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बुधवार, 11 मार्च 2009

होली पर भाटिया जी की मौज........( भई होली है ! )

भाटिया जी - "पिछले चार दिनों से पता नहीं सुबह किसका मुहं देखकर उठ रहा हूं कि हर रोज छीछालेदार हो रही है।अभी परसों पाबला नें अपनी पोस्ट में मेरी एक गलत सलत सी फोटू लगा रखी थी,जिसे देखके सब लोग हंस रहे थे। अभी उस बेईइज्जती की तो भरपाई हो भी नहीं पाई थी, कि आज जिस मैं अपना भाई माना करता था, उस ताऊ नें भी सारे ब्लागियों के सामने मेरी बेईज्जती कर के रख दी।मुझे तो लगे है कि जरूर मुझ पर राहू या शनि की निगाह पड चुकी है।
भाटिया जी की धर्मपत्नि-" क्या बात हुई? ताऊ नें ऎसा क्या कह दिया कि आपको राहू-केतु याद आने लग पडे।"
भाटिया जी " अब क्या बताऊं, सारे ब्लागरियों के सामने मेरी इतनी साफ सुथरी इमेज थी कि क्या बताऊं। लोग तो ये सोचा करें थे कि भाटिया जी तो बहुत ही पढे लिखे,जहीन महीन, जैन्टल मैन बन्दे हैं,लेकिन ताऊ ने सारी इमेज खराब कर दी।
धर्मपत्नि- "अब कुछ बताओगे भी या यू हीं पहेलियां बुझाते रहोगे।"
भाटिया जी- "अरी भागवान,पहेली बुझाना तो मैने कईं दिनों से बन्द कर रखा है। अब तो मैं कुछ सार्थक लिखकर बुद्धिजीवी बनने की राह पर चल पडा हूं।"
धर्मपत्नि-" सार्थक? ऎसा क्या लिखना चाहते हो।"
भाटिया जी-"दहेज,कन्यादान, स्त्रीयों की मनोदशा-उनके आचार व्यवहार के बारे में लिखा करूंगा।"
धर्मपत्नि-"बैठे रहो टिक के,  अपनी स्त्री को तो आज तक समझ नहीं पाए और चले हैं स्त्रीयों के आचार-व्यवहार के बारे में लिखने। अब कहीं भूल के कुछ ऎसा वैसा लिख भी मत देना। वर्ना ये सारी स्त्रियां, जिनकी कविताएं पढ के तुम बडी वाह्! वाह्! करते हो,सारी मिलजुल के तुम्हारा ही आचार बना डालेंगी।"
भाटिया जी-"अब ज्यादा चूं चपड मत कर,बडी आई नसीहत देने वाली। जरा जल्दी से मेरी जन्मपत्री निकाल ले ला,पंडित जी को दिखा के लाता हूं। लगता है कि मुझपे जरूर राहू की दशा चल पडी है। तभी तो एक ताऊ कम था बेईज्जती करने को जो अब तुम भी शुरू हो गई।"
धर्मपत्नि - "अरे हां, तुमने बताया नहीं, कि ताऊ ने ऎसा क्या कह दिया कि तुम भरी जवानी में सठियाये बूढे की तरह नथुने फुला रहे हो।"
भाटिया जी-"अब क्या बताऊं तुम्हें, हम लोगों को हरियाणा छोडे हुए तो जमाना बीत गया। अब सब लोगों की नजरों में मेरी इमेज एक विलायती बाबू की बन चुकी है।लेकिन ताऊ से मेरी ये इज्जत देखी नहीं गई,बस लगा अपने ब्लाग पे मेरी पोल पट्टियां खोलने। सब को बता दिया कि रोहतक में भाटिया जी मेरे साथ बीडियां, जगाधरी नम्बर वन देसी दारू पिया करते थे। भला ये भी कोई बात हुई,अगर बताना ही था तो ये भी तो कह सकता था कि हम लोग इक्कठे बैठकर सिगार और अंग्रेजी शराब पीते थे।"
धर्मपत्नि-"बैठे रहो जी टिक के,अब मेरा मुंह मत खुलवाओ। घर में नहीं दाने ओर अम्मां चली भुनाने।"
भाटिया जी- हे भगवान्! पता नहीं पिछले चार दिनों से सुबह सुबह किसका मुंह देखकर उठ रहा हूं।"
धर्मपत्नि-"अब मेरी मानो तो बैडरूम में लगे आईने को हटा दो, वर्ना रोजाना तुम्हे यही शिकायत् रहेगी।"
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लो जी,होली के हुडदंग में,मस्ती में सरोबार इस रंगों के त्योहार के उपलक्ष्य में आप सब ब्लागियाये, मौजियाये,हुल्लियाये सभी बंधुओं को ढेर सारी शुभकामनाऎं..........................लेकिन भई विनती है कि जरूर टिप्पियायें।और लगे हाथ भाटिया जी और ताऊ रामपुरिया जी को एक ही दिन खूंटे पे बंधने(शादी) सालगिरह की बधाई भी जरूर दीजिएगा(लेकिन उनके अपने  ठिकाने पर जाकर)-----अजी ये रहे उनके ठिकाने -----
  ताऊजी        भाटिया जी
बुरा न मानो होली है------------------------------------------
 होली लगातार बार बार ही मनाऎं हम
 जीवन भर प्यार भरे रंग ही मिलाएँ हम
   धरती  हमारी यह महकेगी फूलों सी
  अमृत के घूँट यदि सब को पिलाएँ हम
  कारण बने न हम दूसरों की पीडा के
  प्रेम के ही आँसू सर्वत्र छलकाएँ हम
  उत्सव यह और भी रंगीन बन जायेगा
 रंग ही बस रंग की ही नदियाँ बहाएँ हम 

13 टिप्‍पणियां:

प्रवीण त्रिवेदी ने कहा…

होली कैसी हो..ली , जैसी भी हो..ली - हैप्पी होली !!!

होली की शुभकामनाओं सहित!!!

प्राइमरी का मास्टर
फतेहपुर

बेनामी ने कहा…

हा हा हा हा हा हा हा हा चारो तरफ पूरी तरह से होली की मस्ती में डूबी पोस्टें ही देखने को मिल रही हैं.ये सुरूर कब तक चलेगा.

बेनामी ने कहा…

'होली लगातार बार बार ही मनायै हम
जीवन भर प्यार भरे रंग ही मिलाएँ हम |'
- होली की शुभकामना.

अनूप शुक्ल ने कहा…

होली मुबारक!

बेनामी ने कहा…

भाटिया जी के बेड रूम में लगा आईना सब प्रॉब्लम की जड़ है. अच्छी सलाह दी आपने. होली पर एक चुटकी गुलाल और एक मुट्ठी भांग स्वीकार करें शुभकामनाओं के साथ.

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" ने कहा…

सुब्रमनियम जी, नमस्कार........भांग तो नहीं, लेकिन आपका गुलाल जरूर कबूल हैं.....आपको भी होली के पावन पर्व की ढेरों शुभकामनाऎं.

Udan Tashtari ने कहा…

सही है!! भाटिया झी हमारे, बेचारे!!


होली की बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं।

राज भाटिय़ा ने कहा…

बेड रूम में लगा आईना, अरे सुब्रमन्यम साहब जी आप हमारे बेड रुम मै कब से ताका झांई करने लगे...:) मै आज ही इस मुये आईने को बेड रुम से नही हटाऊगां, बल्कि उसे रात को मोटे कपडे से डक दिया करुगां पंडितो से दोस्ती का यही तो लाभ है, उपाय मुफ़त मै मिल जाते है,
सुब्रमन्यम साह्ब जी आप क भी धन्यवाद आप से सही बात बता दी, मै रोजाना यही सोचता था किस का मुंह देख लिया... बस कल से सुख ही सुख

आपको और आपके परिवार को होली की रंग-बिरंगी ओर बहुत बधाई।बुरा न मानो होली है। होली है जी होली है

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

वाह वाह अति होली मय पोस्ट. आनन्द आया आपके होली लेखन मे.

होली की बहुत शुभकामनाएं.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

शर्मा जी
भाटिया जी को हमारी संवेदनाएं आइना मेरे धोरे भी लगा है लगता है हटाना पढेगा और इब ताऊ का क्या बतावे वो तो सब की ही पोल खोल रहा है , पर मजा आ गया होली का आपकी पोस्ट पढ़ कर
आपकी होली की कविता अच्छी है, ....

होली पर आपको और आपक परिवार को शुभ कामनाएं

Science Bloggers Association ने कहा…

बहुत खूब।

होली की हार्दिक शुभकामनाऍं।

Mumukshh Ki Rachanain ने कहा…

पंडितो से दोस्ती का यही तो लाभ है, उपाय मुफ़त मै मिल जाते है,

आपकी होली की कविता अच्छी है, ....

होली की बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं।

बेनामी ने कहा…

अरै छौरे ठीक सै मंडा रहिये,कदै ळठ-मार हरियाणवी की परस [चौपाल] पर भी धमक
ळठ-मार

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रफ़्तार