कहते हैं कि असली दुकानदार वही है जो कि बाजार की नब्ज पहचानता हो,जिसे ग्राहकों की पसन्द/नापसंद का अनुमान लगाना आता हो.अब हम तो ठहरे नितांत पोंगा पंडित, हमें दुकानदारी या बाजार के माहौल के बारे में क्या पता. अपना तो जिन्दगी जीने का सीधा सा तरीका है, जिधर को हवा बहा ले गई बस उधर को ही बहते चले गए.
आजकल चिट्ठाजगत पर पहेलियों की बयार बह रही है.एक तरफ हमारे ब्लागजगत के पहेली सम्राट राज भाटिया जी तथा दूसरी ओर अरविन्द मिश्रा जी नई नई पहेलियों के जरिए हमारी जानकारियों में वृ्द्धि कर रहे हैं. वहीं मोहन जी भी अपने चिट्ठे पर यदा कदा पहेली चिपका ही देते है(आजकल शायद वो छुट्टी पर चल रहे हैं).ओर तो ओर आजकल अपने ताऊ ने भी शनिवार के दिन चोरी/ठगी/बेईमानी का धंधा छोडकर पहेली पूछने का काम पकड लिया है.जरूर शनि देवता ने ताऊ के सुपने में आके लट्ठ बजाए होंगे के 'ऊत ठहर जा, नईं तो तेरे पै साढेसाती शुरू कर दयूंगा'.अर लगता है कि डर के मारे ताऊ नै हफ्ते में शनिवार का दिन ईमानदारी से बिताने का निर्णय ले लिया ओर खाली बचे टाईम का सदुपयोग करते हुए पहेलियां बुझानी शुरू कर दी.
जैसा कि मैने आपको पहले बताया कि अपनी जिंदगी का तो सीधा सा फलसफा है कि जिधर को हवा बहा ले गई, उधर को ही बहते चले गए .ओर इसी हवा के बहाव को देखते हुए आज मैने भी आप लोगों से एक पहेली पूछने का मन बनाया है.
आप यहां जो तस्वीर देख रहे हैं, उसमें एक तरफ की कुर्सी पर तो अपने ताऊ बुश बैठे हैं तथा दूसरी कुर्सी पर चाचा ओबामा.साथ ही उनके चरणों में मामा जरदारी याचक की मुद्रा में बैठे दिखाई दे रहे हैं.
अब आप लोगों को सिर्फ इतना बताना है कि मामा श्री जरदारी क्या कहना चाह रहे हैं या फिर क्या मागं रहे हैं.
बस अब आप फटाफट जवाब दे दीजिए.
पहेली के विजेताओं का निर्णय उत्तर की रोचकता के आधार पर किया जाएगा.
पहेली के विजेता को मिलेगा 9 दिन ओर 6 रातों के लिए पाकिस्तान टूरिज्म की तरफ से ब्लूचीस्तान के कबायली इलाके का एक फ्री हालिडे पैकेज.
(disclaimer:- इस पोस्ट का जो शीर्षक "बूझो तो जाने" मैने रखा है, असल में वो हमारे राज भाटिया जी अपनी पहेलियों में प्रयोग करते हैं,जिसका मैने उन्हे पूछे बगैर प्रयोग किया है.अब भाटिया जी से निवेदन है कि अगर कोई कापीराईट वाला मामला बनता हो तो कृ्प्या गरीब ब्राह्मण समझ कर क्षमा कर दें)
8 टिप्पणियां:
वत्स जी
सबसे पहली टिप्पणी मेरी है, इसलिए डर रहाहूँ जवाब दूँ या ना दूँ, आपका इनाम भी तो पाकिस्तान के बलूचिस्तान जाने का है. क्या पता मैं जीत गया तो आप मुझे इनाम लेने को मजबूर ही कर देन और मैं भी शेख दिगम्बर बिन ओसामा बिन लादेन बन कर वापस लौटूं, पर हम तो भाई हरियाणा के हैं तो जवाब तो देगे ही................मुझे लगता है ज़र्दारती साहब दोनों की शान में कव्वाली गा रहे हैं और बाद में एक टोकरा रखेंगें उन के सामने.............
इस पहेली का ईनाम देख कर ही पतली गली से खिसक लेना ही बेहतर है.
गलती से भी अगर जवाब सही हों गया to ?????
अरे कोई बात नही ईनाम तो मिलेगा ना,
तो मेरा जबब यह है कि भिखारी सहाब जी कह रहे है, बुश जी अब आप गये अपने जुते मुश से चमकवओ, मै तो ऒबामा के जुते ही चमकाऊगां.
तो भाई अब जल्दी से इनाम भेज दो
ओर पंडित जी कापी राईट वाला मामला भी मेने अभी देखा, तो भाई अब जो इनाम मुझे मिलने वाला अब वो आप का यही तो क्षमा है.जाओ अब आप घुम आओ
जरदारी यही मांगने गये हैं कि अब तक जो तरजीह पाकिस्तान को मिलता रहा वह मिलता रहे।
Mujhe to Digamber Nasva ji ka kthan sahi lag raha hai lock kr diya jaye.....
ज़रदारी साहब की सही जगह वही हैं | साधू ! साधू !
हम भारत-(कानपूर, मथुरा, वृन्दावन, एवं भोपाल इत्यादि ) की यात्रा पर थे, अत: इस लेख के दूसरे भाग को लिखने में देरी हो गयी | प्रस्तुत है इस लेख का दूसरा भाग | सविनय धन्यवाद |
baadal.wordpress.com
yaha bhi paheli shuroo ho gayee . vande maatram
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