बहुत पहले कहीं शायद किसी पत्रिका में पढा था कि एक बार विंस्टन चर्चिल किसी सभा को संबोधित कर रहे थे।
तभी उनके एक मित्र ने उनसे कहा, देखिये आपकी लोकप्रियता इतनी अधिक है कि 10 हजार लोग आपका भाषण सुनने के लिए एकत्रित हुए है।
तब चर्चिल बोले, दरसल यह सब तमाशबीन है। यदि किसी दिन मुझे फांसी देने की घोषणा हो जाए तो इसी जगह 1 लाख लोग इक्कठे हो जाएंगे। यह तो केवलमात्र तुम्हारा भ्रम है कि ये सब मेरे प्रशंसक है।
काश आज के राजनेताओं में भी इतनी समझ हो पाती.
7 टिप्पणियां:
ठीक कहा पण्डित जी !
bahut shai kaha...
बहुत ही सार्थक बात है. aksar aisaa ही hotaa है
...नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ ।
वाहवा.... क्या बात है.. महाराज........ जय हो......
बहुत सुंदर बात आप ने कह दी.
धन्यवाद
यही सच है!
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