रहिमन लाख भली करौ, इनका जिद्द न जाए
राग सुनत, पय पियतहू, सांप सहजहि घर खाए ।।
हर पोस्ट में गारी मिलत हैं, लोग रहे चिल्लाहिं
रहिमन करूए लिखन कौ, चहियत यही सजाहिं ।।
आप न काहू काम के, डार,पात,फल मूर
औरन को रोकत फिरैं, आपहूं वृ्क्ष बबूर ।।
रहिमन ऎसे लोगन ते, तजो बैर औ प्रीत
चाटे-काटे स्वान के, दुहूं भान्ती विपरीत ।।
9 टिप्पणियां:
हर पोस्ट में गारी मिलत हैं, लोग रहे चिल्लाहिं
रहिमन करूए लिखन कौ, चहियत यही सजाहिं ।।
बिल्कुल ठीक कहा आपने, ब्लॉगर की ऐसी ही हाल होती है।
आपके ब्लॉग का ले-आउट बहुत सुंदर है।
खानखाना जी भी ब्लोगिंग में आ गए, यह तो आपने कमाल कर दिखाया पंडितजी!
कोई बात नही, खूद ही चुप हो जायेगे यह लोग आप मस्त रहो, टेपलेट बहुत सुंदर लगा, बस लेख के शव्दो का रंग बदल कर गहरा काला कर लो, पढने मै मुश्किल होती है.
धन्यवाद
शर्मा जी ने पोस्ट में कह दी ऐसी बात।
गारी खावत स्वान को ज्यों मारी हो लात॥
रहिमन ऎसे लोगन ते, तजो बैर औ प्रीत
चाटे-काटे स्वान के, दुहूं भान्ती विपरीत ।
सही कहा है !!! ऐसे लोगों से बैर और प्रीत दोनों में घाटा है दूर से राम राम रखें !!!
यही तो हमारे samaaj की trasadi है ........ chaahte huve भी कभी कभी इंसान कुछ नहीं कर paata ........ आपने अपने ही andaaz में samjhaane का prayaas किया है .......... बहुत achhaa लगा आपका prayaas ........ ummeed है कुछ लोग पढ़ कर samjhenge ......... namashkaar Pundit ji ..
पंडित जी, कुछ लोग नहीं, सभी लोग वही करते हैं, जोकि उनके दिमाग में कूट कूट कर भरा होता है।
वैसे आपका इशारा किस ओर है। कुछ क्लू भी तो होना चाहिए न।
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परा मनोविज्ञान- यानि की अलौकिक बातों का विज्ञान।
ओबामा जी, 75 अरब डालर नहीं, सिर्फ 70 डॉलर में लादेन से निपटिए।
पंडित जी, कुछ लोग नहीं, सभी लोग वही करते हैं, जोकि उनके दिमाग में कूट कूट कर भरा होता है।
वैसे आपका इशारा किस ओर है। कुछ क्लू भी तो होना चाहिए न।
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परा मनोविज्ञान- यानि की अलौकिक बातों का विज्ञान।
ओबामा जी, 75 अरब डालर नहीं, सिर्फ 70 डॉलर में लादेन से निपटिए।
पंडित जी, कुछ लोग नहीं, सभी लोग वही करते हैं, जोकि उनके दिमाग में कूट कूट कर भरा होता है।
वैसे आपका इशारा किस ओर है। कुछ क्लू भी तो होना चाहिए न।
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परा मनोविज्ञान- यानि की अलौकिक बातों का विज्ञान।
ओबामा जी, 75 अरब डालर नहीं, सिर्फ 70 डॉलर में लादेन से निपटिए।
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