पार्क की एक बैन्च पर तीन मित्र बैठे है, मिश्रा, अनोखेलाल और चौबे----तीनों ही हिन्दी के ब्लागर. अब ये आपके सोचने पर है कि आप चाहे तो इसे किसी ब्लागर मीट का नाम दें या मित्रों की आपस की गुफ्तगू. अब इनमें मिश्रा और अनोखेलाल तो थे ब्लाग की दुनिया के पुराने पापी यानि कि तजुर्बेकार ब्लागर और इनके मित्र श्रीमान चौबे ब्लागिंग के नए नए रंगरूट. जिन्हे इस अद्भुत संसार में आए हुए ही मुश्किल से जुम्मा जुम्मा चार दिन ही हुए होंगें ओर इन्हे इस जंगल में धकेलने वाले भी यही दोनो मित्र थे....मिश्रा और अनोखेलाल.
तो जी, पार्क में ब्लागर मीट माफ कीजिएगा मित्रों की गुफ्तगू चल रही है. जहाँ मिश्रा और अनोखेलाल खूब प्रसन्न एवं गर्वित भाव से अपनी अपनी पोस्टें, उन पर सावन की बरसात की माफिक झमाझम बरसती टिप्पणियों, अपनी सीनियोरटी, फालोवर संख्या, सक्रियता क्रमांक, ब्लाग ट्रैफिक, अलैक्सा रैंक इत्यादि गहन विषयों पर विचारमग्न थे, वहीं बेचारे चौबे जी मुँह लटकाए उनके धीर च गम्भीर वार्तालाप को समझने के अफसल प्रयास में लगे हुए थे. जब इत्ती देर बीत जाने के बाद भी उनके कुछ पल्ले न पडा तो श्रीमान चौबे बातों का रूख अपनी ओर मोडने के लिए बीच में बोल पडे " मिश्रा जी, पता नहीं आप लोग किस बात पर इसकी शान में कसीदे पढते रहते हैं, जब कि हमें तो ब्लागिंग में आकर ऎसा कुछ खास मजा नहीं आया"
"क्यूँ भाई तुम्हें ऎसा क्यूँ लगा कि ब्लागिंग में कोई रस नहीं है" मिश्रा जी नें हैरान हो सवाल पूछ डाला.
" आप ही देखिए! हमें यहाँ आए हुए पूरे पन्द्रह दिन हो गए. इन पन्द्रह दिनों में हमने हर रोज साहित्य की किसी न किसी विधा पर रोजाना कम से कम एक पोस्ट लिखी है. ये तो अपने अनोखेलाल जी है जो हमारी हर पोस्ट को बडे चाव से पढकर टिप्पणी से नवाज जाते हैं. वर्ना तो आज तक हमारे ब्लाग पर कोई कुता तक भी झाँकने नहीं आया. पढना और पढ्कर टिप्पणी देना तो बहुत दूर की बात है. हाँ जिस दिन हमने ब्लाग लिखना शुरू किया था, उस दिन पहली पोस्ट पर जरूर साहित्यप्रेमियों की लाईन लगी हुई थी. कोई कह रहा था कि आपका हिन्दी ब्लागजगत में स्वागत है. हम आपकी विद्वता को नमन करते हैं. कोई कहे हिन्दी के उत्थान हेतु इस ब्लॉग जगत को आप जैसी प्रतिभाओं की बहुत जरूरत है.--- हम भी फूल कर कुप्पा हुई जा रहे थे कि वाह्! इन्हे कहते हैं साहित्यप्रेमी! विद्वता के सच्चे पारखी! लेकिन वो दिन है ओर आज का दिन उन लोगों में से एक जन भी दुबारा से ब्लाग पर झाँकने नहीं आया. यूँ गायब हुए मानो गधे के सिर से सींग. भाई हमने बिलाग पे काँटे बिखेर रखे हैं क्या जो किसी को चुभ जाएंगें" श्रीमान चौबे जी न जाने किस रौ में बहे अपनी पीडा का इजहार करते चले गए.
"लगता है आप अभी हिन्दी ब्लागिंग के तौर तरीकों से पूरी तरह से वाकिफ नहीं हैं. बताईये भला सिर्फ निरे लेखन के बूते भी भला यहाँ कोई टिक पाया है!" मिश्रा जी नें भी अपनी अनुभवशीलता की झलक दिखला ही दी.
अनोखे लाल जी भी झट से बोल पडे " अजी मिश्रा जी! अब क्या बतायें. इस बारे में ये हमारी बात तो सुनते ही नहीं. मैने सैंकडों दफे इन्हे समझाया कि भाई किसी बडे नामचीन से ग्रुप से जुड जाओ. थोडी बहुत चमचागिरी करनी सीख जाओ तो तुम्हारा भी कुछ भला हो जाए. लेकिन नहीं, ये महाश्य तो बात सुनते ही भडक जाते हैं. कहते हैं" मैं किसी की खुशामद करके ब्लाग चमकाने से ब्लाग न लिखना बेहतर समझूँगा" अब आप ही देखिए मिश्रा जी, आज के जमाने में ये कैसी दकिसानूसी सोच रखे हुए हैं "
मिश्रा जी कुछ न बोले, लेकिन इतना जरूर समझ गए कि इस भले आदमी पर आदर्शवाद का कच्चा रंग चढा हुआ है. बिना बारिश के धुलने वाला नहीं. और जब तक यह रंग नहीं उतरेगा तब तक ब्लागिंग में इन्हे कोई पूछने वाला भी नहीं.
खैर मिश्रा जी चौबे महाश्य को अकेले में एक तरह ले गए और बहुत देर तक पता नहीं क्या कुछ समझाते रहे. अब ये तो नहीं पता कि उन दोनों में क्या बाते हुईं लेकिन चौबे जी की मुखमुद्रा देख कर आभास हुआ कि मिश्रा जी की समझाईश कामयाब रही.
अपना अनुभवजन्य ज्ञान बाँटने के बाद मिश्रा जी अनोखेलाल के पास आए और कहने लगे "अनोखेलाल जी, समझिए कि मैने इन्हे ब्लागिंग शास्त्र का सम्पूर्ण पाठ पढा दिया है. किसी आवश्यक कार्य के कारण मैं अभी कुछ दिन ब्लागिंग से दूर हूँ. अब ये आपके जिम्मे रहा कि आप कुछ दिन तक इनके व्यवहारिक ज्ञान की प्रोगरेस रिपोर्ट निरन्तर मुझे ईमेल करते रहें.
कुछ दिनों तक अनोखेलाल जी ने इस नए रंगरूट के क्रियाकलापों को परखा और पहली रिपोर्ट मिश्रा जी को वाया ईमेल भेज दी " थोडे बहुत झटके खाकर और एक दो जगह लतियाये जाने के बाद अब चौबे महाश्य जय गुरूदेव! जय गुरूदेव! भजते व्यवहारिकता की पहली सीढी चढ गए हैं. कईं नामी ग्रुपबाजों के यहाँ रोजाना हाजिरी भरने तो जाते हैं,लेकिन अभी तक किसी की कृ्पादृ्ष्टि हो नहीं पाई. किन्तु चिन्ता की कोई बात नहीं खुशामद से तो देवता तक प्रसन्न हो जाते हैं, ये तो फिर भी हिन्दी के ब्लागर है. चाटुकारिता की महिमा अपरम्पार है. ब्लागेश्वर जल्द ही इन पर कृ्पा करेंगें"
खैर चौबे जी खुशामद का सहारा ले पहली सीढी तो चढ चुके. अब देखना सिर्फ ये बाकी है कि कब तक अन्तिम पायदान तक पहुँच पाते हैं....बाकी, ट्रेनिंग तो उनकी अभी चल ही रही है.......:)
32 टिप्पणियां:
तो क्या ये पतन की और अग्रसर थे वत्स साहब ? :)
बढ़िया पोस्ट!!
वैसे सफाई दे दूँ पंडित जी, कि मैं वहाँ नहीं था. अब वहाँ अरविन्द जी थे या महेंद्र जी, यह देखना बाकी है....:-)
चाटुकारिता की महिमा अपरम्पार है.
बलोगिंग का पहिया चमचागिरी ब्रांड की ग्रीस के बिना चलना असम्भव है|
हम भी 18 तारीख को ज्वाइन करने आ रहे हैं,
आपके शहर लुधियाना में!
नमस्कार सर! प्रभू को पाने की राह अलग अलग। भक्ति मार्ग की महिमा है बिलग। विशेष आकर्षण है भक्ति मार्ग मे। बढिया टिप्स दिये महाराज जी!
बहुत बढ़िया. ये क्लास तो सभी नव ब्लोग्गेर्स को अनिवार्य रूप से करनी चाहिए.
वाह वाह वाह वाह
फ़ुल मौज ले रहे गुरु
टिप्पणी जमा करवा दी है।
जय हो
भावपूर्ण लेखन।
(आईये एक आध्यात्मिक लेख पढें .... मैं कौन हूं।)
आप भी...
अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए परिश्रम तो करना ही पड़ेगा। ना केवल लेखन पर्याप्त है अपितु श्रेष्ठ विचारो वाली टिप्पणी भी आवश्यक है तभी तो लोग आपके ब्लाग पर जाएंगे।
बहुत बढ़िया और शानदार पोस्ट ...
ब्लोगेर्स में भी गुटबाजी , बाब रे बाब यह में कहां आ गया. और चमचागिरी? दोस्तों का ग्रुप बनाओ चैन की नींद आएगी..
bahut hi badhiya, shandar saheb. ekdam haqikat.....bilashaq haqikat.......
kash ye sab karne wale is vyangya ko samajh payein, locha yahi hai ki samajh kar bhi na samajhne ka dikhava karenge aur chale jayenge yaha se...
हर यात्रा की शुरूआत पहले कदम से होती है, चौबे जी ने पहला कदम चल दिया है, हमारी शुभकामनाये।
गुटबाजी पर बढ़िया व्यंग्य
मिश्रा नाखुश हुआ....अपना नाम घसीटे जाने से -लीगल नोटिस जा रही है :)
हा हा! अब से पंडित जी की जगह मास्साब!
अनोखेलाल में लाल सरनेम है कि नाम का हिस्सा?? कृप्या स्पष्ट करें ताकि मिश्रा जी की नोटिस के साथ हम भी नत्थी करवायें अपनी नोटिस...
जय गुरूदेव!
legal notice ki jo bhi baat karaegaa un sab par bhi kanuni karyvahi ki jaa saktee haen
legal notice ki baat karnae kaa adhikar kanun kae jaankar yaa taknik kae jaankaro ko hi haen
blogger haen mishra aur laal blogger ki tarah hi rahey
vaese pandit ji graho kae hisaab sae kanuni karyvahi agar hogayee to aap ke nakshatr kyaa keh rahey haen
saadar
rachna
@मिश्रा जी, इन्तजार रहेगा आपके लीगल नोटिस का ...इसी बहाने हर पेशी पर न्यायालय में ही एक ब्लागर मीट भी हो जाया करेगी:)
@समीर लाल जी, अनोखेलाल में "लाल" नाम का हिस्सा ही है महाराज! तो अब नोटिस का इन्तजार किया जाए ? वैसे नोटिस के साथ ही कैनेडा की रिटर्न टिकट जरूर भेज दीजिएगा..बच्चे बहुत दिन से जिद कर रहे थे कि पापा कैनेडा घूमने चलिए:)
@समीर लाल जी,
त्रुटि सुधार= "लाल" सरनेम ही है महाराज्!
जय गुरूदेव!
मिला क्या?
नोटिस....
बातें सुनकर तो लग रहा है कि ट्रेनिंग एकदम सही चल रही है...ब्लागिंग का भविष्य निश्चय ही उत्तम है.
आपकी पोस्ट से वैसे भी गर्मी आ जाती है। आपकी जय हो।
मेहनत से तैयार की गई रोचक पोस्ट
अभी तक तो ब्लॉगेर्स मीट ही हुई जा रही हैं ... असली मुद्दा क्या होना चाहिए इन मीट में ये अभी तक तय नही है ... पर ये सच है हर मीट अगली मीट का मसाला / प्रारूप ज़रूर तय कर जाती है ... थोड़ा घी ही काफ़ी है ऐसी मीट के लिए ...
अभी तक तो ब्लॉगेर्स मीट ही हुई जा रही हैं ... असली मुद्दा क्या होना चाहिए इन मीट में ये अभी तक तय नही है ... पर ये सच है हर मीट अगली मीट का मसाला / प्रारूप ज़रूर तय कर जाती है ... थोड़ा घी ही काफ़ी है ऐसी मीट के लिए ...
वाह क्या नुक्ता सुझाया है तो हम तो आज से आपको ही गुरू मानते हैं जय गुरूदेव की।
आप की हर तरफ़ पैनी निगाह रहती है!
बढ़िया व्यंग्य लिखा है.
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