मुरारी लाल:- ":महाराज्! हम तो बस चिट्ठाकारी कीट हैं, हम दोनों "ब्लागनगर" के रहने वाले हैं। आप लोगों की बडी महिमा सुनी है,इसलिए दर्शनों के लिए आए हैं ।"
"बोलो बच्चा! कहो कोई समस्या आन पडी है क्या?"
महफूज:- "महाराज्! समस्या तो ऎसी कुछ नहीं । बस हम तो आपके दर्शनों के अभिलाषी थे, ब्लागिरी के मोह को त्याग कर आत्मिक शान्ती की खोज में आप लोगों के द्वारे आए हैं "
"न्! बच्चा न्! अभी तुम लोगों की आयु इन बखेडों में पडने की नहीं है । अभी तुम बस ब्लागिंग की ओर ध्यान दो।"
मुरारी लाल:- "बाबा! ब्लागिंग में क्या खाक ध्यान दें। दिनरात मगजमारी करनी पडती है, तब जाकर हफ्ते दस दिन में एक पोस्ट का जुगाड हो पाता है। हम लोग हर रोज कम से कम सौं लोगों के चिट्ठे पर जाकर टिप्पणियाँ करते है, तब जाकर बदले में हम लोगो को अपनी पोस्ट पर मुश्किल से पाँच सात टिप्पणियाँ मिल पाती हैं। ऊपर से फालतू में सारा दिन कम्पयूटर पे खिटर-पिटर करते रहो, न कुछ कमाई न धंधा"।
बाबा ललितानन्द:- "धैर्य रखो बच्चा ! एक दिन तुम्हारा भी वक्त जरूर आएगा, जब तुम्हे अपनी हर पोस्ट पर सैकंडों टिप्पणियाँ मिला करेंगी, रही बात कमाई कि तो वो भी जल्द शुरू हो ही जाएगी । अवधिया जी और पाबला जी जैसे तकनीकदक्ष ब्लागर इसकी खोज में प्रयासरत हैं"।
मुरारी:- महाराज्! ब्लागर बनने का वास्तविक अधिकारी कौन है"?
बाबा ललितानन्द:-"जो संसार में किसी काम के लायक न रहें"
मुरारी:- "बुद्धिमान ब्लागर कौन है।"
बाबा ललितानन्द :- "जो दो विरोधी विचार आधारित पोस्टों पर "बिल्कुल सही कहा आपने" लिखकर टिप्पणी करना जानता हो"
मुरारी:-"मूर्ख ब्लागर की परिभाषा क्या है?"
बाबा ललितानन्द:- "जो गोलमोल बात न कह करके अपने ह्र्दय के भाव सब पर सरलता से प्रकट कर दे "
मुरारी:- "सच्चे ब्लागर का सबसे बडा गुण क्या है" ?
बाबा ललितानन्द:-" सुबह शाम गुरूदेव्! गुरूदेव्! कहकर अपने से वरिष्ठ ब्लागरों की चापलूसी और आत्म गौरव का अभाव"
मुरारी:- "सिद्धहस्त ब्लागर किसे कहना चाहिए" ?
बाबा ललितानन्द:- "जिसे दूसरे के लिखे लेखों, कविताओं,कहानियों को चुराने में तनिक भी शर्म का अनुभव न हो "
मुरारी:-"हिन्दी ब्लागिंग का प्रचार प्रसार कैसे होगा"?
बाबा ललितानन्द:- "रोमन भाषा में अधिकाधिक टिप्पणियाँ करने से"
मुरारी:- "हिन्दी ब्लागिंग में सर्वश्रेष्ठ रचना कौन सी है"?
बाबा ललितानन्द:-"जो अभी तक स्वयम रचनाकार की भी समझ में न आई हो"
इतना कहकर बाबा ने अपनी दृ्ष्टि मुरारी लाल से हटाकर अब महफूज अली की ओर की---- "हाँ तुम बोलो बच्चा! तुम्हे क्या कष्ट है? क्या तुम भी मुरारी लाल की तरह ब्लाग ज्ञान के उद्देश्य से आए हो" ?
महफूज:- "नहीं महाराज्! ब्लागिंग में तो अपने को कोई दिक्कत परेशानी नहीं है । बल्कि आपकी कृ्पा से अपनी ब्लागिरी की दुकान तो चकाचक चल रही है, हर पोस्ट पर सौं पचास टिप्पणियाँ तो बडे आराम से बिना कुछ किए ही मिल जाती हैं"।
बाबा ललितानन्द:- " तो बच्चा, फिर तुम्हारे इस मुख मंडल पर ये उदासी क्यूं है?"
महफूज:- "बाबा! मेरी क्या बताऊँ! मेरी समस्या कुछ अलग है । दरअसल बात ये है कि जब से मेरी प्रेमिका रामप्यारी नें मुझे छोडकर सन्यास ग्रहण किया है, बस तब से मेरी आत्मा बहुत अशान्त रहती है । अब तो मन करता है कि मैं भी सब कुछ छोडछाड कर बस सन्यासी बन जाऊँ । मैं तो दुनियादारी का मोह त्याग कर बस आपके पास परम सत्य की खोज में आया हूँ। मन में कुछ भ्रम हैं, जिनका आपसे निवारण चाहता हूँ "
बाबा ललितानन्द:- "कहो! तुम्हें क्या भ्रम है बच्चा?"
महफूज :- "मुक्ति" कैसे प्राप्त होती है ?
बाबा ललितानन्द जी:- "आँख,कान बन्द करके खूब मोटा पैसा कमाने से ही मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है"।
महफूज:- "महाराज्! "परोपकार" क्या है?"
बाबा ललितानन्द जी:- "खूब आनन्द से रहना और पाखंड पूर्वक स्वार्थ साधना ही "परोपकार" है। "
तभी बाबा समीरानन्द और बाबा ताऊआनन्द जी भी समाधि से उठ खडे हुए । बाबा जी का एक भक्त उन्हे सुल्फा भरी हुई चिलम पकडा गया और ये दोनों बारी बारी से लम्बे लम्बे कश खीँचने लगे । जब चिलम से निवृ्त हुए तो सामने बैठे इन दोनों की ओर हल्की सी निगाह डालकर बाबा ललितानन्द की ओर प्रश्नवाचक दृ्ष्टि से देखने लगे। उन्होने भी उनकी दृ्ष्टि के आशय को समझने में देर न लगाई ओर कहने लगे "गुरूदेव्! ये दोनों ब्लागजगत से आए दुखी ब्लागर हैं, आत्मिक शान्ती की खोज में यहाँ आए हैं।"
मुरारी लाल और महफूज दोनों नें ही बडे ही श्रद्धाभाव से बाबा लोगों के चरणों में अपना शीश झुकाया । बाबा लोगों नें भी झट से आशीर्वाद दे डाला "आयुष्मान भव:, दूधो नहाओ, पूतो फलो"
"तुम्हारा कल्याण हो वत्स"
बाबा समीरानन्द :- "कहो वत्स्! क्या शंका है तुम्हारी ?"
महफूज:- "महाराज्! स्वर्ग कहां है ?"
बाबा समीरानन्द:- "सिविल लाईन्स तथा माडल टाऊन की कोठियों और मल्टीप्लैक्स में "
महफूज:- "ओर नरक किस जगह है" ?
बाबा ताऊआनन्द:- "जो लोग अपनी सनातन संस्कृ्ति पर गर्व करते हैं, उन लोगो के घरों में "
महफूज:- "धर्म" क्या है ?
बाबा समीरानन्द:- "संसार की सब से सस्ती और निकृ्ष्ट वस्तु का नाम ही धर्म है"
महफूज:- "इन्सान को धर्म का पालन कब करना चाहिए ?"
बाबा ताऊआनन्द:- " मृ्त्यु के समय----जीवन समाप्ति में जब एक आध दिन रह जाए, यानि कि जब यमदूत प्राण लेने को दरवाजे पर खडा हो, तब"
महफूज:- "जीवन की सफलता किसमें है ?"
बाबा ताऊआनन्द:- "ढोंग रचने और ऎश करने में "
महफूज:- "सच्चा ज्ञानी कौन है?"
बाबा समीरानन्द:- " दसँवी में 33 प्रतिशत नम्बर लेकर भी जो अफसर की कुर्सी पर बैठा फर्स्ट डिवीजन बी.ए., एम.ए. पास को धमका रहा है"
महफूज:- "सबसे बडा सत्यवादी कौन है?"
बाबा ललितानन्द:- नेता, वकील और हिन्दी ब्लागर"
महफूज:- "मनुष्य जीवन का उदेश्य क्या है?"
बाबा ताऊआनन्द:- "कमजोरों को सताना और अपने से बलवान से दब जाना ।"
महफूज:- "महाराज्! आज आपने मेरी सारी संशयनिवृ्ति कर दी, अब जाकर मेरी आत्मा को परम शान्ती प्राप्त हुई है । मेरे ह्रदय की उद्विग्नता दूर हो गई,! आप मुझे जो आदेश देंगें, अब मैं वही करूँगा"।
मुरारी:- "धन्य गुरूवर, धन्य् ! आज आप लोगों के दर्शन कर मेरे नेत्र और उपदेश सुनकर मेरे कान पवित्र हो गये । अब तो मैं आपके पाद-पंकंजो की सेवा कर अपना जीवन संवारना चाहता हूँ"।
" जाओ, बालको! अब अपने ब्लाग की सुध लो और हमारे बताए विधान द्वारा अपनी ब्लागिरी चमकाने के साथ साथ अपने लोक परलोक को भी सुधारते जाओ । बस तुम अपने इस जीवन मे ही मुक्ति के अधिकारी बनकर निसंदेह स्वर्ग को जाओगे। ओर हाँ, भक्तजनों के सहयोग से आश्रम का निर्माण कार्य प्रगति पर है । उसमें अपना योगदान देकर शर्मा जी से उसकी रसीद जरूर लेते जाना । अच्छा! चलते हैं, अब हम लोगो की समाधि का समय हो गया हैं ।"
तीनों बाबा आशीर्वाद की मुद्रा बनाए आश्रम के भीतरी भाग में बने अपने अपने वातानुकूलित कक्ष की ओर प्रस्थान कर गये ।
हरि बोल.......
28 टिप्पणियां:
अरे यह क्या आपने तो सारे राज जगजाहिर कर दिये ।
जय हो पंडित जी आज तो छा गये आप .......... मज़ा आ गया पढ़ कर ......... पूरी की पूरी पोस्ट एक साँस में पढ़ गया .... स्वामी ललितानन्द ने तो कमाल कर दिया ...... भक्तों के साथ साथ सब ब्लॉगेर्स भक्तों का भी कल्याण कर दिया ...... कितने सुलझे हुवे तरीके से सब शंकाओं का समाधान कर दिया ........ भाई आज की पोस्ट तो सिक्सर नही बल्कि दस्सा मार गयी......
वाह पंडितजी अपनी सारा गुह्य ज्ञान बाँट दिया !!!बाबाओं की चापलूसी और बहुत सुन्दर कहना ही बुद्धिमान बलागर की निशानी है ??? अब क्या कहूँ बहुत सुन्दर कहूँ या कुछ और !!!
महफूज:- "सच्चा ज्ञानी कौन है?"
बाबा समीरानन्द:- " 33 प्रतिशत नम्बर लेकर भी जो अफसर की कुर्सी पर बैठा बी.ए., एम.ए. पास को धमका रहा है"
सत्य वचन!
वाह!पंडित जी-क्या जोरदार गुरु चेला संवाद कराया है, आज तो आप भी टिप्पणी खींचु पोस्ट लेकर आ गए। बाबाजी का आशीर्वाद काम आएगा। लगता है टिप्पणी खींचु, पोस्ट हिट कराऊ यंत्र आप भी लेकर आ गए आश्रम से, हा हा हा
waah waah...........bahut hi sarthak nitigyan diya hai baba ne.........har blogger ka man shant ho jayega aur uske jeevan ka param uddeshya use aaj to jaroor hi mil gaya hoga...........dhanya ho gaye hum to.
बहुत खूब ! रोचकता रही सुरु से अंत तक !
nice post
हरि बोल
श्रीब्लागरगीताज्ञान हम तक पहुंचाने के लिये धन्यवाद
बाबा समीरानन्द, बाबा ताऊआनन्द, बाबा ललितानन्द जी की जय हो
मुरारी जी और महफूज जी के पूछे गये सवालों के कारण हमें भी मुक्ति मिले और स्वर्ग नसीब हो जायेगा।
प्रणाम
अरे पंडित जी कही ब्रेक तो मारी होती, आप ने तो सब पोल पट्टी खोल कर रख दी, कुछ कल के लिये भी रख छोडा होता......चलिये हमारी राम राम जी की मिलते है अगले लेख मै
वाह ...क्या खूब ज्ञान प्रसाद बांटा है ...
धन्य हुए ....!!
अरे वाह....!
बकवास ही बकवास।
कुछ इधर की!
कुछ उधर की!!
दोनों ही बढ़िया रही जी!
बधाई तो ले ही लें!
चर्चा मंच में इसे उठा लिया है जी!
चाल्हे से ई पाड दिये पंडितजी आपने तो आज. नासवा जी सही कह गये कि आज तो दस्सा मार दिया आपने.
रामराम.
आपने तो ज्ञान चक्षु से खोल दिए प्रभु ....
बहुत बढिया
panditji, ati rochak aur majedar, hansi dabaye nahi dabti. Ghor kalyug ki sachai ko kitne majedar shaili me racha hai, abhinandan.
अरे! वाह! आज तो आपने आपने बिना बल्ले के ही छक्का जड़ दिया.....
बाबा ललितानन्द:- "कहो! तुम्हें क्या भ्रम है बच्चा?"
महफूज :- "मुक्ति" कैसे प्राप्त होती है ?
यह "मुक्ति" सही में बता दीजिये कि कहाँ मिलेगी....?
मज़ा आ गया पढ़ कर.... हँसते हँसते..... पेट में पोलियो हो गया......
वाह!! क्या क्या न बता दिया...
बाबा समीरानन्द को आज से आश्रम के गेट पर चैकिंग लगवाना पड़ेगी. नया स्क्यूरिटी प्रभारी नियुक्त करना पड़ेगा. अन्दर की बात बाहर आ रही है.
मजा तो आ ही गया!! :)
ये स्टोरी भी मजेदार चल रही है... :)
अब जब इन नये बाबा शर्मान्द जी:) महाराज का अवतरण हो ही गया है तो इसे जारी रखे.....बहुत रोचक पोस्ट लिखी है......पढ़ कर बहुत आनंद आया...
इस दिव्य ज्ञान के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
मज़ेदार!
एक बार फिर पढ़ना पड़ेगा
बी एस पाबला
बाबा जी आपने साधु मुख से ही सहीं चिट्ठाजगत का एकदम पैना विश्लेषण किया है. हम इसे हंसी ठिठोली समझ कर पढने आ नहीं रहे थे किन्तु जब पढा तो ज्ञान चक्षु खुल गए वैसे हम आपके विशाल अनुभव व अध्ययन से आशान्वित हैं और हमें विश्वास है आपकी लेखन प्रतिभा ऐसे ही निखरती रहे.
आज 'बिल्कुल सही कहा आपने' की टिप्पणी के बजाए चार लाईन लिखना आवश्यक हो गया था. हा हा हा
तीनों लोक का दिव्य प्रकाश पाकर धन्य हुए महाराज...क्या सफल ब्लॉगर बनने के लिए अब आपको भी गुरुदेव-गुरुदेव
करना पड़ेगा...नेता, वकील के साथ ब्लॉगर...क्या डेडली कम्बीनेशन है...मैं सोच रहा था कि द्विवेदी सर को अब कोई
चुनाव भी लड़ा देना चाहिए...(निर्मल हास्य्)
जय हिंद...
आज फिर से पढ़ा इसे
"बुद्धिमान ब्लागर कौन है।"
"जो दो विरोधी विचार आधारित पोस्टों पर 'बिल्कुल सही कहा आपने' लिखकर टिप्पणी करना जानता हो"
"हिन्दी ब्लागिंग का प्रचार प्रसार कैसे होगा"?
"रोमन भाषा में अधिकाधिक टिप्पणियाँ करने से"
"हिन्दी ब्लागिंग में सर्वश्रेष्ठ रचना कौन सी है"?
"जो अभी तक स्वयम रचनाकार की भी समझ में न आई हो"
वाह! वाह!! वाह!!!
"वत्स" का कल्याण करें ब्लॉगदेव :-)
बी एस पाबला
क्या बात है वत्स जी.
टिप्पणी खींचु, पोस्ट हिट कराऊ यंत्र हमने कल ही कहा था सब बाबा लोगों के यन्त्र का कमाल है, अब रेट बढवाना पड़ेगा स्वामी जी से कह कर्। हा हा हा हा
धन्य हैं महाराज!
वाह बाबा जी तो धन्य हैं ही मगर आपका भी जवाब नहीं । लाजवाब पोस्ट है बधाई नये साल की शुभकामनायें
सभी प्रश्नों के सही जवाब दिए गए है | जय हो बाबा जी की |
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