहे, उसकी खाल जरा सँभाल के उतारना, वह खराब नहीं होनी चाहिए।
मैंने पंडित जी को पूजा के आसन के लिए उपहार स्वरूप एक सुन्दर मृगछाला देने का वचन दिया हुआ है।’’

5 टिप्‍पणियां:

महेन्द्र मिश्र ने कहा…

नववर्ष की ढेरो शुभकामनाये और बधाइयाँ स्वीकार करे . आपके परिवार में सुख सम्रद्धि आये और आपका जीवन वैभवपूर्ण रहे . मंगल कामनाओ के साथ .धन्यवाद.

राज भाटिय़ा ने कहा…

कोन चोर कोन सिपाही.... सभी एक से बढ कर एक, बहुत अच्छी लगी आप की यह लघु कथा.
धन्यवाद

नीरज गोस्वामी ने कहा…

नव वर्ष की आप और आपके समस्त परिवार को शुभकामनाएं....
नीरज

BrijmohanShrivastava ने कहा…

बड़े साहब न भी कहते तो बात स्वम सिद्ध थी /नव वर्ष शुभ हो

बेनामी ने कहा…

आपको भी नववर्ष की शुभकामनायें, जब भी आप नया लिखें मेरे ब्लाग पर लिंक अवश्य छोड़ दें.

www.hamarivani.com
रफ़्तार