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शुक्रवार, 13 मार्च 2009

कुछ हल्का फुल्का सा.....

एक बार की बात है कि भाटिया जी को किसी विवाह समारोह में सम्मिलित होने का निमंत्रण प्राप्त हुआ। बस फिर क्या था, भाटिया जी पहुंच गये शादी की दावत में शामिल होने। अब जैसा कि अमूमन पंजाबी और हरियाणवी लोगों की आदत होती है कि भई जब 101 रूपये शगुन दिया है तो किसी न किसी तरीके से उसे वसूल भी तो करना है।लेकिन अब शगुन तो शगुन है कोई लोन की रकम थोडे ही है कि किश्तों में वसूली होगी। अब उन रूपयों की कीमत  तो वहां दावत में खा पीकर ही वसूली जा सकती थी। खैर भाटिया जी लगे अपने नुक्सान की भरपाई करने। खाते खाते 2 घंटा बीत गये लेकिन वो तो रूकने का नाम ही नहीं ले रहे थे। ये देखकर वहां किसी सज्जन नें पूछ लिया " अब कितना खाओगे भाटिया जी"
भाटिया जी" अबे यार, मैं तो खुद खा खाकर परेशान हूं,लेकिन क्या करूं कार्ड में लिखा है कि डिनर 7 से 10 बजे तक"।
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एक बार ताऊ  पहली बार शहर घूमने गया। उसने गाँव मे सुन रखा था की, शहरवाले लोग भोले भाले गाँववाले लोगो को खूब बेवकूफ़ बनाते है! इसलिए उनसे सावधान रहना चाहिए! ताऊ सीधे एक होटल मे पहुचां और बोला "आपकी होटल मे सबसे अच्छा कमरा मिलेगा?! होटलवाले ने पहले तो ताऊ का ऊपर से नीचे तक विश्लेषण किया ओर फिर बोला  "जी हां श्रीमान, सभी सुविधा वाला कमरा मिल जाएगा, हमारे पास सबसे बढ़िया कमरा एक हज़ार रूपए प्रतिदिन के किराये पर है" ताऊ ने रोबदार आवाज़ मे कहा " हमे किसी प्रकार की सुविधा की कमी तो नही होगी?" होटल वाले ने भरोसा दिलाते हुए कहा " नही श्रीमान,यहां आपको सबसे उत्तम सुविधा मिलेगी." ये कहकर होटल वाले ने एक आदमी को ताऊ का सामान देकर कमरा दिखाने के लिए भेजा। ओर वो आदमी ताऊ को ले के चला गया, फिर दरवाज़ा खोलकर सामान रखकर ताऊ को अंदर बुलाता है। ये क्या! ताऊ का चेहरा ग़ुस्से से लाल  "ये क्या 4/6 का कमरा है, यहा पर तो एक आदमी आराम से सो भी नही सकता, और तो और ये तो यहा पर 6 लोग एक साथ खड़े भी नही हो सकते ! मणै इस होटल का सबसे अच्छा कमरा माँगा था इस कमरे का एक हज़ार ले रहे हो!मुझे ऎसा कमरा नही चाहिए " ये बोलते हुए ताऊ गुस्से में नथुने फुल्लाता बाहर आ गया। उस आदमी ने ताऊ को भोले पन से समझाते हुए कहा " साह्ब ये तो लिफ्ट है"

19 टिप्‍पणियां:

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) ने कहा…

theek hai.....theek hai............bhaayi....hanste raho....hansaate raho...........!!

राज भाटिय़ा ने कहा…

पंडित जी बस अब पंडितो पर ही चुटक्ले बचे है मेरे पास, कोई शुभ महुरत निकाल कर फ़िर शुरु करता हु,
भाई सच मै मै भी बहुत परेशान हो गया था, सारी जेबे भी भर गई थी, लेकिन समय की सुईया जेसे चल ही नही रही थी, ओर वो १०१ तो मेने उसी समय सटक लिये थे.
अब ताऊ की ताऊ जाने
धन्यवाद

Smart Indian ने कहा…

मज़ा आ गया, पंडित जी!

बेनामी ने कहा…

" ha ha ha ha ha ha ha dono ek se bdh kr ek"

regards

सुशील छौक्कर ने कहा…

हा हा हा ।

आलोक सिंह ने कहा…

बहुत बढ़िया मज़ा आ गया .

नीरज गोस्वामी ने कहा…

वाह...बड़े मजे के चुटकले लगे...
नीरज

naresh singh ने कहा…

vah majaa aa gayaa

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहुत majedar pandit जी ...........
jordaar चुटकले
prnaam आपको

BrijmohanShrivastava ने कहा…

बहुत ही मज़ेदार /मुझे भी याद आया एक दिन होटल पर खाना खाते हुए मैंने वेटर से कहा था "जल्दी से जली हुई रोटी ,और ककरीली दाल लाकर मेरे सामने बैठ कर बक बक करने लगो ,मुझे आज घर की बहुत याद आरही है

daanish ने कहा…

waah !
muskraahat ka achha daur ho gya..
mn prafullit-sa ho gya...
dhanyavaad . . . .
---MUFLIS---

नीरज मुसाफ़िर ने कहा…

पंडित जी,
वाकई ताऊ है इसी लायक

Science Bloggers Association ने कहा…

वाह, क्या बात है।

प्रेम सागर सिंह [Prem Sagar Singh] ने कहा…

बहुत सुन्दर, आभार।

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

ये क्या! ताऊ का चेहरा ग़ुस्से से लाल "ये क्या 4/6 का कमरा है, यहा पर तो एक आदमी आराम से सो भी नही सकता, और तो और ये तो यहा पर 6 लोग एक साथ खड़े भी नही हो सकते ! मणै इस होटल का सबसे अच्छा कमरा माँगा था इस कमरे का एक हज़ार ले रहे हो!मुझे ऎसा कमरा नही चाहिए " ये बोलते हुए ताऊ गुस्से में नथुने फुल्लाता बाहर आ गया। उस आदमी ने ताऊ को भोले पन से समझाते हुए कहा " साह्ब ये तो लिफ्ट है"....हा हा हा ।

admin ने कहा…

बहुत खूब।

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

ha-ha-ha-ha-ha yahi karne ka man kar raha hai.

बेनामी ने कहा…

hi...nice to go through your blog...well written...by the way which typing tool are you using for typing in Hindi...?

now a days typing in an Indian language is not a big task.

recently i was searching for the user friendly Indian Language typing tool and found .." quillpad ". do u use the same...?

heard that it is much more superior than the Google's indic transliteration..!?

expressing our feelings in our own mother tongue is a great experience...so it is our duty to save, protect,popularize and communicate in our own mother tongue...
try this, www.quillpad.in

Jai...Ho....

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" ने कहा…

@Anonymous जी, आपका ब्लाग पर आने तथा अपनी बहुमूल्य टिप्पणी देने हेतु आभार.....भई,हम तो शुरू से ही कैफे हिन्दी टाईपिंग टूल का प्रयोग कर रहे हैं,बहुत ही आसान और सुविधाजनक लगा. Quilpaid एक बार प्रयोग किया था किन्तु हमें तो बिल्कुल भी आनन्द नहीं आया......आपका पुन: धन्यवाद

www.hamarivani.com
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