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शनिवार, 7 अगस्त 2010

चूल्हे पडे ब्लागिंग बाबा !!! -----(खटराग कथा)

एक ब्लागिंग व्यसनी पति और उसकी पत्नि के मध्य होने वाले आपसी खटराग की बानगी देखिए, लेकिन आप लोग कहीं ऎसा वैसा भ्रम न पाल बैठें, सो पहले ही क्लियर किए देते हैं कि ये कोई हमारी आपबीती नहीं है :):------ 
इस खटराग कथा के नायक है मिश्राजी, जो दिन भर कम्पयूटर के आगे बैठे बस ब्लागिंग धर्म का निर्वहण करने में ही जुटे हैं.....इनकी बेचारी धर्मपत्नि जो कि इनके इस ब्लागोन्माद से बुरी तरह से आजिज आ चुकी है, चिढती, कुढती हुई सी इन्हे भोजन के लिए बुलाने आती है.”अजी अब तो खाना खा लीजिए, यूँ ही कब तक कम्पयूटर के आगे बैठे आँखें फुडवाते रहोगे”
blogging side effect मिश्राजी:-  हट जा प्यारी,टाईम नहीं है,रोक नहीं मुझको बेकार
              साढे दस या पौने ग्यारह, शायद हों बारह भी पार !
धर्मपत्नि:-  न खाने-पीने की सुध है, न बीवी-बच्चों का ख्याल
               इस निगोडी ब्लागिंग नें तो,कर दिया जीना मुहाल !
मिश्राजी:-  तूं अंगूठाटेक भला, क्या जाने--ब्लागिंग का सार
               ऎडसैंस शुरू हो जाने दे,फिर, धन बरसेगा तेरे द्वार !
धर्मपत्नि:-  चूल्हे पडे ब्लागिंग बाबा, आग लगे कम्पयूटर हाय
               खाना ठंडा हो गया देखो, बच्चे भी हैं रहे चिल्लाय!
मिश्राजी:-  एक ओर है बोझ गृ्हस्थी,एक ओर ब्लागिंग का भार
               ऊपर से इन बच्चों ने मिल,जीना दूभर किया हमार !
               हट जा प्यारी,टाईम नहीं है,रोक नहीं मुझको बेकार..
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20 टिप्‍पणियां:

Saleem Khan ने कहा…

हा हा हा वाकई बहुत पसंद आया

सुज्ञ ने कहा…

पंडित जी,
हमारे समझने न समझने से क्या होता है?
अनूभुति कहिं बाज़ार में थोडे ही मिलती है। :):)

शिवम् मिश्रा ने कहा…

भाई जी ............हम अदालत जा रहे है !

हमारी कथा आप खुले में क्यों सुना रहे है !?

२ -४ दिन में मिल जायेगा आपको नोटिस ...........फिर आपको पता चलेगी मिश्रा जी की टीस !

anshumala ने कहा…

lagata hai ki aap ki hi aap biti hai tabhi aisa sichane ke lie mana kiya ja raha hai

kshama ने कहा…

Oh! Ha,ha,ha!

vandana gupta ने कहा…

। हा हा हा………………जय हो ब्लोगिग की।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपका और उनका
--
बहुत बढ़िया संवाद रहा !

संजय @ मो सम कौन... ने कहा…

आपका निवेदन मान लिया है जी, बिल्कुल भी आपबीती नहीं समझी हमने:)

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" ने कहा…

@शिवम "मिश्रा जी",
भाई इसे संयोग ही कहा जाएगा कि ये आपकी रामकहानी से मेल खा रही है...वर्ना तो इस कथा के मूल पात्र "ऊ" वाले मिश्रा जी हैं, ई वाले नाहीं :)

Unknown ने कहा…

haa haa haa---waah sharma ji! aanand aa gaya is khatraag katha ko padh kar
weldone!

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" ने कहा…

@शास्त्री जी,
हमारा और उनका संवाद से "आपका और उनका" होते भला कितनी देर लगनी है. सिर्फ कथा में से नायक का नाम ही तो बदलना है :)

राज भाटिय़ा ने कहा…

पं.डी.के.शर्मा"वत्स जी यह अच्छी बात नही, कल ताऊ के घर के पास से गुजरे ओर .... वहा चाय का कप पीया ओर ताऊ की आप बीती यहां लिख दी..., हे राम क्या जमाना आ गया:)

अजय कुमार ने कहा…

ब्लगवा---बैरी ,होइ गय हमार

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

भाटिया जी, अब समझ आया कि यहां अरविंद मिश्राजी के बहाने हमारी पोल खोली जारही है और इसमे आप भी शामिल हो.

रामराम

बेनामी ने कहा…

हा हा हा हा मजा आ गया आज तो पंडित जी/ क्या खटराग पुराण रचा है/ वैसे सिर्फ एक अकेले मिश्रा की नहीं बल्कि सब का यही हाल है/ब्लागिंग का नशा है ही ऎसा/
प्रणाम/

स्वप्न मञ्जूषा ने कहा…

हा हा हा हा मजा आ गया ..!!
:)

शिवम् मिश्रा ने कहा…

एक बेहद उम्दा पोस्ट के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है यहां भी आएं !

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बढ़िया खटराग है .. :)

naresh singh ने कहा…

वाह पंडितजी | मजा आया पढकर के | लगता है आप बीती जग बीती वाली बात है | ब्लोगरो को झेलना सबके बस की बात नहीं है |

दिगम्बर नासवा ने कहा…

वाह वाह ... क्या बात है .. मज़ा आ गया पढ़ कर ...

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