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मंगलवार, 6 जनवरी 2009

बेचारे गधों का इतना अपमान क्यूं ?

संसार में जितने भी जीव हैं, उन मे से गधे को परले दर्जे का मूर्ख समझा जाता है.लेकिन मेरे विचार से केवलमात्र उस बेचारे की सादगी ओर सहिष्णुता को ही उसकी मूर्खता मान लिया गया है.जब कि वो तो नितांत 'गांधीवादी विचारधारा' का समर्थक जीव है. जैसा कि गांधी जी स्वयम कहा करते थे कि 'सादा जीवन-उच्च विचार'.चाहे ओर किसी ने उनके कथन का अनुसरण किया हो अथवा नहीं,किन्तु गधे ने उनके वचनों का अक्षरश: पालन करते हुए सादगी को अपने जीवन में सम्मिलित किया है.ओर हम लोग हैं कि उसकी सादगी एवं सहिष्णुता को उसकी मूर्खता समझ बैठे.कदाचित इस दुनिया मे जीने के लिए सीधापन बिल्कुल भी उपयुक्त नहीं है.

गधा वास्तव में सुख-दुख,मान-अपमान मे समभाव रखने वाला जीव है.चाहे कैसी भी परिस्थिती हो, यह कभी भी किसी बात को स्टेटस सिंबल नहीं बनाता.पिछले दिनों राजस्थान में नोवीं कक्षा की पाठयपुस्तक के एक लेख में गधे की तुलना नेताओं से कर दी गई.लेकिन ऎसी अपमानजनक तुलना के बावजूद भी गधों ने कोई आपत्ति दर्ज नहीं की.अगर ओर कोई होता तो अब तक शिक्षा विभाग पर मानहानि का दावा ठोंक दिया होता.क्या इस से ज्यादा सहनशील जीव आपको पृ्थ्वी पर अन्य मिल सकता है?

अभी कुछ महीने पहले की ही एक ओर घट्ना मुझे याद आती है जब मध्यप्रदेश के एक अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री रोजा इफ्तार पार्टी मे गए तो कुछ संगठनों के नेताओं ने उनके विरोध स्वरूप मंत्री महोदय की तेहरवीं की और ब्राह्मण भोजन स्वरूप गधों कों भोजन कराया .अब आप बेचारे गधों की बंधुत्व भावना देखिए की उन्होने बिना आनाकानी किए भोजन कर भी लिया. जब कि शास्त्रों मे ब्राह्मण का शूद्रों के घर भोजन करना त्याज्य माना गया है.अब आप ही बताऎं कि क्या इससे बढकर कोई सामाजिक समरसता वाला जीव आपने अभी तक अपने जीवन में देखा है.वैसे भी अपना-पराया,छोटा-बडा,जात-पात ये सब तो अल्पबुद्धियों के दिमाग की उपज हैं,उदारचरित वालों के लिए तो सारी पृ्थ्वी ही कुटुम्ब है.

गधर्भ महाराज की एक और विशेषता यह भी है कि इन्हे दुनिया के किसी भी झगडे-झंझट,झमेले से कोई सरोकार नहीं है."ना काहू से दोस्ती अर ना काहू से बैर"इस नीतिवचन का लंगोट संभालते हुए(अजी मेरा मतलब अनुसरण करते हुए) ये ना तो अमरीका की तरह किन्ही दो देशों के लफडे में पडता हैं. ना किसी की पीठ थपथपाता हैं ओर ना ही किसी को धमकाता हैं.
बस अपने विरासती अलमस्त अंदाज में चल अकेला-चल अकेला-चल अकेला.....तेरा मेला पीछे छूटा राही चल अकेला... गुनगुनाते हुए जीवन पथ पर बढता जाता है.
अब आप ही बताऎं कि इतने गुणी जीव का ऎसा घोर अपमान कहां तक सहनीय हो सकता है?.
सच पूछो तो आज इन्सान से बढकर नासमझ जीव इस सृ्ष्टि में दूसरा नहीं है ओर हम लोग हैं कि बेचारे गधे को ही मूर्खता का प्रयाय मानकर प्रताडित करनें में लगे हुए हैं.

आज गधे को सम्मान देकर, उसका अनुसरण कर जहां एक ओर हम एक सभ्य समाज की परिकल्पना को साकार कर सकते हैं, वहीं दूसरी ओर सदियों से इस गुणी जीव पर अपने पूर्वजों द्वारा किए गए अपमान का शायद थोडा बहुत प्रायश्चित भी कर सकते हैं ।

अपने जीवन में कितने ही गधों की संगत करने के बाद आज मैं इस निष्कर्ष पर पहुँचा हूँ कि गधा अनुकरणीय तो है ही,वन्दनीय एवं प्रात: स्मरणीय भी है। गधे के अपने आदर्श हैं, अपनी फिलॉसाफ़ी है, ज़िंदगी के अपने कुछ मापदंड हैं, सिद्धांत हैं।

मेरा तो केवल यही मानना है कि जब तक गधे का आंकलन महज गधे की दृष्टि से ही किया जाएगा, तब तक न तो समाज का भला होने वाला है, न देश का, न दुनिया का और न ही इस चिट्ठाजगत का।

7 टिप्‍पणियां:

ss ने कहा…

"उस बेचारे की सादगी ओर सहिष्णुता को ही उसकी मूर्खता मान लिया गया है.जब कि वो तो नितांत 'गांधीवादी विचारधारा' का समर्थक जीव है."
गांधीवादियों को भी मुर्ख ही माना जाता है आजकल|:)

दिलचस्प लेख था...अब हम भी सुबह सुबह गर्दभ वंदना शुरू करते हैं...

नीरज मुसाफ़िर ने कहा…

वत्स जी, नमस्कार.
आपका गधा पुराण बढ़िया लगा. अगर आप गधे के बाद कोष्ठक में मेरा नाम भी लिख देते तो और भी अच्छा लगता.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

वत्स जी
अच्छा व्यंग है...........गधे की मार्फ़त क्या क्या बोल दिया. और ये तो आपके व्यंग की पराकाष्ठा है

पिछले दिनों राजस्थान में नोवीं कक्षा की पाठयपुस्तक के एक लेख में गधे की तुलना नेताओं से कर दी गई.लेकिन ऎसी अपमानजनक तुलना के बावजूद भी गधों ने कोई आपत्ति दर्ज नहीं की

जोर का झटका धीरे से.........

बेनामी ने कहा…

वाह शर्मा जी, क्या खूब लिखा है.
बेचारे गधों की व्यथा किसी ने तो समझी.

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

उत्तम गधा पुराण. कहीं कोई ग्रन्थ लिखने का इरादा तो नहीं है गधों पर, वैसे मानव शरीर में भी मिल जायेंगे. जब भी नयी पोस्ट लिखें मेरे ब्लाग पर लिन्क देने की कॄपा करें.

राज भाटिय़ा ने कहा…

देखिये गधा कितना शरीफ़ है आप ने इतना कुछ लिख दिया फ़िर भी वो चुप हे एक बार लालू के बारे लीखो...:)
धन्यवाद

सीमा रानी ने कहा…

smarma ji me is mamale me aapse sahamat hun aur gadhon ke liye mere man me hamesha achhchi bawnayen rahi hain .meri is bat ka samarthn karane ke liye gadhe bhi mil jayenge.

www.hamarivani.com
रफ़्तार