आज सुबह जैसे ही अपने चिट्ठे पर आया तो आधे से ज्यादा संगी लोग जोकि हमारी फोलोवर्स की लिस्ट में शामिल थे,गायब दिखाई दिए। भई, कमाल है? हमसे ऎसी भी क्या खता हो गई कि सभी पल्लू छुडा कर भाग लिए।फिर सोचा कि पिछले कईं दिनों से कोई नयीं पोस्ट नहीं लिखी जा रही थी,शायद भाईलोग इसी लिए गधे के सिर से सींग की माफिक खिसक लिए हैं।वो तो भला हो हिन्दी ब्लाग टिप्स वाले आशीष जी का, जिनके जरिए पता चला कि सिर्फ अकेले हम ही टसुए नहीं बहा रहे हैं, बल्कि बडे बडे फन्ने खां, तुर्रम खां ब्लागर भी इसी दुख में सुबह से मुंह लटकाऎ बैठे हैं।अगर अल्पना वर्मा जी ओर आशीष जी इसके बारे में सूचित न करते तो अभी तक कहीं न कहीं से एक आध खबर मिल चुकी होती कि फलाने- फलाने बिलागर जिन्होने इतनी मेहनत से ब्लागरी के धंधे में पांव जमाए थे, बेचारे ये सदमा बर्दाश्त नहीं कर पाए कि उनके ग्राहक उनसे पल्ला झाडने लगे हैं, बस इसी गम में अल्लाह को प्यारे हो गए। खैर अल्लाह ताला का शुक्र है कि ऎसा कोई दुखद समाचार सुनने को नहीं मिला।
चलिए छोडिए हम अपनी बात करते हैं, बहुत दिनों से इस ब्लाग पर कुछ भी नहीं लिखा जा रहा था। आज सोचा कि चलें हम भी अपनी दुकानदारी संभाल लें और कुछ हल्का फुल्का सा लिख कर धंधे का श्री गणेश कर देते हैं। वैसे भी बडे बुजुर्ग कह गए हैं कि ज्यादा दिन अगर दुकान से दूर रहो तो धंधा चौपट होते देर नहीं लगा करती ।
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मौदगिल जी :- ताऊ,क्या बात है? तुम रो क्यूं रहे हो?
ताऊ :- अरे भाई मौदगिल, अब क्या बताऊं ? आज मेरी बीवी ने मुझे थप्पड मार दिया।
मौदगिल जी :- बस, इतनी छोटी छोटी बातों पर रोते हो, शर्म नहीं आती ? मुझे कभी रोते देखा है तुमने !
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समीर लाल जी :- रे ताऊ, तुम मेरे पैसे कब तक लौटा दोगे ?
ताऊ :- मुझसे क्या पूछते हो,मैं कोई ज्योतिषी हूं क्या ?
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दिगम्बर नासवा :- (अपनी धर्मपत्नि से) मेरी अगली कविता का शीर्षक है, आग-पानी- धुआं।
उनकी धर्मपत्नि :- तो सीधे सीधे क्यूं नहीं कहते कि 'हुक्का' है।
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राम जीवन और सुलक्षणा जी की आपस में बहुत दिनों बाद मुलाकात हुई।
सुलक्षणा जी,:- सुनाईए जीवन जी, क्या हाल है,बाल बच्चे सब ठीक-ठाक हैं?
राम जीवन:- हां जी, सब ईश्वर की कृ्पा है, लेकिन मैं अपने बेटे की अंगूठा चूसने की आदत से बहुत परेशान हूं।
सुलक्षणा जी:- ये कोन सी बडी बात है।. मेरा बेटा भी अंगूठा चूसता था। लेकिन मैने तो उसकी ये आदत छुडवा दी।
जीवन जी:- वो कैसे?
सुलक्षणा जी:-कुछ खास नहीं, बस उसकी निक्कर थोडी ढीली सिलवा दी,बस, अब वो सारा दिन उसे ही पकडे रहता है।
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एक बार की बात है कि अनुराग शर्मा जी और अनिल जी, इक्कठे कहीं बाजार में घूम रहे थे। रास्ते में एक जगह पर चाय पीने के लिए रूके।जब पीने लगे तो चाय ज्यादा गर्म होने के कारण बेचारे अनिल जी का मुहं जल गया। वहां से आगे चले तो रास्ते में एक जगह एक भिखारी खडा भीख मांग रहा था।
भिखारी :- "अल्लाह के नाम पे दे दे बाबा"
अनिल जी :- " अले भैया, टमाटर खाओ टमाटर"
भिखारी :- "बाबूजी, टमाटर दे दो, वो ही खा लेंगे"
अनुराग जी :- "अरे भाई, इनका मुंह जल गया है. ये कह रहे हैं कि कमाकर खाओ,कमाकर!"
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(disclaimer :- इस पोस्ट में वर्णित सभी पात्र तथा घटनाऎं काल्पनिक हैं, इनका किसी भी जीवित व्यक्ति के साथ किसी भी तरह का कोई संबंध नहीं है, हां, अगर किसी आत्मा वात्मा के साथ कोई संबंध हो तो हमारी कोई जिम्मेवारी नहीं)
27 टिप्पणियां:
" ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha shandaar...bhut khub...."
Regards
Patron ka naam kuch suna sa laga. Aapki 'Follower' pira se mujhe bhi do-char hona para aaj.
:) सही है सुबह से हमारे ब्लॉग का भी यही हाल है
भाई सच कहें मजा आ गया...आप की पोस्ट और जोक्स सब के सब मजेदार...टमाटर वाला पढ़ कर तो अभी तक हंस रहा हूँ.....हाँ ये चक्कर क्या हुआ की चाहतों( Followers)की छटनी हो गयी? क्या कोई सीलिंग लग गयी है ब्लॉग डॉट कोम की तरफ से?जो चले गए हैं बंधू उन्हें वापस कैसे लौटाया जाये ये कौन बताएगा?
नीरज
मज़ा आ गया साहब अभी अभी आपका ब्लॉग देखा..........आजकल हंसी गायब होती जा रही थी, आपने फ़िर से हमारी बत्तीसी दिखवा दी, निक्कर वाला नुस्खा तो फ्री में मिल गया
नीरज जी,जाने वाले भी कभी लौट के आऎं है?
हा हा हा
आप कितनों के फ़ोलोवर है दूसरी बात यह है कि आप ने कितने ब्लोगो पर लगातार टिप्पणी दी तीसरी बात यह है कि आपने कितने ब्लोगो को अपने ब्लोग पर लिन्क दे रखा है । मेरी सलाह है कि जिस ब्लोग मे आपके ब्लोग का लिंक है उसे हि स्थान दे । जो आपका फ़ोलोवर है उन्ही के फ़ोलोवर बने । चुटकुले बहुत ही मजेदार है ।
वैसे यह प्रोब्लेम गूगल की मेहरबानी है । आप चिन्तित ना हो ।
आपकी पोस्ट से 'हादसे' का कारण समझ पडा।
आपकी कल्पना शक्ति असंदिग्ध रूप से 'वाह!वाह!' की अधिकारिणी है।
भाई ये फोलोवर क्या होता है ब्लाग में। जरा हमें भी समझाइए।
@ हरि जोशी जी,आपका ब्लाग पर पधारने हेतु धन्यवाद. फोलोवर यानि वो लोग जो कि हमारे ब्लाग को पसन्द करके उसका अनुसरण करते हैं.यहां इस ब्लाग के बाईं ओर सबसे ऊपर की तरफ रास्ते के चन्द साथी़ मय तस्वीर देख रहे हैं, बस् वही लोग फोलोवर हैं.
एक से बड़ कर एक मजेदार चुटकले पढते पढते यह भी भूल गए कि बात फोलोवर के गायब हो जाने के बारे में हैं। सभी परेशान थे पहले पर अब तो सबको पता चलता जा रहा है।आभार।
ye bloggers ke itnee sari bate aapko kaha se pata chaltee hai.. ha ha ha
वाह, हुजूर की जय हो, लेकिन डिस्क्लेमर गड़बड़ है.
वाह, मजा आ गया।
haso aour hasaao..yahi dharm ho to jindgi ka maza aajaye..
maza aa gaya janab/
प्रणाम
बहुत सुन्दर हास्य रचनाये, पात्रो के नाम बहुत चुन कर रक्खे हैं आपने .
मजा आ गया!
... bahut khoob!!!
Tanaav bhare is jeevan me hansne ke mahatva ko kam kar ke nahin aanka ja sakta.Is disha me aapka prayaas ullekhniya hai.
vatsji, pranaam !
badi hi saadgi se lekin bahut khoobsurti se itni umda
chutkala-goshthi prastut ki aapne.
mn achaanak trangit-sa mehsoss karne lagaa aur wo 'gham' jo hm sabhi bloggers ko computer ne tohfe mei diya tha, wo zra dhundlaa parhne lagaa hai.....
mere yahaan se bhi followers achaanak gaayab ho chuke hain.
---MUFLIS---
रोचक, रोमांचक, अदभुत।
AAPKE SWAGAT AUR SUBHKAMNAE KE LIYE DHANYWAD, , AAP JAISE KE EK KOISHS KAR RAHA KUCH APNE VICHAR LIKH KAR APNE BLOG PER...
AAP SARAHEHGAY TO AVASHYA KUCH KAR PAUGA.
PUNN DHANYWAD
SANJAY
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