भाई जाट जुगाड़ी आदमी हो सै. किते न किते तै सारी बातां का जुगाड़ कर लिया करै .
एक बै एक जाट और एक बामण का छोरा एक एक ऊंट ले के जंगल में घुमण जा रे थे.
रस्ते मैं जाट के छोरे के ऊंट की नकेल टूट गी. ऊंट उसनै तंग करण लाग गया.
वो बामण के छोरे तै बोल्या भाई यो जो तनै गात(शरीर)कै तागा (जनेऊ ) बांद रख्या सै, यो मने दे दे.
यो ऊंट मनै दुखी कर रहा सै .
बामण का बोलूया- न भाई यो जनेऊ तै हमारा धरम सै, में ना दू .
वो दुखी सुखी हो कै, रोन्दे-कल्पदे घरां आगे .
आते ही जाट का छोरा आपने बापू तै बोल्या — बापू आज जंगल मै इस बामण के ने मेरी गल्या इसा काम करया . एक तागा माँग्या था वो भी न दिया . आगे इन तै वयवहार कोन्या राखना.यो तो बड़े मतलबी सैं .
उसका बापू बोल्या — अरे इसका बापू भी इसा ऐ था . तेरी बैहन के ब्याह आले दिन तेरी बैहन् होगी बिमार्
तै मने बामण ताहि न्यू कही, के भाई एक बै तू फेरयां के उपर आपनी छोरी नै बिठा दे एक घंटे खातर.
ड़ौली गेलै घाल तै मैं आपनी छोरी ने दयुन्गा , पर भाई यो बामण मान्या ही कोनी .
छोरा बोल्या — फेर के हुआ बापु .
बापु बोल्या - अरे होना के था फेर एक घंटे खातर तेरी माँ फेरया पै बठयाणी पड़ी
4 टिप्पणियां:
बेहतरीन प्रस्तुति के लिये बधाई स्वीकारें
शानदार. गनीमत है कि लड़की ने नही कहा अम्मा अब डॉली में तुम ही जाओ. आभार.
वाह भाई वत्स जी, बहौत ऐई बढिया कही ... कार्टूनों पर टिपण्णी के लिए धन्यवाद. -काजल कुमार
मजा आ ग्या |
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