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रविवार, 19 सितंबर 2010

सुभाषितं-------(संडे ज्ञान)

सूक्तियाँ, जिन्हे पढकर पता चलता है कि मनुष्य के जागृ्त मन नें पृ्थ्वी के विभिन्न खंडों में रहकर भी अनन्त युगों तक जीवन से जूझकर और जीवन को अपनाकर अपने अनुभव द्वारा सत्य को किस प्रकार प्राप्त किया है और उसे किस अमर वाणी में व्यक्त किया है.ये सूक्तियाँ नहीं मानव सन्तति का अक्षय भंडार और अखंड उतराधिकार हैं. यहाँ देश, काल,जाति और भाषा की सीमाओं से परे सारा विश्व ज्ञान के प्रकाश से उद्भासित,सत्य के बल से अनुप्राणित और सौन्दर्य के आकर्षण से एकाकार प्रतीत होता है.ज्ञान की यह कितनी बडी करामात है कि वह मानव मात्र में अभेद ही उत्पन नहीं करता,जीवन की मौलिक एकता का आधार सक्षर वाणी में व्यक्त करता है और इतिहास के पृ्ष्ठों पर अमरत्व की छाप लगा देता है. प्रस्तुत हैं चन्द सूक्तियाँ..........
पना उल्लू सीधा करने के लिए शैतान भी धर्मशास्त्र के हवाले दे सकता है---(विलियम शैक्सपियर)

हे मन! तुम पहले तो आदमी को खाई में धकेल देते हो और फिर उससे कहते हो कि "जिस हाल में ईश्वर नें तुझे डाल दिया है, उसमें संतुष्ठ रह"---(श्रीब्रह्मचैतन्य)

तिश्योक्ति वह सत्य है जो बौखलाई हुई हालत में रहती है----(खलील जिब्रान)

लोहा और सोना समान है" यह सच्चे अर्थशास्त्र का मुख्य सूत्र है----(विनोबा)

मेरे कहने पर आप पूर्ण विश्वास रखें" ऎसा कहने वाला व्यक्ति मानवजाति का कट्टर शत्रु है---(विवेकानन्द)

जार वर्ष तक बिना मन लगाए नमाज पढने और रोजा रखने के बजाय,एक कण के बराबर संसार के प्रति सच्ची अनासक्ति बढाना अधिक उत्तम है---(हुसैन बसराई)

हाँ अनुकरण है,वहाँ खाली दिखावट होगी,जहाँ खाली दिखावट है,वहाँ मूर्खता होगी—(जानसन)

जो अपनी स्वतन्त्रता खोने से शुरूवात करते हैं,वे अपनी शक्ति खोकर समाप्ति करेंगें---(बर्कले)

जिस क्षण तुम इच्छाओं से ऊपर उठ जाओगे,इच्छित वस्तु तुम्हारी तलाश करने लगेगी,यही नियम है---(स्वामी रामतीर्थ)

दुष्ट आदमी को इज्जत देना, गोया बुखार के मरीज को तेज शराब पिलाना है---(प्लुटार्क)

दुनिया में इज्जत के साथ जीने का सबसे छोटा और सबसे शर्तिया उपाय यह है कि हम जो कुछ बाहर से दिखना चाहते हैं वैसे ही वास्तव में हों भी---(सुकरात)

तूफानी घोडे की रस्सी को ढील देकर उसे चाहे जहाँ जाने देने के लिए अधिक सामर्थ्य की जरूरत नहीं,यह तो कोई भी कर सकता है;मगर रस्सी खींचकर उसे खडा करने में कितने समर्थ हैं ?---(स्वामी विवेकानन्द)

व्यक्ति की महता विचारकता में है. विस्तार के लिहाज से विश्व मुझे घेरकर एटम की तरह निगल जाता है; किन्तु विचार से मैं उसे निगल जाता हूँ----(पास्कल)

नुष्य को सदैव उद्योग तो करना ही चाहिए. फल उसी तरह मिलेगा. जिस तरह कि उस बिल्ली को मिलता है, जिसके अगर्चे गाय नहीं है मगर दूध रोज पीती है-----(संस्कृ्त सूक्ति)

22 टिप्‍पणियां:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

पहले तो मुझे लगा कि ब्लागोक्तियां हैं.....

बेनामी ने कहा…

पंडित जी, संग्रहणीय पोस्ट/ सूक्तियाँ नहीं ये तो ज्ञान प्रसाद हैं/
प्रणाम/

बेनामी ने कहा…

पंडित जी, संग्रहणीय पोस्ट/ सूक्तियाँ नहीं ये तो ज्ञान प्रसाद हैं/
प्रणाम/

naresh singh ने कहा…

यह रविवारीय ज्ञान कक्षा बहुत अच्छी है |

Alpana Verma ने कहा…

संग्रहणीय.
अनुरोध है कि इस रविवारीय स्तम्भ को स्थाई रखियेगा.

Unknown ने कहा…

शर्मा साहेब! पूरी तरह से मनन को बाध्य करती सूक्तियां! यह सन्डे ज्ञान तो संग्रहणीय बन गया है!
आभार्!

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" ने कहा…

@ अल्पना जी,
अवश्य, प्रयास रहेगा कि इसे नियमित रख पाऊँ.....

संजय @ मो सम कौन... ने कहा…

धन्य हो गये हम, वत्स साहब।
अच्छी ज्ञान गंगा बहाई।
आभार।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत अच्छी सूक्तियां ...आभार

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

सभी सूक्तियाँ उपयोगी हैं!

ओशो रजनीश ने कहा…

बहुत ही बढ़िया लगा लेख पढ़कर ........
अच्छी रचना है ........



इसे भी पढ़कर कुछ कहे :-
आपने भी कभी तो जीवन में बनाये होंगे नियम ??

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

आज तो आपने संडे की बल्ले बल्ले करवा दी इतनी सुंदर बातें पढ़वा कर. धन्यवाद.

Arvind Mishra ने कहा…

संग्रहणीय

vandana gupta ने कहा…

बेहद उपयोगी।

आज के चर्चामंच पर अपनी पोस्ट देखियेगा और अपने विचारों से अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com

Shah Nawaz ने कहा…

बहुत ही बेहतरीन और एक से बढ़कर एक सूक्तियां!

अनुपमा पाठक ने कहा…

inspiring!!!!
regards,

सुज्ञ ने कहा…

सार्थक सूक्तियां, निशल्य सोच को अवसर देती है।
यह ज्ञान…विज्ञान (विषेश ज्ञान)प्रवाह निरंतर प्रवाहित रहे ऐसी अपेक्षा व आकांशा।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

सच में पंडित जी ..... संभाल कर रखने वाली पोस्ट है ये .... आम जीवन का ज्ञान है .... आपका बहुत बहुत शुक्रिया ....

deepti sharma ने कहा…

bahut hi kam ki baten hai apki
kripya mera blog ek bar dekhe or apne vichar de
or mera margdarsan kijiye
dhanyvad
deepti sharma(deeps)

ओशो रजनीश ने कहा…

आपका बहुत बहुत शुक्रिया ..

यहाँ भी आये एवं कुछ कहे :-
समझे गायत्री मन्त्र का सही अर्थ

शरद कोकास ने कहा…

हमे भी ज्ञान प्राप्त हुआ ।

निर्मला कपिला ने कहा…

आपके ग्यानपूर्ण आलेख पढ कर धन्य हो जाती हूँ। ग्यान का भंडार चुपा है आपके पास हर सूक्ति जीने की कला सिखाते है। बधाई आभार। हर्

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