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शनिवार, 13 मार्च 2010

कडवे का शहद भी कडवा................(बस यूँ ही)

बचपन में एक कहानी पढी थी कि फारस देश में एक स्त्री रहा करती थी जो कि शहद बेचने का व्यवसाय किया करती थी । उस स्त्री में एक खूबी यह थी कि उसका बातचीत करने का ढंग बहुत ही आकर्षक था । जिस कारण से उसकी दुकान पर सारा दिन ग्राहकों की भीड लगी रहती थी  । ग्राहकों का उस पर इतना विश्वास था कि यदि वो जहर भी बेचती तो शायद लोग उसे भी शहद समझकर खरीद लेते ।
अब जैसा कि जमाने का चलन है कि यदि किसी की दुकानदारी अच्छे से चल रही हो तो उसकी देखादेखी बीसियों लोग उसी के बगल में दुकान खोलकर बैठ जाते है । ऎसे ही एक दुष्ट स्वभाव के आदमी नें देखा कि ये औरत तो शहद बेच बेच कर बहुत भारी कमाई कर रही है तो क्यों न मैं भी ये धंधा शुरू कर दूं ।
अब उस औरत की देखादेखी वो दुष्ट आदमी भी उसके बगल में शहद की दुकान खोलकर बैठ गया । अब दुकान तो उसने खोल ली लेकिन शहद के सजे सजाए बर्तनों के पीछे उसने अपनी आकृ्ति कठोर ही बनाए रखी ।  दुकानदारी तो निम्रता की है, तो भला ऎसे कठोर मुख आदमी के पास ग्राहक भी कहां फटकता । अगर भूले भटके कोई आ भी जाता तो उसके माथे पर चढी त्यौरियाँ देखकर वहाँ से खिसकने में ही भलाई समझता ।  एक मक्खी भी उसके शहद के पास फटकने का साहस न कर पाती थी । सुबह से शाम हो जाती लेकिन उसके हाथ खाली के खाली ही रहते ।
कईं दिनों तक ऎसा ही चलता रहा तो धीरे धीरे उसकी खिन्नता बढने लगी ओर फिर तो वो क्रोध के मारे राह चलते लोगों को ही गालियाँ बकने लगा । छोटे छोटे बच्चे भी अब तो उसे चिढाने के लिए उसकी ओर भृ्कुटियाँ तान कर देखते ओर कहते कि "कडवे का शहद भी कडवा" । उसका कुछ ओर तो जोर चल नहीं पाता बस गुस्से में भरकर उन्हे मारने को दौड पडता ।  धीरे धीरे हर कोई उसे यही कह कर चिढाने लगा कि " कडवे का शहद भी कडवा" ।
उस मूर्ख इन्सान को इतनी सी बात समझ में नहीं आई कि संसार में हमारा कार्य सिर्फ बेचना और खरीदना ही नहीं है । हमें यहाँ एक दूसरे के मित्र बनकर रहना है ।

19 टिप्‍पणियां:

स्वप्न मञ्जूषा ने कहा…

bahut hi sundar drishtaant...
meethi baani boliye man ka aapa khoy
auran to sheetal kare aaphun sheetal hoy..

Unknown ने कहा…

सुन्दर बोधकथा!

मीठी वाणी का कुछ मोल नहीं होता किन्तु उसके प्रभाव से सभी काम हो जाते हैं। इसीलिये कहा गया हैः

ऐसी वाणी बोलिये मन का आपा खोय।
औरन को शीतल करे आपहु शीतल होय॥

M VERMA ने कहा…

कडवे का शहद भी कडवा
सही है
जुबान का मीठापन सबसे मीठा

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत सुंदर विचार आप ने इस कहानी के माध्यम से लिखा,ओर यह सच भी है कि हम अपनी जुबान से ही सब पाते है

Yashwant Mehta "Yash" ने कहा…

bahut hi sundar vichar
sabko ek dusre ka mitra ban kar rehna chaie
sadhuvad

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपका आलेख रोचक रहा!
चर्चा में लगाया है!
http://charchamanch.blogspot.com/2010/03/blog-post_13.html

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

bahut sundar drishtaant..

संजय @ मो सम कौन... ने कहा…

ठीक कहा पंडित जी, कड़वा बोलने वालों का शहद भी नहीं बिकता और मीठा बोलने वाले मिर्चें भी बेच देते हैं। बहुत अच्छी और प्रेरक कहानी।

Creative Manch ने कहा…

प्रिय वत्स जी बहुत सुन्दर बोध कथा है !
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हर चीज एक समय बाद विवेचना मांगती है !
जिस समय ये बोधकथा लिखी गयी होगी .... उस समय सही होगी
आज अनुभव कहता है है आप मीठा बोलने वाले से सतर्क रहें :)

Pratik Maheshwari ने कहा…

इस रोचक और प्रेरणादायक कहानी के लिए धन्यवाद :)

Alpana Verma ने कहा…

Abhi abhi ..Chitthajagat par --dhurandhar likhhad mein aap ko highlihgt kar rahe hain--
wahan aap ke is blog ka naam nahin hai...

--wahan aap ke 2 chitthe dikha rahe hain..

--aao pahle rank ki baat kar rahe the--shayad aap ko wahan is blog ko dobara jodna padega...

--otherwise aap ke sirf [2 blogs] likha aur dikhaya kyon ja raha hai--aap bhi dekhen wahan--

Alpana Verma ने कहा…

correction--please read--aao--as aap

Udan Tashtari ने कहा…

अद्भुत बोधकथा..कितनी जरुरी है यह सज्ञानता आज के परिपेक्ष में भी. जय हो पंडित जी.

कृष्ण मुरारी प्रसाद ने कहा…

अच्छी कथा..कहावत के माध्ययम से...


कहावतों पर मेरा शोध, मैनेजमेंट की नजर से पढ़ें...
लड्डू बोलता है ....इंजीनियर के दिल से.
http://laddoospeaks.blogspot.com/

naresh singh ने कहा…

बहुत ही प्रेरणा प्रद कहानी है |

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बहुत ही सुंदर कथा के माध्यम से आपने जीवन जीने की क्ला सहज ही बता दी. आभार आपका.

रामराम.

अन्तर सोहिल ने कहा…

बहुत सुन्दर शिक्षाप्रद कहानी है जी
आपका आभार

प्रणाम स्वीकार करें

शरद कोकास ने कहा…

शहद का बिम्ब ही अपने आप मे मीठेपन के लिये काफी है ।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

कहानी के माध्यम से कितना अच्छा संदेश दे दिया आपने ... ये सार है जीवन का .. मीठी बोली बोलिए ...
सच कहा है किसी ने ...

www.hamarivani.com
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