राधा जिसके विवाह को हुए चार साल बीत चुके थे, किन्तु विधाता का खेल देखिए कि बेचारी की अभी तक गोद सूनी ही थी.
आस पडोस,नाते रिश्तेदारों में सुगबुगाहट होने लगी. बांझ, निपूति, अपशकुनी जैसे अलंकारों से उसे नवाजा जाने लगा.
उसने भी दवा-बूटी,पूजा-पाठ,व्रत-उपवास सब करके देख लिया,लेकिन कोई आस नहीं जगी.
उसकी सास जो कि एक 'बाबा' जी की अनन्य भक्त थी, उनके पास चलने के लिए उसे अक्सर मजबूर किया करती।
‘‘बहू! मेरी भी इच्छा है कि मैं अपने इकलौते बेटे के घर बच्चा देखूं। आखिर खानदान को चलाने वाला भी तो कोई होना चाहिए’’
एक दिन सास के ज्यादा मजबूर करने पर राधा ने हाँ कर दी। डरी–सहमी राधा अपनी सास के साथ बाबा जी के डेरे जा पहुँची। काफी समय इंतजार करने के बाद अंदर कमरे में दर्शनों के लिए बुलाया गया। बाबा के साथ उसकी सास ने कुछ बातचीत की। इतने में बाबा के शिष्यों ने ना मालूम उसे किस चीज का धुआँ देना शुरू कर दिया। पता नहीं धुएँ में क्या मिला हुआ था कि उसकी आँखें धीरे–धीरे बंद होनी शुरू हो गई। बेहोशी छाने लगी ओर आखों के सामने नीले–पीले रंग तैरने लगे।
राधा जब होश में आई तो उसे अपना सिर भारी भारी लगा। बदन टूटता सा महसूस हुआ आंखे खोलकर देखा तो कमरे में हल्का सा अंधेरा था। उसने मिचमिचाती आँखों को जोर लगा कर खोलने की कोशिश की। अपने आप को नग्न अवस्था में पाकर, उसकी एकदम चीख निकल गई। उसने चकराते सिर से जल्दी–जल्दी कपड़े पहने और बाहर निकल आई। उसकी सास घुटनों में सिर दिए बैठी थी, रोती आँखों से अपनी सास की तरफ घूरकर देखा। सास ने उसे गले लगा लिया तो राधा सुबक सुबक कर रोने लगी।
‘‘हिम्मत कर बेटी औरत को औलाद की खातिर पता नहीं क्या क्या सहना पडता हैं। तेरा पति भी तो बाबा जी की कृपा से ही हुआ है।’’
बर्फ हुई राधा धड़ाम से धरती पर गिर पड़ी।
7 टिप्पणियां:
भारत में कितनी औलादें बाबाओं की कृपा से हैं उनका तो हम कोई हिसाब भी नही लगा सकते हैं |
उचित कटाक्ष |
लेकिन फ़िर भी लोग बाबा कए पास जाते है, क्या मुर्खता है??
ऎसे बाबाओं को तो जूते मारने चाहिए.
aise baba logo ko to sare aam phaasee par latka dena chaaiye....
कौन सा वंश, कैसा वंश। राजे रजवाड़ों की बात छोड़ दें तो कोई बिरला ही कुनबा होगा जिन्हें अपनी चौथी या पांचवी पीढ़ी पहले के बुजुर्गों के बारे में पूरी जानकारी हो। पर यह संतान सुख की लालसा जो ना कराये वही कम है।
bahut achcha masla utaya hai aapne
lekin iske baad bhee babao ke yahan jaane ki avajahi me kami nahi aa rahihai
बच्चे की ललक और क्या क्या करवाएगी पता नही
अच्छा कटाक्ष
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