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शुक्रवार, 4 मार्च 2011

इनमें भी जाँ समझ कर, इनको जकात दे दो

हालाँकि इस समय मुझे उनका नाम तो स्मरण नहीं हो पा रहा. उर्दू के एक मुसलमान कवि थे, जिन्होने अपने भावों को निम्न प्रकार से प्रकट करते हुए निर्दोष, मूक प्राणियो पर दया करने की ये अपील की है :---

पशुओं की हडियों को अब न तबर से तोडो
चिडियों को देख उडती, छर्रे न इन पे छोडो !!
मजलूम जिसको देखो, उसकी मदद को दोडो
जख्मी के जख्म सीदो और टूटे उज्व जोडो !!
बागों में बुलबुलों को फूलों को चूमने दो
चिडियों को आसमाँ में आजाद घूमने दो !!
तुम्ही को यह दिया है, इक हौंसला खुदा नें
जो रस्म अच्छी देखो, उसको लगो चलाने !!
लाखों नें माँस छोडा, सब्जी लगे हैं खाने
और प्रेम रस जल से, हरजा लगे रचाने !!
इनमें भी जाँ समझ कर, इनको जकात दे दो
यह काम धर्म का है, तुम इसमें साथ दे दो !!

9 टिप्‍पणियां:

Er. सत्यम शिवम ने कहा…

आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (05.03.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.blogspot.com/
चर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)

बेनामी ने कहा…

पंडित जी, मानवता का बेहद सुन्दर सन्देश देती हुई रचना प्रस्तुत की है आपने/
प्रणाम/

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत सुंदर बात कही, आप का दोस्त अभी तक नही आया? :)

Dr Varsha Singh ने कहा…

मजलूम जिसको देखो, उसकी मदद को दोडो
जख्मी के जख्म सीदो और टूटे उज्व जोडो !!

बेहतरीन प्रस्तुति..के लिए आपको बधाई।

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति ने कहा…

वाह !! बड़ी उम्दा गज़ल लिखी है ..पंडित जी धन्यवाद ..बधाई..

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

रचना में भावाभिव्यक्ति बहुत अच्छी है ...बधाई .

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

सुंदर भाव पढ़वाने के लिए आभार.

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

बहुत ही बढ़िया भाव व्यक्त किये हैं... शायर साहब के साथ आपको भी धन्यवाद..

Unknown ने कहा…

प्रेरक रचना!!
आभार!!

निरामिष: शाकाहार : दयालु मानसिकता प्रेरक

www.hamarivani.com
रफ़्तार