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बुधवार, 19 अगस्त 2009

प्रेम विवाह

पत्नि:- "हे राम्! तुमसे लव मैरिज करके तो मेरी दुनिया ही उजड गई। लगता है शायद मेरी बुद्धि पर ही पत्थर पड गये थे जो मैने ऎसा कदम उठाया।"
पति:-" किसी दुनिया उजड गई? तुम्हारी या मेरी?"
पत्नि:- "तुम्हारी क्या खराब हुई! परिवार छूटा मेरा; बन्धन में फँसी मैं; पोजीशन गिरी मेरी। शादी के बाद तो तुम्हारी आँखे ही बदल गई।"
पति"- "क्या आँखें बदली मैने?"
पत्नि:- " क्या नहीं बदला? शादी से पहले जितना प्रेम दिखाते थे,आज उसका सौवाँ हिस्सा भी करते हो? बस हर बात पर हाथ चलाना और आँखें दिखाना जरूर सीख लिया तुमने।"
पति:- "तो! तुम क्या चाहती हो कि सारी जिन्दगी मैं तुम्हारे इशारों पर नाचता फिरूँ?"
पत्नि:- जो काम जिन्दगी भर नहीं कर सकते थे,उसका ढोंग चार दिनों के लिए क्यूं किया था? झूठे वादे करके मुझे क्यूं अपने जाल में फंसाया तुमने?"
पति:- " क्या झूठा ढोंग मेरा था? तुमने कोई ढोंग नहीं किया?  कहाँ गई वह इज्जत? कहाँ गया वो प्रेम,आदर-सत्कार? कहाँ गई वह मुस्कुराहट? सब कुछ तो खत्म हो गया!  अब तो मैं सिर्फ कमाकर लाने और तुम्हारा बोझा ढोने वाला एक बैल बन कर रह गया हूँ।"
पत्नि:- बैल? बैल नहीं बल्कि तुम तो एक साँड हो,जिसे कि सिर्फ फुँकारे मारने आते हैं। अब जीवन में मुस्कुराहट रह ही कहाँ गई है जो चेहरे पे दिखाई दे। मेरा जीवन तो तुमने झुलसा ही डाला है।"
पति:- "ऎसी क्या आग लगा दी मैने कि तुम्हारा जीवन झुलस गया?"
पत्नि:- इतना कुछ हो जाने के बाद भी तुम ये पूछते हो कि कैसी आग लगा दी! तुमसे शादी करके मैने अपने घर वालों की नाराजगी मौल ली। अब यहाँ तुम से ओर तुम्हारी माँ से सारा दिन जल कटी सुनने को मिलती है;कुत्ते जैसी जिन्दगी बना डाली तुमने मेरी। कहाँ अपने मायके में राज किया करती थी,लेकिन आज तुमने पैसे पैसे के लिए मौहताज कर दिया है।देख लेना अब छोडूंगी नहीं मैं तुम्हे। "
 पति:- क्या करोगी? तलाक ही दे दोगी न !"
पत्नि:- " यह तो भाग्य में अब बदा ही है। लेकिन उससे पहले तुम्हारी भी जिन्दगी मैने नरक न बना दी तो कहना!"
पति:- "अच्छा! तो अब तुम मेरी जिन्दगी नरक बनाओगी!"
पत्नि:- "जब तुमने मेरी जिन्दगी में आग लगा डाली है तो क्या उसका थोडा सा सेंक भी तुम्हे नहीं लगेगा?  तुमने मेरा परिवार मुझसे छुडा दिया; मुझे न इधर का छोडा ओर न उधर का और अब इस घर में भी आग लगा डाली। अब मेरे पास जलने के सिवाय ओर कोई रास्ता भी कहाँ है,सो जलूंगी ओर खूब जलूंगी;इतना जलूंगी कि उसकी लपटों में जलाने वाला भी खुद जल जाये।"
यह कहती,अपने बाल नौंचती हुई कमरे के बाहर निकल जाती है और पति महाश्य अपना सिर पीटता हुआ धम से जमीन पर गिर पडता है।
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समयाभाव के कारण बहुत दिनों से कोई पोस्ट ही नहीं लिखी जा रही थी। यूँ भी मेरा ध्यान अधिकतर अपने ज्योतिष की सार्थकता नामक ब्लाग पर ही केन्द्रित रहता है। यहाँ तो, अगर कभी कुछ मन किया तो लिख लिया,वर्ना छुट्टी। आज इस पोस्ट में प्रेमविवाह के परिणामस्वरूप आगामी गृ्हस्थ जीवन में यदाकदा निर्मित हो जाने वाली विषम स्थितियों को चित्रित करने का प्रयास किया है,अगली पोस्ट में इसी प्रसंग को आप एक नये नजरिये से देखेंगे।

21 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

विचारणीय तो है... :)

Unknown ने कहा…

samasyaa par kalam chalaai aapne...
badhaai !

हें प्रभु यह तेरापंथ ने कहा…

विचार करने मे कोई हर्ज नही
आत्म दर्शन का पर्व है पर्यूषण
शुक्रिया
हे प्रभू द्वारा शुभ मगल!
आभार
मुम्बई टाईगर
हे प्रभू यह तेरापन्थ

अनिल कान्त ने कहा…

हा हा हा हा :)

ओम आर्य ने कहा…

गम्भीर लगता है ............कभी इधर और कभी उधर

naresh singh ने कहा…

लग रहा है कल ही किसी के घर से इस प्र्कार की बात चीत राह चलते सुनी थी।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

अगर गहराई से देखो तो ये एक आम समस्या है ... ख़ास कर प्रेम विवाह करे हुवे दंपत्ति की .............. मैंने ऐसे कई लोगों को देखा है जो प्यार और फिर शादी कर के पछताए हैं .......... शायद इसके जिम्मेवार वो खुद ही हैं. अक्सर सच को छिपा कर बस एक दुसरे को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं और जब जीवन की sachaaiyon से roobroo होते हैं तो bikhar जाते हैं........ sah नहीं paate इक dooje को ......... अछा लिखा है आपने sharma जी ............

रंजू भाटिया ने कहा…

एक सच ही ब्यान किया है आपने ...

शेफाली पाण्डे ने कहा…

कहानी घर घर की .....

Rakesh Singh - राकेश सिंह ने कहा…

बिलकुल सही कहा है | सब घर यही कहानी है विशेषकर प्रेम विवाह वाली |

निर्मला कपिला ने कहा…

वाह वाह भूमिका इतनी सश्क्त है तो अगली पोस्ट का इन्तज़ार बहुत मुश्किल लग रहा हैाभार

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

बहुत बढिया। कहां से खोज कर लाए हैं?
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

BrijmohanShrivastava ने कहा…

अच्छा चित्रण किया है ,घर घर यही होने लगा है ,प्रेम विवाह ही क्या अरेंज्ड मेरिज में भी यही किस्से आम होने लगे है |बर्तालाप के रूप में लेख बहुत पढ्नीय बन पड़ा है

शरद कोकास ने कहा…

भई अपने घर की गोपनीय बातों को इस तरह ओपनीय नही करते.. हा हा हा ।

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) ने कहा…

हा...हा...हा...हा...हा...हा...हा...हा...हा...हा...हा...हा...हा...हम भी पटखनी खा गए बॉस.....हमें लगा कि शायद हमारी पत्नी ही हमसे यह सब कह रही है.....वो तो गनीमत है कि जब आँख खुली तो खुद को आपका ब्लॉग पढ़ते हुए पाया.....!!!!baaki भई अपने घर की गोपनीय बातों को इस तरह ओपनीय नही करते.. हा हा हा ।

Arshia Ali ने कहा…

बहुत बढिया।
{ Treasurer-S, T }

Creative Manch ने कहा…

बिलकुल सही कहा आपने !
शायद इसके जिम्मेवार वो खुद ही हैं



C.M. is waiting for the - 'चैम्पियन'
प्रत्येक बुधवार
सुबह 9.00 बजे C.M. Quiz
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Vinay ने कहा…

संभवत: कुछ समझ में आ जायेगा।
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तकनीक दृष्टा

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…

बेहतरीन प्रस्तुति....बहुत बहुत बधाई...
मैनें अपने सभी ब्लागों जैसे ‘मेरी ग़ज़ल’,‘मेरे गीत’ और ‘रोमांटिक रचनाएं’ को एक ही ब्लाग "मेरी ग़ज़लें,मेरे गीत/प्रसन्नवदन चतुर्वेदी"में पिरो दिया है।
आप का स्वागत है...

Kulwant Happy ने कहा…

पति पत्नी झगड़े का खूब किया आपने चित्रण

राज भाटिय़ा ने कहा…

जल गई क्या ? अगर जल गई तो बच गई क्या ? लेकिन पडोसियो की बात सुनना, ओर आगे बताना अच्छी बात नही... चलिये अब अगले दिन का राज भी खोले दे:)

www.hamarivani.com
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