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शुक्रवार, 8 जनवरी 2010

आखिर हम लोग ब्लागिंग किस लिए कर रहे हैं ???

बहुत दिनों से मन मे ये सवाल उमडघुमड रहा है कि आखिर हम लोगों का ब्लागिंग करने का उदेश्य क्या है ?। आखिर क्यूँ हम लोग दिन रात मगजमारी किया करते हैं । बहुत सोचने पर भी मेरी समझ में अभी तक कुछ नहीं आया । वैसे कुछ न कुछ उदेश्य तो होता ही होगा । अगर इसका सचमुच में कोई उदेश्य न होता तो क्यूँ रात रात भर, जब कि बाकी दुनिया सुख की नीँद ले रही होती है और हम लोगों की आँखें कम्पयूटर सक्रीन पर गढी होती हैं । अकारण ही तो कोई समझदार इन्सान इतने व्यस्त जीवन और मंहगाई के इस जमाने में अपना टाईम खोटी नहीं करेगा।
सचमुच कुछ न कुछ उदेश्य तो चिट्ठाकारी का होना ही चाहिए । पर सच कहूँ, तो अब तक इसका उदेश्य मेरी समझ में तो नहीं आया ? यों तो हमारी भी चिट्ठाकारी साधना किसी से कम नहीं रही है । अभी तक अपने जीवन का स्वर्णिम एक वर्ष और चार महीने इस पर न्यौछावर कर चुके हैं । इस बीच यह नहीं कि हमने यहाँ रहकर कोई भाड ही भूँजा है---बल्कि लगभग प्रति सप्ताह एक पोस्ट के हिसाब से अपने पाठकों को ज्योतिष पर अति महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते रहे हैं । धर्म यात्रा ब्लाग पर अपने धर्म, संस्कृ्ति, नीतिज्ञान आधारित लगभग 60-70 आलेख छाप चुके हैं । यहीं इसी ब्लाग पर ही कुछ सामाजिक आलेख, एक दो कथा कहानियाँ, एक गजल और थोडी सी बकवास भी ठेल चुके हैं । अब पाठकों नें उन्हे किस हद तक पसन्द किया, ये तो मैं नहीं जानता लेकिन टिप्पणियो में आलोचकों द्वारा मिले प्रशंसा पत्र जरूर आज तक हमने सहेज कर रखे हुए हैं ।
अब अगर आप लोग मुझसे पूछें कि ब्लागिंग के पीछे मेरा क्या उदेश्य है तो शायद आप लोगों को मेरा जवाब कुछ निराशाजनक प्रतीत हो...क्यों कि अभी तक हम तो किन्ही उदेश्यों का निर्धारण कर ही नहीं पाए हैं। सच बात ये है कि बहुत खोजने पर भी हमें तो कोई उदेश्य अभी तक मिला नहीं।
अब आप लोग किन्ही विशेष उदेश्यों को लेकर ब्लागिंग कर रहे हैं तो हमारा उदेश्य भी वही समझ लीजिए। लेकिन बता जरूर दीजिएगा कि आपका उदेश्य क्या है?...वर्ना इस सवाल का जवाब मिलने तक यूँ ही फालतू में हमारा भेजा मंथन चलता रहेगा ।
आज आप लोगों का बहुत समय ले लिया.......चलते चलते एक सुन्दर सी तस्वीर देख लीजिए। लेकिन बताए देते हैं कि चित्र और आज की इस पोस्ट का आपस में कैसा भी कोई सम्बंध नहीं है :)

29 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

बहुत दिनों से मन मे ये सवाल उमडघुमड रहा है कि आखिर हम लोगों का ब्लागिंग करने का उदेश्य क्या है ?।
http://mypoeticresponse.blogspot.com/2008/12/blog-post_4514.html
see how many responses i got when i raised this question a year back
its good people are now waking up in hindi bloging

संजय बेंगाणी ने कहा…

भड़ास निकालने के लिए :)

Unknown ने कहा…

पण्डित जी! आपने एक बहुत ही अच्छा मुद्दा उठाया है अपने इस पोस्ट में!

बिना किसी उद्देश्य के कोई भी काम नहीं होता। ब्लोगिंग के एक नहीं अनेक उद्देश्य होते हैं और अलग अलग लोगों के लिये अलग अलग उद्देश्य होते हैं। आज अंग्रेजी ब्लोगिंग में तो अपने ब्लोग से कमाई करना ही सबसे बड़ा उद्देश्य बन गया है। जहाँ तक हिन्दी ब्लोगिंग का सवाल है, इसमें भी अलग अलग लोगों के अलग अलग ही उद्देश्य हैं। अब किस ब्लोगर का क्या उद्देश्य है यह तो वही बता सकता है। हो सकता है कि किसी का उद्देश्य हिन्दी की सेवा करके उसे नेट में आगे बढ़ाना हो तो किसी का उद्देश्य मात्र नाम कमा कर आत्मतुष्टि करना ही हो।

यह कहते हुए मुझे जरा भी झिझक नहीं है कि ब्लोगिंग का मेरा उद्देश्य हिन्दी को आगे बढ़ाते हुए अपने ब्लोग से कमाई करना है।

रंजू भाटिया ने कहा…

लिखना ,हिंदी को बढ़ावा देना और यदि कमाई भी हो जाये हिंदी ब्लोगिंग से तो बात ही क्या है ..पर अभी तो कुक नजर नहीं आ रहा है यहाँ से कमाई का जरिया :)

Girish Kumar Billore ने कहा…

हम सब में आत्म उत्कंठा का अतिरेक ब्लागिंग करा रहा है
वास्तव में यदि हिंदी की बेहतरी के लिए कु छ करना है तो गंभीर
होना ही होगा पर सभी गलत नहीं हैं अगंभीरहैं यह आरोप भी गलत है

Girish Kumar Billore ने कहा…

हम सब में आत्म उत्कंठा का अतिरेक ब्लागिंग करा रहा है
वास्तव में यदि हिंदी की बेहतरी के लिए कुछ करना है तो गंभीर
होना ही होगा पर सभी गलत हैं अगंभीर हैं यह आरोप भी गलत है

Unknown ने कहा…

हरेक का उद्देश्य अलग-अलग है, इसलिये लेख या टिप्पणियाँ भी उसी स्तर की होती हैं…। हमारा उद्देश्य तो हिन्दुत्व को बढ़ावा देना, राष्ट्रवाद की भावना मजबूत करना तथा छद्म सेकुलरवादियों तथा देशद्रोहियों को बेनकाब करना है… और इसी कार्य में लगे हुए सिर्फ़ 3 साल हुए हैं हमें… आगे सिलसिला चलता रहेगा…

बेनामी ने कहा…

आप भी कैसी बातें करते हैं पंडीत जी. हिन्दी भाशा का विस्तार ही तो हम सब लोगों का उदेश्य है :)

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

सुरेश जी के साथ.

Mithilesh dubey ने कहा…

सही है , ???

बेनामी ने कहा…

ब्लॉगिंग तो हमारे लिए एक तरह की डायरी है, जिसमें अपने खट्टे-मीठे अनुभव, तकनीकी जानकारियाँ, सिक्के-टिकट इक्कठा करने जैसे ब्लॉग-कतरनों का संकलन, जनमदिन आदि पर बधाई देने का जरिया, कुछ वेब-लिंक्स का जमावड़ा वगैरह वगैरह रहते हैं।

अब इस ऑनलाईन डायरी से किसी को कोई लाभ होता है तो ठीक, वरना हमारे लिए तो संदर्भ है ही। समय समय पर खोल कर देख लेते हैं ज़रूरत के हिसाब से :-)

सरकारें, करोड़ों-अरबों खर्च कर हिन्दी को बढ़ावा नहीं दे सकी। हम किस खेत की खरपतवार हैं?

बी एस पाबला

उम्दा सोच ने कहा…

भाई ब्लोग्बाजी मैंने शुरू तो की थी खेल खेल में पर कुछ खुराफातियों को यहाँ खुराफात करते देख रहा नहीं गया! भाई सुरेश चिपलूनकर से प्रेरणा मिली और इसे एक उद्देश्य बना लिया!


अब यहाँ की खा कर पाकिस्तान की गुणगान करने वालो और कसाब और अफज़ल को हीरो बनाने वालो की खैर नहीं !


इस्लाम का सम्मान करता हूँ और सनातन धर्म के आलोचकों की करता हूँ ऐसीतैसी !!!


कॉमन सिविल कोड के लिए यहाँ से अभियान चले सुधि साथी संगठित हो ये उद्देश्य है और यही कामना है !

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

मुण्डेर्मुण्डे मतिर्भिन्ना,

हमारा उद्देश्य ब्लागिंग

राज भाटिय़ा ने कहा…

भाई हम मजा लेने के लिये आते है, जरुरी नही की रोज आये, ओर इस के गुलाम भी नही बने, कि इस के बिना रह नही पाये, लेकिन यहां जर्मन मै भारतीया दोस्त महीने मै एक दो बार ही मिल पाते है, इस लिये हिन्दी ब्लांग मै आ जाते है, जेसे चाय की दुकान पर बेठे गप्पे मार रहे हो.... बस ज्यादा कुछ नही, ओर इस ब्लांगिग से कई अच्छे, कई बहुत अच्छे लोग भी मिल गये दोस्त के रुप मै

Udan Tashtari ने कहा…

कुछ तो कर पा ही रहे हैं अपनी मातृ भाषा के प्रचार प्रसार के लिए.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

समीर लाल जी ठीक कहते हैं।

चंद्रमोहन ने कहा…

बिल्कुल सही कहा!!!

Unknown ने कहा…

मेरा ब्लोगिंग का एकमात्र कारण अपने आपको प्रचारित प्रसारित करना तथा इसके साथ साथ
नयी प्रतिभाओं को मंच पर लाना है

हिन्दी की सेवा का मैं कोई दम नहीं भरता , क्योंकि अब हिन्दी इतनी विराट हो चुकी है कि उसे किसी सेवा की ज़रूरत नहीं है, हाँ...........हिन्दी के साथ साथ मैं जितनी भी भारतीय भाषाएं जानता हूँ, सब में लिखता हूँ और चाहता हूँ कि जिस प्रकार हिन्दी के आशीर्वाद और संबल से मेरा घर चल रहा है उसी प्रकार मेरी लेखनी से भी हिन्दी साहित्य व हिन्दी पाठकों को कुछ न कुछ ऐसा मिलता रहे जो कभी हंसाये, कभी रुलाये, कभी भड़ास के ज़रिये भीतर का ज़हर निकले तो कभी अंतर्मन की यात्रा कराये.....

मैं खूब अच्छा और खूब बुरा , दोनों ही तरह का लेखन करके सभी तरह के पिपासुओं की तृषा शांत करने का प्रयास करता हूँ . इसीलिए मैं एक साथ ९ ब्लॉग लिखता हूँ जिसे अच्छा पढना हो, अच्छा पढ़े, जिसे गन्दा पढना हो, गन्दा पढ़े...

येन केन प्रकारेण चर्चा में रहना और लोगों का ध्यान आकर्षित करना मेरा ध्येय है और मैं आप सबकी
कृपा से इसमें पूर्णतः सफल हूँ

जय हिन्दी
जय हिन्द !

ताऊ रामपुरिया ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
ताऊ रामपुरिया ने कहा…

हम तो अपनी ऐसी तैसी कार्वाने के लिये ब्लागिंग कर रहे हैं. और अब छोदकर भी जाने के लिये निर्देशित हैं आप बताईये आप क्युं कर रहे हैं?

अन्तर सोहिल ने कहा…

हम तो ब्लागर हैं नही, हम तो पाठक हैं जी
हमने तो डायरी के कुछ पन्नों को सहेजने के लिये ब्लाग बनाया था और अब कभी साल दो साल में कुछ भी डाल देते हैं।

प्रणाम स्वीकार करें

दिगम्बर नासवा ने कहा…

वत्स जी आपक का प्रश्न वाजिब है अपने जगह ठीक है ......... और हर किसी को उसका उत्तर स्वयं ही खोजना है ......... पर मुझे तो अपना पता है ....... मुझे मज़ा आता है ........ खुशी होती है.......... इसलिए ब्लॉगिंग करता हूँ भाई अपने लिए इतना तो कर ही सकता हूँ .............अच्छा लगता है पढ़ना इसलिए दूसरों को पढ़ता हूँ ........ टिप्पणियाँ मिलें इसलिए टिप्पियाता भी हूँ .........

अजय कुमार झा ने कहा…

ताकि आप मुझे और मैं आपको जान सकूं ,और अगर शब्दों से ये हो सकता है, तो यही कोशिश जारी है ..वैसे गंभीर और अगंभीर लेखन, रही बात क्षेत्र ,शैली, विषय चुनना तो सबके अपने ऊपर है ,चलिए इसी बहाने से कुछ सार्थक विमर्श तो हुआ

सूर्यकान्त गुप्ता ने कहा…

ब्लॉग से तो पहले पूर्ण रूपेण अनभिज्ञ था
संजीव भाई, शरद भाई व ललित भाई लोगों से
पूरा तो नहीं थोडा वाकिफ हुआ और कुछ न कुछ
इसमें लिखना शुरू कर दिया. प्रत्येक कार्य हो अथवा
क्रिया, परिणाम सकारात्मक व नकारात्मक होते हैं.
हम कौन सा दृष्टिकोण अपनाते हैं इस पर निर्भर करता है.
वैसे इस तकनालाजी का सार्थक पहलु यह है कि लोगों की
तमन्ना पूरी करने , या कहें कुछ करने व सीखने (लेखन के प्रति) की रूचि,
बढ़ने में सहायक है. ठीक है यदि अर्थोपार्जन में इसका योगदान मिल रहा हो.

निर्मला कपिला ने कहा…

समीर लाल जी सही कह रहे हैं मैं तो इस लिये भी आयी कि पंजाब मे हिन्दी लेखक को कोई कम ही घास डालता है। फिर ये समय का सदुपयोग भी है मैं पहले इतनी कविता लिख नहीं पाती थी अब लिखनी ही पडती है अगर ब्लाग चलाना है और दिन भर मे इतना कुछ पढने को मिलता है । अपने दुख सुख कहने के लिये पूरा ब्लागजगत परिवार है
रंजू जी का कहना भी सही है अगर कभी कमाई का भी योग बन जाये तो क्या कहने। आने वालों के लिये ही सही। ।वैसे सब के अलग अलग मन्तव हैं। शुभकामनायें

Smart Indian ने कहा…

उद्देश्य सबका तय है महाराज! पता है या नहीं, हमें नहीं मालूम. बताएं या नहीं यह व्यक्तिगत विचारधारा है. सदुद्देश्य है या नहीं यह देखने वाले पर निर्भर है.

खुला सांड !! ने कहा…

ओहो मगजमारी करनी पड़ती है बंधू हम एक दुसरे से जुड़ गए ये क्या कम उपलब्धि है !! और निचे के फोटो देख कर पता चला की मास्टरजी गधे को भी पढ़ना सिखा देते हैं!!!

शरद कोकास ने कहा…

मुझे लगता है कि हर ब्ळोगर के लिये एक उद्देश्य तो कॉमन है ..अर्थात अपने आप को अभिव्यक्त करना .. अन्यन्य लोगों के अन्यान्य उद्देश्य हो सकते हैं ।

BrijmohanShrivastava ने कहा…

सब के अपने अपने उद्देश्य है अपनी अपनी वजह है

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रफ़्तार