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शनिवार, 11 दिसंबर 2010

बेचारा !

हाथी की विशालता देख-देख मच्छरों का झुंड हँसे जा रहा है----"अरे देखो कितना भारी शरीर है. कैसी बेढब शक्ल-सूरत है. खूबसूरती तो है ही नहीं. न ही कोई गुण है. हमें तो दया आती है इसे देख कर ! हमारी तरह जरा इधर-उधर उड भी नहीं पाता बेचारा !"
सोचता हूँ,  सचमुच आज के जमाने में मच्छरों से बढकर संसार में भला ओर कौन गुणी है ? निस्सन्देह परमेश्वर की सर्वश्रेष्ठ रचना मच्छर ही है!

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ज्योतिष की सार्थकता
धर्म यात्रा

20 टिप्‍पणियां:

सुज्ञ ने कहा…

मच्छरो के भी अपने समाज,रितिरिवाज,अपनी सुंदरता के पैमाने है।
अभिव्यक्ति की आज़ादी पर जागरुक है।

और फिर, एक मच्छर भी…………………शान्त नहिं बैठ सकता।

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

सभी को स्‍वयं की प्रजाति से ही प्रेम होता है। मनुष्‍य भी स्‍वयं को सभी से महान समझता है।

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

अत्यंत सार्थक बात कही पंडित जी.

रामराम.

P.N. Subramanian ने कहा…

आपसे पूर्णतः सहमत.

निर्मला कपिला ने कहा…

अज का आदमी भी तो मच्छर के समान ही बन गया है दूसरों का खून चूस कर बाकी भलेमानुषों पर हंसना। अच्छी लगी पोस्ट। धन्यवाद।

naresh singh ने कहा…

हाथी औ मच्छर के बहाने बहुत कुछ कह दिया अपने |

बेनामी ने कहा…

आपने तो पंडित जी पोस्ट का लेबल भी खूब जोरदार लगाया है "मूर्खों की जमात"/ अपने आप में यही सबकुछ कह रहा है/
प्रणाम/

बेनामी ने कहा…

आपने तो पंडित जी पोस्ट का लेबल भी खूब जोरदार लगाया है "मूर्खों की जमात"/ अपने आप में यही सबकुछ कह रहा है/
प्रणाम/

Satish Saxena ने कहा…

पंडित जी ,
आनंद आ गया बज्ज़ के पहले पैरा में ही !
हम लोग दूसरों के नज़रिए से सोचते ही नहीं ....
मच्छर हमारे बारे में वाकई यही सोच रहे होंगे और हम सब मगन है अपनी अपनी दुनिया में कि हमसे अच्छा कोई नहीं :-)

Kunwar Kusumesh ने कहा…

मच्छर जितना सोंच सकता है उतना ही सोंच पायेगा. बहुत गहराई में भाव छुपा है. मैं तो कहूँगा सुन्दर बहुत सुन्दर.

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

:P

anshumala ने कहा…

अजित जी से सहमत हु |

Unknown ने कहा…

शर्मा साहेब, सच में पोस्ट पढकर मजा आ गया! हाथी और मच्छर के बहाने, इशारों इशारों में ही आप एक गहरी बात कितनी खूबसूरती से कह गए!
बहुत सुन्दर!

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत सुंदर बात कह दी आप ने हम तो निर्मला जी की बात से सहमत हे जी. धन्यवाद

शिवम् मिश्रा ने कहा…


बेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !

आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।

आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है - देखें - 'मूर्ख' को भारत सरकार सम्मानित करेगी - ब्लॉग 4 वार्ता - शिवम् मिश्रा

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

सहमत .... मौजूदा दौर की सच्चाई तो यही है....

Satish Saxena ने कहा…

@ प. डी के शर्मा वत्स ,
शुक्रिया पंडित जी, दिल्ली ब्लोगर मीट और बाद में ज्योतिष लेखों से मैं रूचि न लेने के कारण मैं आपको नहीं पहचान सका मगर जब ध्यान से आपको पढने लगा तब महसूस किया कि आप क्या हैं !

ब्लॉग जगत में ध्यान से न पढने की आदत सिर्फ एक बेवकूफी ही तो है जिसमें अक्सर हम सही की गलत और गलत को सही समझते हैं !
:-)!

www.navincchaturvedi.blogspot.com ने कहा…

इसे व्यंग्य कहूँ या लघु कथा? सचमुच गागर में सागर का आभास करती सुंदर प्रस्तुति है यी| बधाई स्वीकार करें शर्मा जी|

अनुपमा पाठक ने कहा…

सुंदर प्रस्तुति!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

अपनी अपनी सोच ... मच्छर ही तो है ... इससे ज़्यादा क्या सोच सकता है ...

www.hamarivani.com
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