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बुधवार, 26 मई 2010

लगता है ब्लागजगत अब समझौतावादी हो गया है.........

मुझे लग रहा है कि अब इस ब्लागजगत में मठाधीशी, अनामी-बेनामी ब्लागर, तेरा धर्म-मेरा धर्म जैसी टपोरपंथी, अन्याय, वगैरह से लडने की शक्ति बिल्कुल ही चूक गई है, तभी तो कितने दिन हो गए ऎसी कोई धमाकेदार सी किसी को गरियाती हुई कोई पोस्ट नहीं दिखाई पडी. विश्वास नहीं हो रहा कि ये वही बीते कल वाला ब्लागजगत ही है या कि हम ही गलती से किसी ओर जगह चले आए हैं. हमें भी मामला कुछ समझ में नहीं आ रहा कि आखिर बात क्या है. माहौल में ये अजीब सी खामोशी क्यूं छाई हुई है भाई. इत्ते दिन बीतने के बाद भी कहीं से ऎसी कोई पोस्ट न पढने को मिले तो इसका मतलब ये समझा जाए कि समूचा ब्लागजगत अब समझौतावादी हो गया है. क्या आप लोगों नें भी देश की जनता की तरह बिगडे हालातों से समझौता करना सीख लिया है. उस गरीब जनता की तरह, जिसके लिए कि आशा की कोई भी किरण किसी भी क्षितिज पर शेष न रह पाई है.
अरे भाई! ऎसा कैसे चलेगा.....हमें तो ये खामोशी कुछ चुभने सी लगी है. लग ही नहीं रहा कि ये वही ब्लागजगत है. भाई कम से कम मन को इतना तो अहसास होते ही रहना चाहिए कि हम हिन्दी के ब्लागर हैं.......:-)

38 टिप्‍पणियां:

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

भाईसहाब, मैंने अभी-अभी बीज बोये है अपने ब्लॉग पर, देखते है कैसी फसल उगती है !:)

SANJEEV RANA ने कहा…

वो तो ठीक हैं जी पर वो जो बहस जिसका आप जिक्र कर रहे हो फिर काफी लंबी खिंच जाती हैं

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

आने वाले तूफान से पहले की खामोशी तो नही है यह....:))

SANJEEV RANA ने कहा…

गोदियाल साहब ने आपका काम पूरा कर दिया हैं
आगे भगवान की मर्जी

honesty project democracy ने कहा…

अच्छा व्यंग / ये सब संभव हुआ है आपके जैसे सुलझे हुए और अच्छी सोच रखने वाले ब्लोगरों के सार्थक प्रयास से / बिलकुल सही कहा आपने हमारी शालीनता ही हमारी हिंदी भाषी होने का पहचान है / आपका सहयोग अपेक्षित है /

बेनामी ने कहा…

वाह गुरू जी आप भी न जूता बिल्कुल ही भिगो कर मारते हैं.मान गए आपको पंडित जी. एकदम सालिड पंच. :-))

kunwarji's ने कहा…

सब खुद से ही बोल रहे है,

अपमे मन को टटोल रहे है.....

अन्दर ही अन्दर खुद को तोल रहे है,

लगा अपनी आत्मा का मोल रहे है,

ऐसे में भला ओरो से बोले कौन....

शायद इसलिए है सारे मौन...




सभा सारी आपस में नजरे चुराए,

तिनका दाढ़ी में जान सब दाढ़ी खुजाये,

हमाम में सब नंगे पर्दा कौन हटाये,

इन्सानियत शायद जिन्दा है सो सब शर्माए,

धरती तो फट जाए पर समाये कौन,

शायद इसीलिए है सारे मौन...



कुंवर जी,

Shiv ने कहा…

बढ़िया पोस्ट!!
ब्लॉगरगण भी बोर हो जाते हैं. बिना सही परिणामों के कोई कब तक इस तरह के झमेले मोल लेता रहेगा?

Saleem Khan ने कहा…

aapse sahmat !!!!!!!

Unknown ने कहा…

अभी व्यस्त हूं… :) :)

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" ने कहा…

@सुरेश चिपलूनकर जी,
भाई जल्दी से फुर्सत मे आईये...अब तो ये शान्ती कुछ असहनीय सी होने लगी है :-)

naresh singh ने कहा…

कुछ टांग खेंचू ब्लॉगर गर्मी की छुट्टी बिताने गए है |

Arvind Mishra ने कहा…

घबराईये नहीं यह तूफ़ान के पहले की नीरवता है

M VERMA ने कहा…

यह ब्लागजगत में हुए सकारात्मक परिवर्तन का प्रभाव है.

कहत कबीरा-सुन भई साधो ने कहा…

क्या कहा समझौता? हमारा ब्लॉग देखा?

राज भाटिय़ा ने कहा…

पंडित जी आप की इच्छा आज पुरी हो गई है आज ही दो लेख पढ कर ऎसा भागा कि आप के ब्लांग पर ही आ कर रुका... तो जल्दी जाइए गोदियाल साहब की पोस्ट पर आप को वहा आप का मन पसंद खजाना मिलेगा....:)

Unknown ने कहा…

vatsa ji ....jad mudde kam hote hai to yahi sab hota hai ...waise bhi shanti se darr lagta hai kyun ki tuphan ke pahle bhi sab shant ho jata hai ...

Udan Tashtari ने कहा…

थोड़ा तो आराम करने दो भाई..:)

ZEAL ने कहा…

shanti bhi mann ashaant kar deti hai kya ?

Amit Sharma ने कहा…

गोदियाल साहब ने बीज बो दिए और आपने खाद-पानी दे दी है अब भगवान् मालिक है :>)

ZEAL ने कहा…

Kunwar ji ki kavita achhi lagi .

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

चलिये इसी बात पर चर्चा कर लेते हैं

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

भले ही हम हिन्दी के ब्लॉगर हों मगर भक्त तो अंग्रेजी के ही रहेंगे!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत बढ़िया साहिब!
हम तो चले भानजे की शादी में!
3 दिन के बाद भेंट होगी!

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

डा०साहब के दुश्मनों की तबियत कुछ नासाज चल रही है आजकल..

संजय @ मो सम कौन... ने कहा…

सही फ़रमाया वत्स साहब,
आपकी चिन्ता जायज है। सच में ऐसा लग रहा है कि ब्लॉग की दुनिया धीरों वीरों से हीन हो गई है। पर हमें पूरा विश्वास है कि कोई न कोई अतिवीर फ़िर से अवतार जरूर लेगा।
चलें, जरा गोदियाल साहब के यहां भी हाजिरी लगा लें, सुना है कि कुछ स्कोप है वहां पर :)

आशा का दामन मत छोड़िये पंडित जी।

अजय कुमार झा ने कहा…

पंडित जी ,
ब्लोगजगत की हस्तरेखा , मस्तक रेखा का अध्य्यन करके कुछ विश्लेषण भी प्रस्तुत किया जाए जी ...............

बेनामी ने कहा…

bahut achchhaa likhe pandit jee mahaaraaj

Unknown ने कहा…

ये उतावली क्यों है इतनी आपको............

कोई ड्रामा नया फिर शुरू होने को है..........

इंतज़ार कीजिये तब तक.......

आपको बधाई आज तक

Kumar Jaljala ने कहा…
इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
Alpana Verma ने कहा…

यह तूफ़ान से पहले की ख़ामोशी है.
आप भी व्यंग्य लिखने में बहुत कुशल हैं..:)
.......---------------
रही बात कविताओं को समझने की ..तो मेरी आज की कविता में 'रेखाओं से अर्थ भाग्य 'है और रेखाओं को खुदगर्ज़ इसलिए कहा क्योंकि वे किसी और को.. हाथों में,,, अपने अलावा रहने नहीं देतीं!
---अब इतनी कवितायेँ पढ़ पढ़ कर आप भी कवितायेँ समझना क्या लिखना भी शुरू कर देंगे.
एक कविता तो लिखी भी थी पहले आप ने?
-------------------------
एक बात बताना चाहती थी आप ने एक प्रार्थना गीत -इतनी शक्ति हमें देना दाता-का सुझाव दिया था..याद होगा..उसे मैं ने एक साईट पर नवंबर में लगाया था..जहाँ उस के अब तक उस एक ही साईट पर 'चार हज़ार से ज्यादा 'डाउनलोड हो चुके हैं..जबकि बाकि और सब अधिकतम २००-३००--तक पहुंचे हैं.
खुशी हुई क्योंकि उम्मीद नहीं थी कि उस गीत को इतना पसंद किया जायेगा.
--आप का ईमेल नहीं है इसलिए यहाँ टिप्पणी में बता रही हूँ..उस सुझाव के लिए आप का बहुत बहुत धन्यवाद.:)

दीपक 'मशाल' ने कहा…

व्यंग्य ठीक है पर एक औचित्यहीन पोस्ट.. क्षमा करें..

Unknown ने कहा…

हमने समझौतावादी होकर ही अपने देश को चार हिस्सों में बंटने का तांडव देख है क्या अब पांचवें विबाजन को देखने के लिए हम त्यार हो चुके हैं अगर नहीं तो उठाओ कलम और शुरू हो जाओ गद्दारों को वेनकाब करना।

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

अमन चैन शांति ठीक नहीं है
आप पंगे लेते रहिए,मौज किजिए:)

36solutions ने कहा…

पंडित जी दिल्‍ली बैठकी में सब तय हो चुका है, एक रणनीति के तहत सभी समझौतावादी बने हैं, अभी धमाका होने वाला है।
:)

Anita kumar ने कहा…

हम अजय झा जी से सहमत्।॥सब ग्रहों की बात है। शनि को आने दीजिए फ़िर तांडव शुरु हो जाएगा

दिगम्बर नासवा ने कहा…

सही कहा ... मान तो हमारा भी नही लग रहा .. कुछ मसाला आया नही कुछ दिनों से ब्लॉग पर ...
क्या हुवा बंधु ... जागो .. जागो सोने वालो जागो .... अच्छा लगा देख कर गौदियाल जी जाग चुके हैं .....
वैसे मसाला तो नही .. पर कुछ तो हम भी अभी अभी ब्लॉग पर डालके आए हैं ...

nilesh mathur ने कहा…

पंडित जी ये आप किस तरह कि पोस्ट देने लगे, क्यों अपना और लोगों का समय ख़राब कर रहे हैं!

www.hamarivani.com
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