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रविवार, 12 सितंबर 2010

सुभाषितं.........(संडे ज्ञान)

मेंढक दौड रहा है, उसके पीछे साँप दौड रहा है, साँप के पीछे मोर, मोर के पीछे शेर और शेर के पीछे शिकारी भाग रहा है. अपने अपने आहार विहार के लिए सब व्याकुल हो रहे हैं, पर पीछे जो चोटी पकडे काल खडा है; उसे कोई नहीं देख रहा-----(संस्कृ्त सूक्ति)

ज्जन का क्रोध क्षणभर का होता है, साधारण आदमी का दो घंटे, नीच आदमी का एक दिन-रात ओर महापापी का मरते दम तक-----(संस्कृ्त सूक्ति)

ह्रदय के आह्वान पर प्रेम, आत्मा के आह्वान पर धर्म और पेट के आह्वान पर क्रान्ति प्रकट होती है---(संस्कृ्त सुभाषित)

पैगम्बर सौ बार पैदा हो इससे भला क्या होता है,जब तक वह तुम्हारे अन्दर पैदा नहीं हुआ------(खलील जिब्रान)

मेरी राय मानो, अपनी नाक से आगे न देखा करो, तुम्हे हमेशा मालूम होता रहेगा कि उसके आगे भी कुछ है, और वह ज्ञान तुम्हे आशा और आनन्द से भर देगा-----(बर्नाड शा़)

हान कार्य सम्पन्न होते हैं पर्वतों पर आसन जमाने से, सडकों पर धक्का-मुक्की करने या लाऊड-स्पीकरों पर चिल्लाने से नहीं-----(विलियम ब्लैक)

कोई ज्ञण ऎसा नहीं है जो कर्तव्य से खाली हो-----(सिसरो)

प्रभात का मार्ग रात के अन्धेरों से होकर ही गुजरता है------(खलील जिब्रान)

प्रकृ्ति जो काम तुम्हारे लिए निर्धारित करे, उसे उसका काम समझकर पूरा कर दो. जब वह खेल बदलना चाहे तो परिवर्तन में अपना नया पार्ट अदा करना आरम्भ कर दो-------(स्वामी रामतीर्थ)

काम करने वालों को आराम मिले और आराम करने वालों को काम मिले, तो इसी से बहुत सी शिकायतें, बहुत सी समस्याएं दूर हो जाएं------(मालूम नहीं)

ढकर बिना टिप्पणी दिए खिसक जाने वाला कभी भी "ब्लागरत्व" की प्राप्ति नहीं कर सकता-----(पं.डी.के.शर्मा "वत्स" :))

11 टिप्‍पणियां:

प्रकाश गोविंद ने कहा…

मनन को बाध्य करती सूक्तियां
बहुत खूब वत्स जी
यह सन्डे ज्ञान तो संग्रहणीय बन गया है
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खलील जिब्रान की बात सबको याद रखनी चाहिए
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विलियम ब्लैक की बात आज के समय लागू नहीं होती जी
आज तो सारे महान कार्य धक्का-मुक्की करने और लाऊड-स्पीकरों पर चिल्लाने से ही संपन्न होते हैं :)
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मैं तो चुपचाप पतली गली से निकल रहा था कि अंतिम सूक्ति (ब्लागरत्व प्राप्ति) ने जाने न दिया :)))

Smart Indian ने कहा…

प्रथम सूक्ति:
जो काल के दर से हाथ पे हाथ धर के बैठ गये, उनके हाथ से मेंढक भी गया, परमाणु ऊर्जा और इंटर्नेट की तो बात ही छोडो।
काउंटर सूक्ति: दुबिधा में दोऊ गये माय्य मिली न राम

अंतिम सूक्ति:
अगर गूगल अपना प्लेट्फॉर्म हटा दे तो ब्लॉगरत्व पाये हुए भी लम्लेट हो जायेंगे
काउंटर सूक्ति: घट में जल और जल में घट है।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर आलेख!
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पढ़कर आनन्द आ गया!

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" ने कहा…

"अगर गूगल अपना प्लेट्फॉर्म हटा दे तो ब्लॉगरत्व पाये हुए भी लम्लेट हो जायेंगे"
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@अनुराग शर्मा जी,

इसीलिए तो हमने निजि डोमेन लिया है, ताकि हमारा "ब्लागरत्व" बरकरार रह सकें...गूगल का क्या भरोसा कब अपना मजमा समेट कर चलता बने :)

बेनामी ने कहा…

पंडीत जी आपने बहुत ही अच्छी एवं ज्ञानदायक सूक्तियों का संग्रह किया/
अंतिम सूक्ति तो कमाल की लगी :-)
प्रणाम/

बेनामी ने कहा…

पंडीत जी आपने बहुत ही अच्छी एवं ज्ञानदायक सूक्तियों का संग्रह किया/
अंतिम सूक्ति तो कमाल की लगी :-)
प्रणाम/

राज भाटिय़ा ने कहा…

अरे अरे हम ने तो कोई भी ज्ञान की बात नही पढी इस लिये बिना टिपण्णी दिये ही जा रहे है भाई.... राम राम

naresh singh ने कहा…

वाह पंडितजी आज दे दिया ज्ञान का डोज | आखरी सूक्ति काम की है |

संजय @ मो सम कौन... ने कहा…

कोई ज्ञानी सज्जन बता रहे थे कि जब भी रेल दुर्घतना होती है, सबसे ज्यादा नुकसान आखिरी डिब्बे को होता है।
हमारे ये कहना है कि रेल में आखिरी डिब्बा लगाना ही नहीं चाहिये।


बहुत गुरू आदमी हो जी आप, पढ़कर भागने वाले थे हम कि पैर जकड़ लिये आखिरी डिब्बे ने।
अब तो परमपद पक्का है ना जी हमारा?

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

सटीक बाते कही आपने वत्स साहब, लेख में भी और टिपण्णी में भी !

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहुत ही ज्ञान भारी बातें हैं आज तो ब्लॉग पर पंडित जी ....
बहुत कुछ है सीखने और जानने को ....

www.hamarivani.com
रफ़्तार