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रविवार, 26 सितंबर 2010

सुभाषितं.........(संडे ज्ञान)

सूक्तियाँ----जिनके स्वाध्याय से मानव मन की सुप्त शक्तियाँ उदबुद्ध होकर उत्साह, प्रकाश और पुरूषार्थ की प्रेरणा बनती हैं. इसमें किसी के लिए भी शंका की कोई गुंजाईश ही नहीं है कि सूक्तियाँ गुणकारी औषधियों के समान ही ह्रदय और मस्तिष्क पर विद्युत भरा प्रभाव डालती हैं. इनका स्वाध्याय मनुष्य की सर्वोतम कल्पनाओं को प्रेरित करने में समर्थ होता है.ताब्दियों का मानव अनुभव तथा गम्भीर चिन्तन के सूत्र जैसी इन सूक्तियों को धरा पर उपलब्ध अमृ्त यूँ ही नहीं कहा गया है.ये कालजयी सूक्तियाँ वास्तव में 'अ-मृ्त' ही तो होती हैं.......तो फिर, क्यों न "संडे ज्ञान" में पुन: आज फिर इसी अमृ्त का पान किया जाए.......

1. मुझसे यदि कोई पूछे कि जीवन क्या है? तो मैं उसकी व्याख्या करूँगा---संस्कार संचय़...(विनोबा भावे)

2. नता जितनी बुद्धि शून्य होती है, उसके नेता उतने ही ह्रदय हीन होते चले जाते हैं---(मैक्सिम गोर्की)

3. ब्दों का अर्थ नहीं, अनुभव देखना चाहिए---(शीलनाथ)

4. मानसिक अनुशासन की दृ्ष्टि से अखबार पढना हानिकर है. मन के लिए दस मिनट में चालीस बातें सोचने से बदतर भला क्या हो सकता है ?----(मंजर)

5. न्सान के लिए ये बडे शर्म की बात है कि वह केवल अपने सभ्य,शरीफ पूर्वजों के कारण ही इज्जत चाहे, और खुद अपने सदगुणों से उसका हकदार बनने की कोशिश न करे---(अज्ञात)

6. जो लोग इतिहास के मजमून बनते हैं, उन्हे उसके लिखने की फुर्सत नहीं होती---(मैटरनिच)

7. दुनिया की हर बेहूदगी का इलाज या तो है या नहीं है;अगर इलाज है तो उसका पता लगाने की कोशिश करो, अगर नहीं है तो उसको धत्ता पिलाने की कोशिश करो---(अज्ञात)

8. म उपदेश सुनते हैं मणभर,देते हैं टनभर लेकिन ग्रहण करते हैं कणभर---(अल्जर)

9. उपदेशक! अगर तेरे पास दैविक प्रेरणा का बिल्ला नहीं है तो चाहे तू बोल बोलकर अपनी जान तक दे दे, मगर सब फिजूल जायेगा---(रामकृ्ष्ण)

10. म्प्रदायों में जो सबसे ओच्छा है वही उपदेशक का काम करेगा---(हजरत मोहम्मद)

11. र्थ के आतुरों को न कोई गुरू होता है न बन्धु,कामातुरों को न भय होता है न लज्जा, विद्यातुरों को न सुख होता है न नींद,क्षुधातुरों को न स्वाद होता है न समय---(संस्कृ्त सूक्ति)

12. क क्षण के बाद भी इस शरीर के रहने का क्या भरोसा! फिर भी जीवन की चिन्ता ऎसी है मानो,कल्पान्त तक जीना हो---(संस्कृ्त सूक्ति)

13. काहिल आदमी साँस तो लेता है,मगर जीता नहीं है---(सिसरो)

14. जीवन में जो कुछ भी है,सब पहेली है और एक पहेली का हल दूसरी पहेली है---(एमर्सन)

15. लोग अक्सर अपनी समझदारी की कमी की पूर्ती गुस्से से करते हैं---(डब्लू.आर. अल्जर)

16. पने ह्रदय के विकारों को धोए बिना,दूसरों का भला करने के लिए दौडने वाला,जमाने भर को उपदेश देने वाला, कीचड से सने हाथों से दूसरे का मुँह पोंछने जाने वाले के मानिन्द है---(गुरू वशिष्ठ)

17.में इसकी क्या चिन्ता कि मोहम्मद अच्छे थे या बुद्ध ? क्या इससे मेरी अच्छाई या बुराई में परिवर्तन हो सकता है? आओ, हम लोग अपने लिए और अपनी जिम्मेदारी पर अच्छे बने---(स्वामी विवेकानन्द)

18 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

प्रणाम पंडीत जी, मैं भी आपके कथन सहमत हूँ कि महापुरूषों के ये वचन समाज के लिए किसी उत्प्रेरक से कम नहीं होते/ सभी सूक्तियाँ संग्रहनीय तथा मनन योग्य हैं/
प्रणाम/

बेनामी ने कहा…

प्रणाम पंडीत जी, मैं भी आपके कथन सहमत हूँ कि महापुरूषों के ये वचन समाज के लिए किसी उत्प्रेरक से कम नहीं होते/ सभी सूक्तियाँ संग्रहनीय तथा मनन योग्य हैं/
प्रणाम/

Arvind Mishra ने कहा…

अमूल्य संकलन

संजय @ मो सम कौन... ने कहा…

एक एक सूक्ति अमूल्य है।लेकिन हम इन्हें जीवन में क्यों नहीं उतार पाते?

प्रकाश गोविंद ने कहा…

"मानसिक अनुशासन की दृ्ष्टि से अखबार पढना हानिकर है"
और टी वी चैनल्स के बारे में मंजर साहब का क्या कहना है ?
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वत्स जी आपने बढ़िया अमृत-पान कराया
बेहतरीन सूक्तियां
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@मो सम कौन ?
जनाब ये सूक्तियां डायरी में लिखने, कलेंडर बना कर टांगने और यदा-कदा पोस्ट को सुन्दर बनाने के लिए होती हैं
इनको जीवन में उतारने से कई तरह की गंभीर समस्या उत्पन्न हो सकती है :)

निर्मला कपिला ने कहा…

सुन्दर सार्थक हो गया संडे। धन्यवाद इन रत्नों के लिये।

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बहुत सुंदर ज्ञान उपलब्ध हुआ, आभार.

रामराम

Unknown ने कहा…

शर्मा जी ये तो पूरी तरह से संग्रहणीय पोस्ट है !
हरेक सूक्ति मन/मस्तिष्क के किसी द्वार को ठकठकाती सी लगी!
धन्यवाद!

Unknown ने कहा…

शर्मा जी ये तो पूरी तरह से संग्रहणीय पोस्ट है !
हरेक सूक्ति मन/मस्तिष्क के किसी द्वार को ठकठकाती सी लगी!
धन्यवाद!

शिवम् मिश्रा ने कहा…

सत्य वचन, महाराज !

राज भाटिय़ा ने कहा…

जनता जितनी बुद्धि शून्य होती है, उसके नेता उतने ही ह्रदय हीन होते चले जाते हैं---(मैक्सिम गोर्की)
सत्य वचन जी, इस बात की कोई शक नही

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

ब्लाग में इस तरह की जीवनोपयागी सामग्री पढ़कर मन को प्रसन्नता की अनुभूति होती है। आपका यह कार्य प्रशंसनीय है।

विनोद कुमार पांडेय ने कहा…

सुंदर वचनमृत...बढ़िया पोस्ट के लिए हार्दिक बधाई

Udan Tashtari ने कहा…

बेहतरीन संकलन!

Alpana Verma ने कहा…

बहुत अच्छे और संग्रहणीय विचार .

शिवम् मिश्रा ने कहा…


बेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !

आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।

आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें

दिगम्बर नासवा ने कहा…

सब की सब सार्थक ... ज्ञान का भंडार खुला है ब्लॉग पर आज ... शुक्रिया ....

बेनामी ने कहा…

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