बहुत दिनों से या तो कुछ लिखने का ही मन नहीं कर रहा था।या फिर अगर मन मारकर लिखने भी बैठा तो गम्भीर विषय ही सूझा। इसलिए पिछली दो चार पोस्टें गंभीर सामाजिक विषयों पर ही लिखी गई। अचानक आज पुरानी ईमेल चैक कर रहा था तो उनमे एक मेल दिखाई दी,जिसके जरिए किसी अंजान शख्स नें ढेर सारे चुटकुले भेजे हुए थे। पढने पर बढिया लगे तो सोचा कि क्यूं न आप लोगों के साथ बांट कर मूड को थोडा हल्का कर लिया जाए। तो फिर लीजिए, उन्ही मे से चन्द उधार के चुटकुले झेलिए और हमारे साथ आप भी थोडा सा मुस्कुरा लीजिए.:-----
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चोर की इन्सानियत
एक चोर एक घर में चोरी करने गया। तिजोरी पर लिखा था - तिजोरी को तोड़ने की जरूरत नहीं है। 123 नंबर लंगाकर सामने वाला लाल बटन दबाओ, तिजोरी खुल जाएगी।जैसे ही चोर ने बटन दबाया, अलार्म बजने लगा और पुलिस आ गई।
जाते-जाते चोर ने घर के मालिक से कहा -----"लानत है तुम पर! आज तुम्हारे कारण मेरा इंसानियत से विश्वास उठ गया है ".....
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स्त्री की कर्तव्यनिष्ठा
इंटेलिजेंस ब्यूरो में एक उच्च पद हेतु भर्ती की प्रक्रिया चल रही थी। अंतिम तौर पर केवल तीन उम्मीदवार बचे थे जिनमें से किसी एक का चयन किया जाना था। इनमें दो पुरुष थे और एक महिला।फाइनल परीक्षा के रूप में कर्तव्य के प्रति उनकी निष्ठा की जांच की जानी थी। पहले आदमी को एक कमरे में ले जाकर परीक्षक ने कहा - ''हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि तुम हर हाल में हमारे निर्देशों का पालन करोगे चाहे कोई भी परिस्थिति क्यों न हो।'' फिर उसने उसके हाथ में एक बंदूक पकड़ाई और दूसरे कमरे की ओर इशारा करते हुये कहा - ''उस कमरे में तुम्हारी पत्नी बैठी है। जाओ और उसे गोली मार दो।''
''मैं अपनी पत्नी को किसी भी हालत में गोली नहीं मार सकता''- आदमी ने कहा।
''तो फिर तुम हमारे किसी काम के नहीं हो। तुम जा सकते हो।'' - परीक्षक ने कहा।
अब दूसरे आदमी को बुलाया गया। ''हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि तुम हर हाल में हमारे निर्देशों का पालन करोगे चाहे कोई भी परिस्थिति क्यों न हो।'' कहकर परीक्षक ने उसके हाथ में एक बंदूक पकड़ाई और दूसरे कमरे की ओर इशारा करते हुये कहा - ''उस कमरे में तुम्हारी पत्नी बैठी है। जाओ और उसे गोली मार दो।'' आदमी उस कमरे में गया और पांच मिनट बाद आंखों में आंसू लिये वापस आ गया। ''मैं अपनी प्यारी पत्नी को गोली नहीं मार सका। मुझे माफ कर दीजिये। मैं इस पद के योग्य नहीं हूं।''
अब अंतिम उम्मीदवार के रूप में केवल महिला बची थी। उन्होंने उसे भी बंदूक पकड़ाई और उसी कमरे की तरफ इशारा करते हुये कहा - ''हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि तुम हर हाल में हमारे निर्देशों का पालन करोगी चाहे कोई भी परिस्थिति क्यों न हो। उस कमरे में तुम्हारा पति बैठा है। जाओ और जाकर उसे गोली से उड़ा दो।'' महिला ने बंदूक ली और कमरे के अंदर चली गई। कमरे के अंदर घुसते ही फायरिंग की आवाजें आने लगीं । लगभग 11 राउंड फायर के बाद कमरे से चीखपुकार, उठापटक की आवाजें आनी शुरू हो गईं। यह क्रम लगभग पन्द्रह मिनटों तक चला उसके बाद खामोशी छा गई।
लगभग पांच मिनट बाद कमरे का दरवाजा खुला और माथे से पसीना पोंछते हुये महिला बाहर आई। बोली - ''तुम लोगों ने मुझे बताया नहीं कि बंदूक में कारतूस नकली हैं। मजबूरन मुझे उसे पीट-पीट कर मारना पड़ा।''
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सस्ता समाधान
एक आदमी मनोचिकित्सक के पास गया । बोला -''डॉक्टर साहब मैं बहुत परेशान हूं। जब भी मैं बिस्तर पर लेटता हूं, मुझे लगता है कि बिस्तर के नीचे कोई है। जब मैं बिस्तर के नीचे देखने जाता हूं तो लगता है कि बिस्तर के ऊपर कोई है। नीचे, ऊपर, नीचे, ऊपर यही करता रहता हूं। सो नहीं पाता । कृपा कर मेरा इलाज कीजिये नहीं तो मैं पागल हो जाऊंगा।''
डॉक्टर ने कहा - ''तुम्हारा इलाज लगभग दो साल तक चलेगा। तुम्हें सप्ताह में तीन बार आना पड़ेगा। अगर तुमने मेरा इलाज मेरे बताये अनुसार लिया तो तुम बिलकुल ठीक हो जाओगे।''
मरीज - ''पर डॉक्टर साहब, आपकी फीस कितनी होगी ?''
डॉक्टर - ''सौ रूपये प्रति मुलाकात''
गरीब आदमी था। फिर आने को कहकर चला गया।
लगभग छ: महीने बाद वही आदमी डॉक्टर को सड़क पर घूमते हुये मिला ।
''क्यों भाई, तुम फिर अपना इलाज कराने क्यों नहीं आये ?'' मनोचिकित्सक ने पूछा।
''सौ रूपये प्रति मुलाकात में इलाज करवाऊं ? मेरे पड़ोसी ने मेरा इलाज सिर्फ बीस रूपये में कर दिया'' आदमी ने जवाब दिया।
''अच्छा! वो कैसे ?''
''दरअसल वह एक बढ़ई है। उसने मेरे पलंग के चारों पाए सिर्फ पांच रूपये पाए के हिसाब से काट दिये।''
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विज्ञान का अन्तिम सत्य
एक जीवविज्ञानी मेंढ़कों के व्यवहार का अध्ययन कर रहा था। वह अपनी प्रयोगशाला में एक मेंढ़क लाया, उसे फर्श पर रखा और बोला - ''चलो कूदो !'' मेंढ़क उछला और कमरे के दूसरे कोने में पहुंच गया। वैज्ञानिक ने दूरी नापकर अपनी नोटबुक में लिखा - ''मेंढ़क चार टांगों के साथ आठ फीट तक उछलता है।''
फिर उसने मेंढ़क की अगली दो टांगें काट दी और बोला - ''चलो कूदो, चलो !'' मेंढ़क अपने स्थान से उचटकर थोड़ी दूर पर जा गिरा। वैज्ञानिक ने अपनी नोटबुक में लिखा - ''मेंढ़क दो टांगों के साथ तीन फीट तक उछलता है।''
इसके बाद वैज्ञानिक ने मेंढ़क की पीछे की भी दोनों टांगे काट दीं और मेंढ़क से बोला - ''चलो कूदो!''
मेंढ़क अपनी जगह पड़ा था। वैज्ञानिक ने फिर कहा - ''कूदो! कूदो! चलो कूदो!'' पर मेंढ़क टस से मस नहीं हुआ।
वैज्ञानिक ने बार बार आदेश दिया पर मेंढ़क जैसा पड़ा था वैसा ही पड़ा रहा ।
वैज्ञानिक ने अपनी नोटबुक में अंतिम निष्कर्ष लिखा - ''चारों टांगें काटने के बाद मेंढ़क बहरा हो जाता है।''
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15 टिप्पणियां:
सभी बहुत बढिया लतीफॆ हैं।मजेदार।
मजेदार वाकये!! मजा आया!!
चुटकुले पुराने जरूर है लेकिन मजा उतना ही आता है ।
मजेदार ha ha ha ha ha ha
regards
हां.........हां..........हां.......
बहुत मजेदार चुटकले
वाह, मजा आ गया। और मेंढक वाली रिसर्च बडी नई टाइप की है।
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S.B.A.
TSALIIM.
शर्मा जी /यह तो सत्य है कि किसी ने आपको ये चुटकुले ई मेल पर भेजे नहीं होंगे ये आपके स्वम के पढ़े या सुने हुए चुटकुले है /गंभीर लेखन के बीच बीच में इस प्रकार की मनोरंजन युक्त बर्तालाप दिल को सुकून देता है
tanaav bahri iss zindgi mei agar aise halke-fulke chutkale na ho to
uss bandook mei sach-much ki goliyoN ki zrurat mehsoos ki jane lagegi........
rulane se..
hansaana zyada mahatvapoorn hai aur mushkil bhi
abhivaadan.
---MUFLIS---
Tention ki Duniya m Hansa Dala aapke Udhaar k cutkalon ne...
बहुत-बहुत-बहुत मज़ा आया भाई साहब......!!
अरे भई, क्या अब उधारी मिलना बंद हो गयी है।
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किस्म किस्म के आम
क्या लडकियां होती है लडको जैसी
''दरअसल वह एक बढ़ई है। उसने मेरे पलंग के चारों पाए सिर्फ पांच रूपये पाए के हिसाब से काट दिये।''
बहुत खूब.... !!
आप इसी तरह हमारा इलाज करते रहें और हंसाते रहें .....!!
... bahut khoob !!!!!
जिंदगी में हास्य की बहुत जरूरत है भाई, इस सन्नाटे को तोडें।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
आपके चुटकुले पढे
मजेदार है
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