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शुक्रवार, 29 अक्तूबर 2010

गौरव

अपने केबिन में कुर्सी पर अपनी भीमकाय देह का बोझ डाले बैठा सरकारी वकील.
जिसके सबूट चरणों में एक गरीब सी दिखने वाली बुढिया अपने बेटे को बचाने के लिए गिरी पडी है.
वकील नें उस बुढिया से निगाह हटाकर मेरी ओर देखा तो उसकी आँखों में मुझे गौरव का अहसास हुआ. मगर न जाने क्यूँ मैं उससे आँख न मिला सका. मेरी गर्दन झुक गई !

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26 टिप्‍पणियां:

सुज्ञ ने कहा…

पंडित जी,
निर्दोष अभिव्यक्ति!!
एक ग्लानी भरा अहसास पैदा करती लघु-कथा।

kshama ने कहा…

Jiske juton pe koyi asahay gira pada ho,use dekhna sach me sharmnaaq hoga! Badee saraltaa se likha hai aapne!

मनोज कुमार ने कहा…

गहरा आघात कर गई यह लघु कथा।

naresh singh ने कहा…

वर्तमान व्यवस्था की सच्ची तस्वीर |

बेनामी ने कहा…

पंडित जी/
सिर्फ तीन लाईनों में ही आप कितनी गहरी बात कह गए/
प्रणाम/

बेनामी ने कहा…

पंडित जी/
सिर्फ तीन लाईनों में ही आप कितनी गहरी बात कह गए/
प्रणाम/

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

क्या यही विधि का विधान है..

P.N. Subramanian ने कहा…

भेदभरी भेदती हुई लघु कथा.

Amit Sharma ने कहा…

पंडित जी/
सिर्फ तीन लाईनों में ही आप कितनी गहरी बात कह गए/
प्रणाम/

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

तीखी लघुकथा कहने का सफ़ल प्रयोग, जो बदकिस्मति से लघु कथा ना होकर हकीकत भी है.

रामराम.

निर्मला कपिला ने कहा…

गागर मे सागर भर दिया। अच्छी लघु कथा। बधाई।

राज भाटिय़ा ने कहा…

यह तो हकीकत हे जी, इसे लघुकथा का नाम क्यो दे रहे हे,पढ कर हमारी आंखे भी शर्म से झुक गई

उस्ताद जी (असली पटियाला वाले) ने कहा…

28.5/30 बहुत करारी लगुकथा।

संजय @ मो सम कौन... ने कहा…

गागर में सागर भर दिया है आपने। एक कटु सत्य।

बेनामी ने कहा…

गागर मे सागर

Udan Tashtari ने कहा…

भेद दिया....

anshumala ने कहा…

जी हा ये कहानी नहीं हकीकत है | चार लाइनों में भी कोई कहानी संभव है वो भी इतनी गहरी ये आज से पहले नहीं पता था |

उस्ताद जी ने कहा…

4/10

लघु कथा की एक अच्छी कोशिश.

Unknown ने कहा…

शर्मा साहेब, चन्द शब्दों के जरिए आप कितने उम्दा तरीके से यथार्थ का चित्रण कर गए!
तीक्ष्ण!

palash ने कहा…

dekhan mai chotee lage ghaaw kare gambheer

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

स्वयं को ऊँचा दिखाने की चाह ...अच्छी लघु कथा

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

पंडिज जी, कम शब्‍दों में बडी बात कह दी आपने। बधाई।

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Alpana Verma ने कहा…

कटु सत्य /
कम शब्दों में ही पूरा सन्देश देने में सक्षम प्रभावित करती लघु कथा.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

सच लिख दिया है .. चीर गयी ये कहानी ...

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" ने कहा…

दूसरों को पददलित करने में ही तो विजय का एहसास होता है, है न ?

बेनामी ने कहा…

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